बागपत में एक लेखपाल की संदिग्ध परिस्थितियों में मृत्यु के बाद विवाद गहरा गया है। परिजनों ने आरोप लगाया है कि 2 दिसंबर 2020 को प्रशासन ने षड्यंत्रपूर्वक तहरीर बदलकर एफआईआर दर्ज कराई, जिसमें मुख्य आरोपी पीसीएस अधिकारी संजय कुमार सक्सेना का नाम शामिल नहीं किया गया। इसके बजाय, राजस्व विभाग के कर्मचारी कंवल के खिलाफ नामजद रिपोर्ट दर्ज कर मामले को कमजोर करने का प्रयास किया गया। परिजनों ने न्याय की मांग करते हुए शव का अंतिम संस्कार करने से भी इनकार कर दिया है। इस घटना से पूरे प्रदेश के लेखपाल समुदाय में गहरा आक्रोश है। लेखपाल संघ का कहना है कि मृतक परिवार अत्यंत पीड़ा में है, जबकि प्रदेशभर के लेखपालों में रोष व्याप्त है। संघ ने आरोप लगाया कि लेखपाल अनुशासित कर्मचारी होने के बावजूद उन पर लगातार अव्यवहारिक दबाव डाला जा रहा है। उन्हें अन्य विभागों के कार्य भी तत्काल पूरा कराने के लिए सार्वजनिक रूप से डांट-फटकार, दुर्व्यवहार, वेतन रोकने, निलंबन और एफआईआर तक की धमकियां दी जाती हैं। संगठन के अनुसार, अधिकारी केवल रैंकिंग और उपलब्धियों की होड़ में लगे रहते हैं, जिससे तकनीकी और व्यवहारिक समस्याओं को अनसुना कर दिया जाता है। इस दबाव के कारण कई लेखपाल उच्च रक्तचाप, मधुमेह, चिंता और हृदय रोगों से जूझ रहे हैं। लेखपाल संघ ने इस मामले में कई प्रमुख मांगें रखी हैं। इनमें मुख्य आरोपी पीसीएस अधिकारी संजय कुमार सक्सेना को एफआईआर में नामजद करना शामिल है। संघ ने मृतक की माता को 50 लाख रुपये की आर्थिक सहायता और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की भी मांग की है। इसके अतिरिक्त, सभी जिलाधिकारियों और उपजिलाधिकारियों को अधीनस्थ कर्मचारियों के साथ संवाद, संवेदनशीलता और सदव्यवहार बनाए रखने के निर्देश देने की मांग की गई है। चुनाव और पुनरीक्षण कार्यों के दौरान लेखपालों को एक माह के वेतन के बराबर प्रोत्साहन राशि देने की भी मांग की गई है।
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