गोरखपुर में बिजली आपूर्ति मजबूत करने के लिए दो वित्तीय वर्षों में बदले गए 36 पुराने ट्रांसफार्मर अब बिजली विभाग के लिए सिरदर्द बन गए हैं। नियमानुसार इन्हें बदलने के बाद स्टोर खंड में जमा होना चाहिए था, लेकिन हैरानी की बात यह है कि दो साल बीत जाने के बावजूद इनमें से एक भी ट्रांसफार्मर स्टोर तक नहीं पहुंचा। इन 36 ट्रांसफार्मरों का न तो कोई रिकॉर्ड है, न ही विभाग के पास उनकी मौजूदगी का कोई स्पष्ट विवरण। इस खुलासे के बाद पूरे जिले में जांच तेज कर दी गई है। दरअसल, गुलरिहा, चौरीचौरा और कैम्पियरगंज डिविजनों में 2023-24 में 21 तथा 2024-25 में 15 ट्रांसफार्मर क्षमता वृद्धि के दौरान बदले गए थे। विभागीय रजिस्टर, स्टोर खंड की एंट्री और उपखंडों के रिकॉर्ड- तीनों जगह इन ट्रांसफार्मरों का कोई उल्लेख नहीं है। विभाग को इनकी पूरी स्थिति जानने के लिए अब संबंधित डिविजनों से अलग-अलग रिपोर्ट मांगनी पड़ रही है। भंडार खंड की लापरवाही ने बढ़ाई चिंता
नियम अनुसार उतारे गए हर ट्रांसफार्मर की एंट्री की जाती है, फिर उसे स्टोर में जमा किया जाता है। लेकिन भंडार खंड की तरफ से अब तक कोई सूची तैयार नहीं की गई। इससे यह आशंका गहराती जा रही है कि या तो ट्रांसफार्मर स्टोर तक पहुंचे ही नहीं, या फिर बिना एंट्री के उनसे छेड़छाड़ की गई। विभागीय सूत्रों का कहना है कि कई अभियंताओं ने सूची बनाने की प्रक्रिया भी शुरू नहीं की थी। फिर सुर्खियों में भट्ट उपकेंद्र वाला पुराना मामला
यह मामला इसलिए और गंभीर हो गया है क्योंकि कुछ समय पहले भट्ट उपकेंद्र के तीन पुराने ट्रांसफार्मरों को कबाड़ समझकर कथित रूप से बेच दिए जाने का मामला सामने आया था। करीब 10 साल से उपकेंद्र पर पड़े ये ट्रांसफार्मर कबाड़ में बेच दिए गए थे। उस घटना के बाद विभाग को पूरे जिले में पुराने ट्रांसफार्मरों की खोज करनी पड़ी थी। अब 36 ट्रांसफार्मरों का नया मामला सामने आने से विभाग पर एक बार फिर सवाल खड़े हो गए हैं। रिकॉर्ड-रजिस्टर से लेकर ग्राउंड रिपोर्ट तक सब अधूरा
जांच में यह बात सामने आई कि बड़ी संख्या में ट्रांसफार्मरों की कागजी सूची तैयार ही नहीं की गई, जबकि क्षमता वृद्धि के बाद सबसे पहली प्रक्रिया यही होती है।
• ट्रांसफार्मर कहां बदला गया
• कब उतारा गया
• किस अभियंता ने रिसीव किया
• स्टोर में जमा क्यों नहीं हुआ इन सभी सवालों के जवाब अभी विभागीय रिकॉर्ड में कहीं उपलब्ध नहीं हैं। इससे यह भी साफ नहीं है कि बदले गए ट्रांसफार्मरों की वास्तविक स्थिति क्या है। अभियंताओं से मांगे गए जवाब
वरिष्ठ अधिकारियों ने तीनों डिविजनों के अभियंताओं को नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा है। उनसे पूछा गया है कि दो साल में ट्रांसफार्मर स्टोर तक क्यों नहीं पहुंचे और उनकी एंट्री क्यों नहीं की गई। विभाग की ओर से यह भी संकेत दिए जा रहे हैं कि यदि लापरवाही या कोई वित्तीय अनियमितता सामने आती है तो जिम्मेदारों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी। जिले में हर साल बिजली की खपत बढ़ रही है। ऐसे में पुराने ट्रांसफार्मरों का गायब होना केवल प्रशासनिक लापरवाही नहीं, बल्कि तकनीकी और वित्तीय नुकसान का बड़ा कारण बन सकता है। कई विशेषज्ञों का मानना है कि इस प्रकार की घटनाएं बिजली आपूर्ति प्रणाली की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े करती हैं।
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