जौनपुर में शिक्षक, लेखपाल, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सफाईकर्मी, रोजगार सेवक यह पदनाम अलग-अलग भले ही हों लेकिन इस समय इनकी पूरी टीम एक साथ एक ही मोर्चे पर डटी है। वह मोर्चा कुछ और नहीं बल्कि निर्वाचन आयोग के निर्देश पर चल रहा विशेष प्रगाढ़ पुनरीक्षण यानि एसआईआर का है। इस समयबद्ध अति महत्वपूर्ण कार्य को अंजाम देने में क्या अधिकारी क्या कर्मचारी… पूरा प्रशासनिक अमला तो जुटा है लेकिन इस पूरी कड़ी के मध्य बूथ लेवल आफिसर (बीएलओ) पदनामधारी हर शख्स पर मानो एसआईआर की धुन ही सवार है। कमोवेश इसी धुन का परिणाम है कुछ दिन पहले चली एसआईआर की हवा अब तेज बयार हो चुकी है। एक बूथ पर विद्यालय खुलते ही हाथ में फार्म थामे युवा-अधेड़ ही नहीं वरिष्ठ नागरिक भी फार्म जमा करके जल्द से जल्द अपना फर्ज पूरा करने को बेकरार नजर आए। वहां चंद लोगों की भीड़ में बस उन्हें अपने बीएलओ की ही तलाश थी। उनकी प्रतीक्षा चंद ही लम्हो बाद बीएलओ व उनके सहयोग में लगे लोगों के आते ही पूरी हो गई। वहां मौजूद ग्रामीणों में एक महिला अपना पल्लू ठीक करते बोल उठी… का बहिनी आइ गइलू…तनी हमार फरमवा देखा। सब कहत बा अपने माई-बाबू क कुल कागज ली आवा। हमरे त समझै में नाय आवत बा कि हम कहां ऊ पाइब….आदि- आदि। उसके अंतहीन सवालों को सुनते हुए बिना उकताए बिना झुंझलाए सहयोग में मौजूद रोजगार सेवक ने उसे सब कुछ न केवल बड़ी आसानी से समझा दिया बल्कि संबंधित मोबाइल फोन पर बात कर उसका डिटेल मंगवाकर फार्म भी भरवा दिया। जिस काम को न जानकारी में वह पहाड़ मान बैठी थी वह बस यों ही पूरा हो गया। हांलाकि इसके बाद ही बीएलओ ने अपनी राम कहानी शुरू कर दी…सबेरे छ: बजे ही तीन लोग फार्म लेकर घर पर आ धमके। उनसे निजात पाकर सुबह-सबेरे कुछ फार्म फीड़ करने में मोबाइल फोन पर जुट गई। किसी तरह से कुछ खाने पीने का समय निकाल पाई हूं। अब दिन भर यहां बिताना है। आज एप भी नहीं चल रहा है। अब शाम व रात में फीडिंग काम निबटाना पड़ेगा।
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