काशी तमिल संगमम 4.0 की तैयारियाँ वाराणसी में शुरू हो गई है। आगामी 2 दिसंबर से 15 दिसंबर 2025 तक आयोजित होने वाले इस राष्ट्रीय सांस्कृतिक उत्सव को सफल बनाने के लिए शहर के विभिन्न स्थानों पर प्री–इवेंट गतिविधियाँ, जन-जागरूकता कार्यक्रम और व्यवस्थाओं को अंतिम रूप देने का कार्य तेज हो गया है। उत्तर और दक्षिण भारत की सांस्कृतिक एकता को प्रदर्शित करने वाले इस अनूठे आयोजन का उद्देश्य काशी और तमिलनाडु के सदियों पुराने आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और साहित्यिक संबंधों को नए रूप में सामने लाना है। टैटू एवं मेंहदी प्रतियोगिता में दिखी सांस्कृतिक एकता की झलक काशी तमिल संगमम 4.0 के तहत आयोजित दृश्य कला संबंधी गतिविधियों के अंतर्गत 28 नवंबर को सिगरा स्थित आई.पी. मॉल तथा जे.एच.वी. मॉल में टैटू एवं मेंहदी प्रतियोगिता का भव्य आयोजन हुआ। दोपहर 2 बजे से शाम 5 बजे तक चली इस प्रतियोगिता में 70 से अधिक छात्र–छात्राओं ने भाग लिया। “अनेकता में एकता” थीम पर आधारित इस कार्यक्रम में प्रतिभागियों ने काशी और तमिलनाडु की संस्कृति, परंपरा और कला का संगम अपनी रचनात्मकता के माध्यम से प्रस्तुत किया। प्रतिभागियों के डिजाइन में शिव पारंपरिक प्रतीक, द्रविड़ स्थापत्य, काशी के घाटों की आकृतियों, तमिल साहित्यिक रूपांकनों और लोक–कला की झलक स्पष्ट रूप से दिखाई दी। वनक्कम काशी नुक्कड़ नाटक श्रृंखला का हुआ शुभारंभ इसी क्रम में काशी हिंदू विश्वविद्यालय द्वारा तीन दिवसीय जन-जागरूकता अभियान वनक्कम काशी नुक्कड़ नाटक श्रृंखला की शुरुआत की गई। एम्फीथिएटर, श्री काशी विश्वनाथ मंदिर–बीएचयू परिसर एवं केंद्रीय विद्यालय–बीएचयू में हुए नाटकों ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। नाटकों की केंद्रीय थीम काशी और तमिलनाडु के बीच आध्यात्मिक–सांस्कृतिक संबंधों को प्रस्तुत करना रहा, जिसमें विशेष रूप से भगवान शिव की साझा उपासना, कला, भाषा, स्थापत्य और साहित्यिक जुड़ाव को रचनात्मक ढंग से दिखाया गया। 1400 डेलिगेट्स आयेंगे दक्षिण से काशी तमिलनाडु से आने वाले 1,400 से अधिक प्रतिनिध जिनमें छात्र, शिक्षक, लेखक, किसान विशेषज्ञ, पेशेवर, महिलाएँ और आध्यात्मिक विद्वान शामिल होंगे—आठ दिवसीय अनुभव यात्रा पर काशी, प्रयागराज और अयोध्या का भ्रमण करेंगे। वे काशी की तमिल विरासत से जुड़े महत्वपूर्ण स्थलों जैसे महाकवि सुब्रमण्यम भारती के निवास, केदार घाट, काशी मदम, श्री काशी विश्वनाथ मंदिर और माता अन्नपूर्णा मंदिर का भी भ्रमण करेंगे। बीएचयू के तमिल विभाग में शैक्षणिक व साहित्यिक चर्चाएँ भी आयोजित होंगी।
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