राजस्थान एसोसिएशन ऑफ नॉर्थ अमेरिका (राना) के अध्यक्ष प्रेम भंडारी ने कहा- अधिकारियों को माइंडसेट बदलने की जरूरत है। सरकार की मंशा अगर काम करने की होगी तब ही काम हो सकते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जैसा काम कर रहे हैं, वैसी इच्छाशक्ति राजस्थान में नजर नहीं आती है। 10 दिसंबर को राजस्थान में होने वाले प्रवासी राजस्थानी सम्मेलन को लेकर कहा कि उनके पास निमंत्रण तो आया है, लेकिन अभी वह जाएंगे या नहीं, इसका फैसला ‘राना’ की कमेटी करेगी। प्रेम भंडारी ने अप्रवासी राजस्थानियों से जुड़े कई मुद्दों पर अपना पक्ष रखा। मंडे स्पेशल स्टोरी में पढ़िए बातचीत के खास अंश…. सवाल: एमबीबीएस स्टूडेंट राहुल घोसलिया का शव कजाकिस्तान से लाने में आपने बहुत मदद की थी। उसके परिवार से भी आप मिलकर आए हैं, बेहद ही दर्दनाक घटना थी।
जवाब: रोज ऐसे मामले देशभर से आ रहे हैं। मैं बस अपना प्रयास करता हूं। कल-परसों चेन्नई में शव भिजवा रहा हूं। मुंबई से एक युवक अमेरिका में प्लेन से उतरा उसके 3 घंटे बाद ही उसे हार्ट अटैक आ गया। ऐसे मामलों में दो काम होने चाहिए। पहला- जब बच्चों को आप पढ़ने के लिए भेज रहे हैं, हर यूनिवर्सिटी में मेडिकल इंश्योरेंस कंपल्सरी है ही, लेकिन इंश्योरेंस कवर पूरा लेना चाहिए। इसमें एअरलिफ्टिंग वगैरह सब कुछ शामिल होती है, जिससे अगर कोई भी अप्रत्याशित घटना होती है तो आपको सरकार की जरूरत नहीं पड़ेगी। सवाल : राजस्थान सरकार प्रवासी राजस्थान सम्मेलन करने जा रही है, आएंगे आप?
जवाब : मैं अप्रवासियों की राजस्थान के बाद विश्व की सबसे बड़ी संस्था का प्रमुख कार्यकर्ता हूं। अब देखिए मुझे 92 वर्षीय एनआरआई डॉ. राज खरे का फोन आया था। उन्होंने कहा था कि पिछली बार तो मेरा साथ देने की वजह से आपको भी राइजिंग राजस्थान सम्मेलन में नहीं बुलाया गया था। लेकिन इस बार आपको निमंत्रण आया है। आप मत जाइएगा। उन्होंने कहा कि आप देखिए मैंने भैरों सिंह शेखावत जी के कहने पर यहां जमीन ली, कॉलेज बनाया। एसीबी में धरना दिया जगह-जगह घूमे। एक एनआरआई के साथ ऐसा बर्ताव हुआ था और फिर आप वहां जाकर कुछ बोलोगे तो दुनियाभर में लोग आपकी बात सुनते हैं, वहां फॉरेन कंपनियों के लोग भी होंगे, आप मत जाइए। मैंने अभी इस फैसले को अपने बोर्ड पर डाल दिया है। सवाल: प्रवासी सम्मेलन में आपने कहा कि फैसला होगा आना या नहीं आना है?
जवाब: राना बोर्ड (राजस्थान एसोसिएशन ऑफ नॉर्थ अमेरिका) डिसाइड करेगा। एक बुजुर्ग NRI राज खरे को बेहद दुख पहुंचा है…जयपुर में देश के पहले प्राइवेट वेटनरी कॉलेज के संस्थापक हैं। उन्हें खुद के बनाए कॉलेज में भ्रष्टाचार के खिलाफ ACB कार्यालय पर धरना देना पड़ा था। …..इसलिए मैं कहता हूं, कोई काम करने दें, तभी काम हो सकता है। काम करने के लिए इच्छा शक्ति होने की आवश्यकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कर रहे हैं न, बिना छुट्टी लिए। उस इच्छाशक्ति की राजस्थान में कमी दिखती है। आप निवेश की बात कर रहे हैं। पूर्व पीएम राजीव गांधी ने NRI के लिए एक विभाग बनाया था- सिंगल विंडो होगी। 6 महीने बाद एक अधिकारी को बुलाकर पूछा, उस सिंगल विंडो का क्या हुआ? उसने कहा कि पहले एक व्यापारी को 13 जगह जाना पड़ता था, अब 14 जगह जाना पड़ रहा है। निवेश अखबारों में विज्ञापन लगाने से और तमाशा करने से नहीं होना है। अधिकारियों का माइंडसेट चेंज करना होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जो सपना है 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का, यह विकसित राष्ट्र न्यूयॉर्क के विकसित होने से नहीं बनेगा। जबतक देश का हर राज्य विकसित नहीं होगा, तब तक राष्ट्र भी विकसित नहीं हो सकता है। हम चाह रहे हैं…लेकिन उसके लिए माहौल बनाना पड़ेगा। सवाल: आपको क्या लगता है, कहां कमी रह रही है?
जवाब: भ्रष्टाचार की पराकाष्ठा में डूबे हुए हैं सब। सिर्फ राजस्थान की बात नहीं है, हमें अगर विकसित राष्ट्र बनाना है तो इसे (भ्रष्टाचार) काबू करना होगा। अधिकारियों को मेरिट बेसिस पर तवज्जो मिलनी चाहिए। डिजायरवाद नहीं होना चाहिए। जो सक्षम अधिकारी है, उसको जगह दो। सही मायने में काम करने के लिए आपको लोगों को प्रमोट करना होगा। मैं आत्मा से राजस्थानी हूं, इसलिए शुभकामनाएं दे रहा हूं। दिसंबर में होने वाले प्रवासी राजस्थानी सम्मेलन में मोदी साहब और पीएमओ हस्तक्षेप करे। सबकुछ सही रहा तो अकेले सोलर के क्षेत्र से ही बड़ा निवेश आ सकता है। सवाल: केंद्र को किस तरीके का हस्तक्षेप करना चाहिए, किन महत्वपूर्ण बिंदुओं पर ध्यान देना चाहिए, जिससे नाराजगी दूर हो सके?
जवाब: कोई नाराजगी नहीं है। निवेश लाने के लिए अधिकारियों को कोई न कोई इंटरेस्ट दिखना चाहिए, तभी यह संभव होगा। मैं गारंटी देता हूं आपको, मैंने राजस्थान की डिप्टी सीएम को आमंत्रित किया है, न्यूयॉर्क आ जाएं खाली हाथ नहीं जाएंगी। अमेरिका और दुनिया की कई कंपनियों से हम बात करते हैं और निवेश लाते हैं। मैं तो कहता हूं, क्यों हमारे बच्चों को बाहर जाना पड़ता है पढ़ने के लिए? यहीं पर यूनिवर्सिटीज होनी चाहिए। बस एक पहल करनी होगी। सवाल: राजस्थान में साइबर क्राइम एक बड़ी चुनौती बनकर आ रहा है।
जवाब: साइबर क्राइम एक बड़ी चुनौती बन गया है। डिजिटल अरेस्ट भी शुरू हो गया है। मैं राजस्थान सरकार से यही उम्मीद करता हूं कि अच्छे-अच्छे अफसर जो इसमें न पड़ें कि कौन सा मंत्री किसे लगवाना चाह रहा है, उन्हें मौका दे। मैंने साइबर स्लेवरी में भी श्रीलंका से कुछ लोगों को निकालने में मदद की थी। सवाल: आप इन्फॉर्मेशन और घटनाओं के अपडेट कहां से पाते हैं?
जवाब: मैं आप ही के अखबार से पढ़ता हूं। लेकिन जो आपका डिजिटल है उसको पूरे विश्व में लोग पढ़ रहे हैं। पूरे विश्व के अंदर राजस्थानियों के बीच में भारतीयों के बीच में। मेरी बहुत बहुत शुभकामनाएं हैं आप लोगों को। सवाल: विदेश से शव लाने में बेहद परेशानी होती थी, आपने एयरलाइंस के मुद्दे को कैसे सुलझाया?
जवाब: पीएम मोदी को ट्वीट किया था, 1 दिन में काम हो गया…ऐसे हैं हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी। इमिग्रेशन का एक डिपार्टमेंट होता है। उसमें पहले कोई भी शव आता है तो मृतक का पासपोर्ट पर कैंसिल लिखा होना जरूरी होता था। लेकिन कई बार पासपोर्ट नहीं होता या खराब या जल गया होता था तो दूसरा तरीका यह था कि एंबेसी मृतक की पहचान करके एक नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट दे देती थी। फिर इसके लिए ₹1 लाख एयरलाइंस पर पेनल्टी शुरू कर दी। उसके बाद सभी एयरलाइंस ने हाथ खड़े कर दिए। दुनिया की कोई एयरलाइन किसी मृतक का शव हिंदुस्तान लाने को तैयार नहीं थी। मुझे पता चला तो मैंने गृह सचिव को पत्र लिखा। उसके बाद मैंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ट्वीट भी कर दिया। फिर तुरंत बाद काम हो गया। सवाल: आप जयपुर फुट से भी जुड़े हैं, इस संस्था ने लोगों को बहुत राहत दी है। अब आम जनता को क्या नई सौगात मिल सकती है?
जवाब: जयपुर फुट कृत्रिम अंग लगाने वाली दुनिया की सबसे बड़ी संस्था है। इसके संस्थापक डीआर मेहता साहब हैं और मैं उनका कार्यकर्ता हूं। इस काम के लिए भी 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका में स्वयं मुझे वादा किया था। इसी दौरान उन्होंने हमारे कैंप का शुभारंभ किया था। उसके बाद 2018 में भगवान महावीर दिव्यांग सहायता समिति को पार्टनर बना लिया। इस समय 35वां कैंप चल रहा है। 70 से 75 करोड़ प्रधानमंत्री मोदी ने खर्च किए हैं। सवाल: आपकी संस्था राना अब आगे तीन ऐसे कौन से महत्वपूर्ण विषय पर काम करने जा रही है?
जवाब: हमारी संस्था हर राजस्थानी के दुख-सुख की बात करती है और अब तो राना (RANA) राजस्थान से भी बाहर निकल गया है। अब हम पूरे देश की बात करते हैं। देशभर में टीम बनाने के लिए एप्लिकेशन भरी पड़ी हैं। पूरी टीम का जो डिसीजन होता है, मैं वही करता हूं। सवाल: घुमंतू जाति के लिए आपने रोजगार मेले जैसी बड़ी पहल की है।
जवाब: इसका श्रेय मैं तीन लोगों को दे रहा हूं- राकेश कुमार, सर्वेश और कमल इन लोगों ने मुझे इस काम में लगाया है। मैं पहले भी जयपुर की इन बस्तियों में आ चुका हूं। अब राजस्थान की उप मुख्यमंत्री दीया कुमारी भी यहां शामिल हुईं। उन्होंने मुझे और भी ज्यादा जिम्मेदारी दे दी है। अभी और काम करेंगे। मैं राजनीति से ऊपर उठकर सेवा के काम करना चाहता हूं।
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