बिहार के गयाजी जिले में एक अनोखा मामला सामने आया है, जहां एक पुराने आवेदन पर लगभग एक साल बाद एफआईआर दर्ज की गई है। गयाजी के आंती थाना क्षेत्र में वर्ष 2024 में दिए गए एक आवेदन के आधार पर 1 नवंबर 2025 को प्राथमिकी दर्ज की गई। इस घटना के बाद संबंधित पक्ष ने पुलिस प्रशासन से निष्पक्ष जांच की मांग की है। आंती थाना क्षेत्र के बरई गांव निवासी शिव वचन कुमार ने सोमवार को गया एसएसपी को लिखित आवेदन देकर मामले की स्वतंत्र और पारदर्शी जांच की मांग की। उन्होंने आरोप लगाया कि उन्हें उनके ननिहाल की जमीन के विवाद में जानबूझकर फंसाया जा रहा है। ‘आरोपी पक्ष पुराने विवादों के जरिए फंसाने की कोशिश कर रहा है’ शिव वचन कुमार के अनुसार, यह पूरा विवाद पारिवारिक जायदाद से जुड़ा है। उनका कहना है कि महेंद्र यादव (पिता कारू यादव) पुरानी जमीन विवादों को उठाकर व्यक्तिगत दुश्मनी निकालने और उन्हें फंसाने की कोशिश कर रहे हैं। शिव वचन कुमार ने बताया कि महेंद्र यादव ने उनके खिलाफ 12 सितंबर 2024 को एक लिखित आवेदन दिया था। शिव वचन का आरोप है कि यह आवेदन निराधार और झूठे तथ्यों पर आधारित था। 14 महीने बाद पुराने आवेदन पर प्राथमिकी दर्ज की गई हैरानी की बात ये है कि उस समय कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई, बल्कि लगभग 14 महीने बाद 1 नवंबर 2025 को उसी पुराने आवेदन के आधार पर अचानक प्राथमिकी दर्ज कर दी गई। एफआईआर दर्ज करने के इस तरीके ने शिकायतकर्ता और स्थानीय लोगों को हैरान कर दिया है। पीड़ित शिव वचन कुमार का कहना है कि पुलिस की यह कार्रवाई संदिग्ध है और उन्हें बेवजह इस विवाद में घसीटा जा रहा है। उन्होंने एसएसपी से अनुरोध किया है कि पुराने आवेदन पर इतने लंबे समय बाद एफआईआर दर्ज होने के पीछे की वास्तविक वजहों की जांच की जाए। शिकायतकर्ता का दावा- पुलिस निष्पक्ष जांच करे तो सच सामने आ जाएगा उन्होंने कहा कि यदि पुलिस निष्पक्ष जांच करे तो सच अपने आप सामने आ जाएगा और उनके खिलाफ लगाए गए सभी आरोप गलत साबित होंगे। मामला सामने आने के बाद स्थानीय स्तर पर चर्चा जारी है कि आखिर किन परिस्थितियों में इतने पुराने आवेदन पर इतनी देर से कार्रवाई की गई। अब देखने वाली बात यह होगी कि एसएसपी कार्यालय इस विवादास्पद प्रकरण में क्या कदम उठाता है और जांच किस दिशा में आगे बढ़ती है।
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