बिहार में बाल मजदूरी पर अब सरकार सख्त रुख में है। बच्चों को काम की बेड़ियों से आज़ादी दिलाने, उनका पुनर्वास सुनिश्चित करने और शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ने को लेकर शुक्रवार को गया के सर्किट हाउस में प्रेस कॉन्फ्रेंस हुई। बिहार बाल श्रम आयोग के उपाध्यक्ष और भाजपा नेता अरविंद कुमार सिंह ने कहा कि राज्य को बाल मजदूरी से मुक्त करना सरकार की प्राथमिकता है। उन्होंने बताया कि बाल श्रम खत्म करने के लिए विभागीय अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश जारी किए गए हैं। संबंधित विभागों को एक साल में कम से कम 100 बाल मजदूरों को रेस्क्यू करने का टास्क दिया गया है। अरविंद सिंह ने कहा कि सरकार जल्द ही एक विशेष समिति का गठन करेगी, जो बाल श्रम पर रोक के ठोस उपाय सुझाएगी। इसका लक्ष्य बच्चों को मजदूरी से बाहर निकालना और उनके अधिकारों की सुरक्षा व स्कूलों से जोड़ना है। जागरूकता अभियान भी तेज किए जाएंगे उपाध्यक्ष ने कहा कि बाल श्रम जैसे सामाजिक अभिशाप को खत्म करने के लिए सभी विभागों के बीच मजबूत समन्वय बनाया जा रहा है। कानूनों को सख्ती से लागू करने के साथ ही जागरूकता अभियान भी तेज किए जाएंगे। उन्होंने यह भी कहा कि शिकायत मिलते ही कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी। वॉट्सऐप पर मिलने वाली शिकायतों को भी तुरंत निपटाने का निर्देश दिया गया है। बचाए गए बच्चों के पुनर्वास को लेकर उन्होंने बताया कि सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। प्रथम चरण में गयाजी सहित सात जिलों में सात आवासीय स्कूल खोले जा रहे हैं। सभी स्कूलों का टेंडर पूरा हो चुका है। गया में मानपुर के सुभाष चंद्र बोस स्कूल का निर्माण जारी है, जहां मुक्त बाल मजदूरों को निःशुल्क शिक्षा, आवास, भोजन, कपड़ा समेत सभी सुविधाएं मुहैया कराई जाएँगी। अरविंद सिंह ने कहा कि असली लक्ष्य सिर्फ बच्चों को मजदूरी से निकालना नहीं, बल्कि उन्हें सुरक्षित भविष्य देना है। शिक्षा और कौशल प्रशिक्षण के माध्यम से ही वे समाज की मुख्यधारा में लौट सकेंगे। उन्होंने अधिकारियों को यह भी निर्देश दिया कि बाल श्रम से जुड़ी हर शिकायत पर तत्काल एक्शन लिया जाए और पुनर्वास काम में किसी भी स्तर पर लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।इस मौके पर भाजपा के जिला मीडिया प्रभारी रंजीत सिंह, जदयू के अवध बिहारी पटेल आदि भी मौजूद रहे।
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