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मखाना उत्पादन कर आत्मनिर्भर बन सकते हैं किसान

भास्कर न्यूज| सीतामढ़ी राष्ट्रीय मखाना अनुसंधान केंद्र द्वारा जिले के डुमरा, पुपरी सुरसंड बाजपट्टी परिहार सहित अन्य प्रखंडों के प्रगतिशील किसान और प्रखंड उद्यान अधिकारियों को मखाना विकास योजना अंतर्गत वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. मनोज कुमार द्वारा प्रशिक्षण दिया गया। बताया गया कि जिले में एकीकृत बागवानी मिशन के तहत दो दिवसीय किसान प्रशिक्षण परिभ्रमण तथा प्रचार प्रसार योजना के अंतर्गत आयोजित किया गया है। मखाना अनुसंधान केंद्र दरभंगा के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. मनोज ने प्रशिक्षित किसान और उद्यान अधिकारियों को प्रोत्साहित करते हुए बताया कि सीतामढ़ी की जलवायु मखाना उत्पादन के लिए अत्यंत उपयुक्त है। यदि समन्वित और वैज्ञानिक प्रयास किया जाए तो आने वाले वर्षों में यह जिला मखाना उत्पादन एवं प्रसंस्करण का अग्रणी केंद्र बन सकता है। बताया कि मखाना आधारित उद्योगों का विकास सीतामढ़ी और बिहार के औद्योगिक मानचित्र पर एक विशिष्ट पहचान दिला सकता है। इससे किसानों की आय बढ़ेगी स्थानीय स्तर पर रोजगार एवं उद्यमिता के नए अवसर प्रदान होंगे। जिससे युवाओं का पलायन रुकेगा और रोजगार के अवसर प्रदान होंगे। बीते दो वर्षों में जिले के सैकड़ो किसान और अधिकारियों को अनुसंधान केंद्र में प्रशिक्षण दिया जा चुका है। उन्होंने बताया कि अगले तीन वर्षों में सीतामढ़ी में 100 करोड़ रुपए का मखाना बाजार विकसित हो सकता है। जिसको लेकर सभी को प्रयास करने की आवश्यकता है। उद्यान अधिकारी राहुल कुमार, अंशु पटेल तथा प्रशिक्षक सतीश कुमार, राम गणेश सिंह, रंजीत कुमार ने प्रशिक्षण सह परिभ्रमण को अत्यंत उपयोगी बताते हुए मखाना उत्पादन एवं प्रसंस्करण की आधुनिक विधियों को समझने में महत्वपूर्ण लाभ लिया। वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. मनोज ने बताया कि किसान आधुनिक तकनीक का उपयोग कर बेहतर मखाना उत्पादन हासिल कर सकते हैं। इससे न केवल उनकी आय में बढ़ोतरी होगी, बल्कि वे आत्मनिर्भर हो सकेंगे। बताया कि मखाने का बाज़ार तेजी से बढ़ रहा है। जिसका मुख्य कारण स्वास्थ्य के प्रति बढ़ती जागरूकता है। यह एक सुपरफूड बन गया है, जिसके कारण घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों बाजारों में इसकी मांग बढ़ रही है। भारत मखाना का सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक है और भारत से निर्यात में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। लोग अब पोषक तत्वों से भरपूर और ग्लूटेन-मुक्त स्नैक्स को प्राथमिकता दे रहे हैं, जिससे मखाना जैसे उत्पादों की मांग बढ़ी है। मखाने को अब विभिन्न स्वादों और रूपों में उपलब्ध कराया जा रहा है, जैसे कि स्वादिष्ट मखाना, मखाना आटा, खीर, चाट आदि, जो युवा उपभोक्ताओं को आकर्षित कर रहे हैं। मिथिला मखाना को जीआई टैग मिलने से इसके निर्यात और ब्रांड वैल्यू में वृद्धि हुई है। बताया कि 2020-2025 के दौरान मखाने का निर्यात लगभग दोगुना हो गया है। बताया कि देश में वित्त वर्ष 2021-22 से 2024-25 तक मखाना उद्योग में 17-18% की वार्षिक वृद्धि दर देखी गई है। वहीं मखाना का वैश्विक बाजार 2033 तक 100 मिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। यूरोप, दक्षिण एशिया और अफ्रीका में नए बाजार उभर रहे हैं। मखाना उद्योग का कारोबार 8,000-8,500 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। बताया कि जिले में सीतामढ़ी में अपार संभावना मखाना उत्पादन को लेकर है। किसानों को प्रशिक्षण प्राप्त कर इसकी खेती कर रोजगार करने की आवश्यकता है। किसान आधुनिक तकनीक का उपयोग करें


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