लखनऊ में इंडिपेंडेंट ऐप-बेस्ड कैब एंड ड्राइवर्स एसोसिएशन उत्तर प्रदेश (IACDA-UP) ने प्रेसवार्ता किया। इस दौरान नए लेबर लॉ का समर्थन किया। गिग और ऐप प्लेटफॉर्म वर्कर्स के बढ़ते संकट पर चिंता जताई । पत्रकार वार्ता के दौरान बताया गया कि संगठन स्विगी, ज़ोमैटो, उबर, ओला, ब्लिंकिट, अर्बन कंपनी समेत ऐप-बेस्ड कंपनियों से जुड़े 50,000 से अधिक डिलीवरी पार्टनर्स, कैब ड्राइवरों और होम-केयर वर्कर्स का प्रतिनिधित्व करता है। ‘सुरक्षा पर जताई चिंता’ कौशल सिंह से बताया कि तेज़ी से बढ़ते ऑनलाइन प्लेटफॉर्म सेक्टर के बावजूद गिग वर्कर्स को न्यूनतम सुरक्षा भी उपलब्ध नहीं है। उन्होंने बताया कि कंपनियों द्वारा बढ़ते कमीशन और घटती कमाई से वर्कर्स की मासिक आय न्यूनतम वेतन से भी कम हो गई है। इसके बावजूद उन्हें बिना ओवरटाइम भुगतान के 12 से 16 घंटे तक काम करना पड़ता है। न ही उन्हें दुर्घटना बीमा मिलता है और न ही सुरक्षा। न्यूनतम इनकम गारंटी की मांग संघ ने कहा कि उत्तर प्रदेश में सोशल सिक्योरिटी कोड 2020 लागू न होने की वजह से प्लेटफॉर्म वर्कर्स किसी भी सरकारी सुरक्षा से वंचित हैं। इस अवसर पर संगठन ने अपनी प्रमुख मांगें रखी। ₹30,000 प्रति माह की न्यूनतम इनकम गारंटी, सभी गिग वर्कर्स के लिए हेल्थ और एक्सीडेंट इंश्योरेंस, एग्रीगेटर कंपनियों द्वारा वेलफेयर फंड में 10% अनिवार्य योगदान और प्रदेश में गिग वर्कर्स वेलफेयर बोर्ड के तत्काल गठन की मांग। नए लॉ से मिली राहत जनरल सेक्रेटरी मोहम्मद जावेद खान ने कहा कि ऐप-बेस्ड वर्कर्स को ‘पार्टनर’ कहा जाता है, लेकिन सुविधाएँ शून्य हैं। उन्होंने वर्कर्स के वास्तविक अनुभव साझा करते हुए कहा कि यह सेक्टर लाखों लोगों को रोजगार देता है, लेकिन असुरक्षा सबसे अधिक इसी वर्ग में है। लेबर लॉ में बदलाब के बाद ऐप-बेस्ड वर्कर्स को थोड़ी राहत मिली है।
https://ift.tt/NisSKvT
🔗 Source:
Visit Original Article
📰 Curated by:
DNI News Live

Leave a Reply