रामकोला स्थित मां गीतांजलि हॉस्पिटल का पंजीकरण रद्द कर दिया गया है। यह कार्रवाई प्रसूता पूनम देवी की इलाज के दौरान हुई मृत्यु के मामले में मुख्य चिकित्साधिकारी द्वारा जिलाधिकारी महेंद्र सिंह तंवर को सौंपी गई जांच रिपोर्ट के आधार पर की गई है। जिलाधिकारी के निर्देश पर डॉ. अवधेश प्रसाद (उप जिला प्रतिरक्षण अधिकारी), डॉ. शेष कुमार विश्वकर्मा (प्रभारी चिकित्सा अधिकारी, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रामकोला) और डॉ. आनंद प्रकाश गुप्ता (बाल रोग विशेषज्ञ, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रामकोला) की तीन सदस्यीय संयुक्त जांच समिति गठित की गई थी। समिति ने 28 नवंबर 2025 को अपनी विस्तृत जांच रिपोर्ट प्रस्तुत की। जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट में अस्पताल संचालक अरविंद कुमार शर्मा, इंचार्ज डॉ. मीरा शर्मा, सर्जन डॉ. विकास मंडलोई और आशा कार्यकर्ता मजहरून्निशा के विरुद्ध गंभीर लापरवाही की पुष्टि की है। समिति ने सिफारिश की थी कि जिला रजिस्ट्रीकरण प्राधिकरण के अध्यक्ष की अनुमति के बाद मां गीतांजलि हॉस्पिटल, रामकोला का पंजीकरण निरस्त किया जाए, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो। इसके अतिरिक्त, संबंधित दोषियों के विरुद्ध क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट-2010 के तहत कठोर दंडात्मक कार्रवाई की भी अनुशंसा की गई है। सोहरौना निवासी अनिल कुशवाहा ने 21 नवंबर 2025 को रात 9 बजे अपनी भाभी पूनम देवी (पत्नी महेंद्र कुशवाहा) को डिलीवरी के लिए रामकोला के गीतांजलि अस्पताल में डॉ. अरविंद कुमार शर्मा के यहां भर्ती कराया था। डॉक्टर ने ऑपरेशन की बात कहते हुए 40 हजार रुपये जमा कराए थे। रात लगभग 11 बजे पूनम को ऑपरेशन थिएटर ले जाया गया। परिजनों का आरोप है कि ऑपरेशन के बाद मरीज की हालत बिगड़ती चली गई। 22 नवंबर 2025 को दोपहर 12 बजे जब मरीज के शरीर में कोई हलचल नहीं हुई, तो डॉक्टर ने उसे कसया के सरस अस्पताल रेफर कर दिया। परिजनों के अनुसार, डॉक्टर ने भर्ती और रेफर के कागजात देने से इनकार कर दिया और व्हाट्सएप पर भेजने की बात कही। इसके बाद एम्बुलेंस बुलाकर पूनम को जबरदस्ती कसया भेज दिया गया। कसया के सरस अस्पताल पहुंचने पर डॉक्टरों ने पूनम को मृत घोषित कर दिया और बताया कि उसकी मौत काफी पहले हो चुकी थी।
https://ift.tt/tmcOlMp
🔗 Source:
Visit Original Article
📰 Curated by:
DNI News Live

Leave a Reply