प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कर्नाटक के उडुपी स्थित श्री कृष्ण मठ में लक्ष कंठ गीता पारायण कार्यक्रम में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए नए भारत की शक्ति और संकल्प का आह्वान किया। राष्ट्रीय सुरक्षा की बात करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारा सुदर्शन चक्र दुश्मनों को तबाह कर देगा। हमने ऑपरेशन सिंदूर में यह देखा। प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि पहले जब ऐसे आतंकवादी हमले होते थे, तो सरकार कुछ नहीं करती थी। लेकिन यह नया भारत है, यह किसी के सामने नहीं झुका है और न ही अपने नागरिकों की सुरक्षा के मामले में पीछे हटा है।
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मोदी ने कहा कि अभी 3 दिन पहले ही मैं गीता की धरती कुरुक्षेत्र में था। अब आज भगवान श्री कृष्ण के आशीर्वाद और जगद्गुरू श्री माधवाचार्य जी के यश की इस भूमि पर आना मेरे लिए परम संतोष का अवसर है। उन्होंने कहा कि आज के इस अवसर पर जब 1 लाख लोगों ने एक साथ भगवदगीता के श्लोक पढ़ें, तो पूरे विश्व के लोगों ने भारत की सहस्त्र वर्षों की दिव्यता का साक्षात दर्शन भी किया है। कर्नाटक की इस भूमि पर यहां के स्नेहीजनों के बीच आना मेरे लिए सदा ही एक अलग अनुभूति होती है। और उडुपी की धरती पर आना तो हमेशा ही अद्भुत होता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि मेरा जन्म गुजरात में हुआ और गुजरात एवं उडुपी के बीच गहरा और विशेष संबंध रहा है। मान्यता है कि यहां स्थापित भगवान श्री कृष्ण के विग्रह की पूजा पहले द्वारका में माता रुक्मिणी करती थी। बाद में जगद्गुरु श्री माधवाचार्य जी ने इस प्रतिमा को यहां पर स्थापित किया। उन्होंने कहा कि अभी पिछले ही वर्ष मैं समुद्र के भीतर श्री द्वारका जी के दर्शन करने गया था, वहां से भी आशीर्वाद ले आया। आप खुद समझ सकते हैं कि मुझे इस प्रतिमा के दर्शन करके क्या अनुभूति हुई होगी। इस दर्शन में मुझे एक आत्मीय और आध्यात्मिक आनंद दिया है।
मोदी ने कहा कि उडुपी आना मेरे लिए एक और वजह से विशेष होता है। उडुपी जनसंघ और भाजपा के सुशासन के मॉडल की कर्मभूमि रही है। 1968 में उडुपी के लोगों में जनसंघ के हमारे वी एस आचार्य जी को यहां की नगर पालिका परिषद में विजयी बनाया था। उसके साथ ही उडुपी ने एक नए गवर्नेंस मॉडल की नींव भी रखी थी। उन्होंने कहा कि आज हम स्वच्छता के जिस अभियान का राष्ट्रीय रूप देख रहे हैं, उसे उडुपी ने 5 दशक पहले अपनाया था। जलापूर्ति और ड्रेनेज सिस्टम का एक नया मॉडल देना हो, उडुपी ने ही 70 के दशक में इन कार्यक्रमों की शुरुआत की थी।
नरेंद्र मोदी ने कहा कि रामचरित मानस में लिखा है- कलियुग केवल हरि गुन गाहा, गावत नर पावहिं भव थाहा। अर्थात कलियुग में केवल भगवद् नाम और लीला का कीर्तन ही परम साधन है। उसके गायन कीर्तन से भवसागर से मुक्ति हो जाती है। उन्होंने कहा कि हमारे समाज में मंत्रों का और गीता के श्लोकों का पाठ तो शताब्दियों से हो रहा है, पर जब 1 लाख कंठ, एक स्वर में इन श्लोकों का ऐसा उच्चारण करते हैं, जब इतने सारे लोग गीता जैसे पुण्य ग्रन्थ का पाठ करते हैं, जब ऐसे दैवीय शब्द एक स्थान पर एक साथ गूंजते हैं, तो एक ऐसी ऊर्जा निकलती है, जो हमारे मन को, हमारे मष्तिष्क को एक नया स्पंदन और नई शक्ति देती है।
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उन्होंने कहा कि राष्ट्र की सुरक्षा नीति का मूल भाव यही है कि हम वसुधैव कुटुम्बकम भी कहते हैं और हम धर्मो रक्षति रक्षितः का मंत्र भी दोहराते हैं। हम लाल किले से श्री कृष्ण की करुणा का संदेश भी देते हैं और उसी प्राचीर से मिशन सुदर्शन चक्र की उद्घोषणा भी करते हैं। उन्होंने कहा कि श्री कृष्ण हमें सबके कल्याण की बात सिखाते हैं और यही बात वैक्सीन मैत्री, सोलर अलायंस और वसुधैव कुटुम्बकम की हमारी नीतियों का आधार बनती हैं। श्री कृष्ण ने गीता का संदेश युद्ध की भूमि पर दिया था और भगवदगीता हमें सिखाती है कि शांति और सत्य की स्थापना के लिए अत्याचारियों का अंत भी आवश्यक है।
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