काशी के प्राचीन और शक्तिपीठों में से एक मीरघाट स्थित सिद्धपीठ माता विशालाक्षी मंदिर में 12 वर्ष बाद कुम्भाभिषेक का शुभारंभ विधि-विधान के साथ हुआ। मंदिर परिसर में रंग-रोगन और शिखर के पुनर्सज्जा कार्य के बाद आज मंदिर के माथे पर स्वर्ण कलश की स्थापना की गई। इस पवित्र अवसर को देखने और इसका हिस्सा बनने के लिए सुबह से ही श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। तमिलनाडु के ब्राह्मणों ने कराया पूजन, मंत्रोच्चार से गूंजा परिसर कुम्भाभिषेक की मुख्य पूजा दक्षिण भारत की परंपरा अनुसार तमिलनाडु से आए 11 ब्राह्मण विद्वानों द्वारा संपन्न कराई जा रही है। पूजन की शुरुआत गणपति विधि से हुई और मंदिर परिसर में वैदिक ध्वनियों और नाद के साथ मंत्रोच्चार गूंज उठा। पंडितों द्वारा मंडल-स्थापन, स्वास्तिवाचन, कलश पूजन और द्रव्य-संस्कार के बाद विशेष कलशार्चन पूजा सम्पन्न हुई। चार दिनों तक चलेगी विशेष पूजा और अनुष्ठानिक कार्यक्रम मंदिर समिति के सदस्यों ने बताया कि कुम्भाभिषेक कार्यक्रम चार दिनों तक चलेगा, जिसमें प्रतिदिन विशेष क्रियाएं और अनुष्ठान निर्धारित हैं। इन दिनों मंदिर में यज्ञ अनुष्ठान,रुद्राभिषेक,नवदुर्गा स्तोत्र पाठ,सुंदरकांड एवं देवी भागवत पाठ,सहस्रनाम स्तुति जैसे कार्यक्रम संपन्न होंगे। मुख्य कुम्भाभिषेक अनुष्ठान अंतिम दिन दोपहर बाद सम्पन्न होगा, जिसके बाद भक्तों के लिए मंदिर के पट विशेष आरती के साथ खोले जाएंगे। स्वर्ण कलश स्थापना बनी आकर्षण मंदिर के शीर्ष पर स्थापित स्वर्ण कलश इस आयोजन का प्रमुख केंद्र रहा। पारंपरिक ढोल-नगाड़ों, शंखध्वनि और वैदिक मंत्रोच्चार के बीच पूजाकर्ताओं ने कलश को विशेष प्रक्रिया के तहत स्थापित किया। इस पल को देखने के लिए स्थानीय भक्तों के साथ विदेशी श्रद्धालुओं ने भी उत्साह दिखाया।
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