भारत और रूस की दोस्ती कैसी है यह बताने की जरूरत नहीं है। लेकिन जब रूस के राष्ट्रपति व्लादमीर पुतिन भारत आ रहे हैं तो सबसे बड़ा सवाल अब यह उठ रहा है कि क्या भारत आने पर उनकी गिरफ्तारी हो जाएगी? क्योंकि उनके खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी किया गया है और यह अरेस्ट वारंट आज से नहीं 2023 से जारी किया गया और युद्ध के लिए उन्हें अपराधी माना गया इसलिए अरेस्ट वारंट जारी किया गया। तो इंटरनेशनल क्रिमिनल्स कोर्ट ने यह अरेस्ट वारंट जारी किया जिसके बाद से ही चर्चा तेज हो चली है कि क्या भारत आने पर उन्हें गिरफ्तार किया जा सकता है? इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट ने पुतिन के खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी किया है। 125 देश उसके मेंबर हैं। लेकिन भारत, अमेरिका और चीन जैसे मजबूत और शक्तिशाली देश इसके मेंबर नहीं।
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ये लगातार देखने को मिला है कि जब से यूक्रेन के साथ युद्ध के बाद से राष्ट्रपति पुतिन ना ब्रिक्स सम्मेलन में हिस्सा लेते हैं ना जी से या जी8 में शामिल होते हैं। वो इसीलिए कि उन्हें डर है कि जैसे ही उन देशों की यात्रा पर जाएंगे जो इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट का मेंबर है अरेस्ट कर लिए जाएंगे। 4 से 5 दिसंबर को पुतिन भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करेंगे। तेल पर डील करेंगे। डिफेंस करार करेंगे और कई रणनीतिक समझौते भी कर सकते हैं। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह नहीं है कि वो भारत क्यों आ रहे हैं? सबसे बड़ा सवाल तो यह उठ रहा कि आखिर पुतिन भारत कैसे आएंगे? किस रूट से आएंगे? भारत कानूनी रूप से बाध्य नहीं है कि वह आईसीसी के वारंट के आधार पर पुतिन को गिरफ्तार करें। लेकिन यह पहली बार नहीं है। 2015 में सूडान के तत्कालीन राष्ट्रपति उमर अल बशीर के खिलाफ भी आईसीसी वारंट था। फिर भी वह भारत आए और भारत ने उन्हें किसी कानूनी समस्या का सामना नहीं करने दिया। तो 4 से 5 दिसंबर की यात्रा पुतिन की पूरी तरह से सुरक्षित है।
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इसमें भी एक पेंच है। दरअसल, कई देशों के हवाई क्षेत्र यानी एयर स्पेस में प्रवेश करते ही वेसी के अधिकार में आ जाते हैं। इसलिए रूस को बहुत ध्यान से रूट चुनना होगा। अभी तक डिफेंस और एिएशन सूत्रों के आधार पर छह संभावित रूट सामने आए हैं। पहला रूस, तेहरान, भारत यानी ईरान वाला रूट, दूसरा है रूस बाकू यानी अज़रबैजान से भारत आने वाला रास्ता। तीसरा है रूस काबुल से भारत आना। चौथा है रूस से डायरेक्ट भारत आना। बता दें कुछ समय पहले पुतिन ने एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में हिस्सा लिया था। चौंकाने वाली बात यह थी कि उन्होंने यूरोप के ऊपर से 1% भी एयर स्पेस इस्तेमाल नहीं किया। उन्होंने एक असामान्य लंबा और अत्यधिक घुमावदार रास्ता चुना। क्योंकि यूरोप के लगभग सभी देश आईसीसी के सदस्य हैं। उनके एयर स्पेस में प्रवेश करते ही कानूनी रूप से अरेस्ट एक्शन शुरू किया जा सकता है। रूस ने यह रिस्क नहीं लिया और एक ऐसी एयर ट्रेजरी बनाई जो आईसीसी देशों को पूरी तरह से बायपास करती हैं।
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भारत सुरक्षित मेजबान है। पुतिन की यात्रा तय है और अब पूरा फोकस सिर्फ एक चीज पर है पुतिन का रूल। तेहरान से या बाकू से या ताशकंदन से या काबुल से या फिर सीधे भारत की उड़ान जो भी रूट चुना जाएगा यह भारत रूस पार्टनरशिप की अहमियत को और मजबूत करेगा और 4 से 5 दिसंबर की तस्वीरें मोदी और पुतिन एक साथ अमेरिका यूरोप चीन सभी की नजरें होंगी।
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