मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार ने संभल के तीर्थ स्थलों के विकास के लिए 423 करोड़ रुपये के बजट को मंजूरी दी है, जिसे वह “आस्था और पर्यटन के स्वर्ण युग” के रूप में प्रस्तुत कर रही है। हालांकि, संभल के समाजवादी पार्टी (सपा) विधायक इकबाल महमूद ने इस विकास पर आपत्ति जताई है। विधायक ने कहा, “भगवान का घर भगवान संभाल लेंगे, पर जनता का घर कौन संभालेगा? 423करोड़ सिर्फ तीर्थों पर खर्च करने से जनता के टूटे हुए घर नहीं बनेंगे। जनता के लिए सरकार क्या कर रही है?”इस बजट आवंटन को लेकर सरकार पर सवाल उठाए। मियां सराय स्थित अपने आवास पर उन्होंने सरकार पर तंज कसते हुए शेरजंग की ज़्यारत का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि इसके लिए पैसा जारी हुआ और उद्घाटन लखनऊ में हो गया, लेकिन संभल में आज तक एक ईंट भी नहीं लगी। उन्होंने पूछा कि यह कैसा विकास है। इकबाल महमूद ने सरकार से सवाल किया कि तीर्थ स्थलों के विकास के लिए पैसा देने के बावजूद टूटी सड़कें, नौजवानों के लिए रोजगार, कॉलेज और यूनिवर्सिटी, किसानों को खाद और बीज, तथा गरीबों को योजनाओं का लाभ देने के लिए क्या किया गया है। उन्होंने जोर दिया कि भगवान को रुपये की आवश्यकता नहीं, बल्कि जनता के लिए सरकार का काम महत्वपूर्ण है। संभल के मेडिकल कॉलेज पर भी निशाना साधा और कहा कि पीपीपी मॉडल में गरीब जनता को क्या फायदा मिलेगा। उनका तर्क था कि यदि यह एक सरकारी कॉलेज होता, तो जनता सीधे लाभान्वित होती। विधायक ने कहा कि सरकार का ध्यान विकास पर कम और वोट बैंक पर ज्यादा है। उन्होंने कहा, “तीर्थ स्थल सजाओ, लेकिन जनता को भूखा मत छोड़ो। विकास का असली माप यही है कि नौजवान पढ़ें, बेरोजगार को नौकरी मिले और गरीब का पेट भरे।” संभल में पिछले साल 24 नवंबर को शाही जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान हुई हिंसा के बाद योगी सरकार यहां के 68 तीर्थों और 19 कूपों के विकास के लिए यह पैसा खर्च कर रही है। सरकार इन सभी स्थलों को पर्यटन और धार्मिक दृष्टिकोण से विकसित कर रही है, जिस पर सपा विधायक को आपत्ति है।
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