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10 किमी दूर ड्यूटी, रोज 200 फॉर्म का टार्गेट:खुद की शादी, संडे भी छुट्टी नहीं; SIR वर्कलोड कैसे बना 23 BLOs की मौत की वजह

26 नवंबर को UP के फतेहपुर में BLO ड्यूटी पर तैनात लेखपाल सुधीर कुमार कोरी की शादी होनी थी। वो शादी की वजह से छुट्टी पर थे मगर 2 दिन पहले उनके ERO यानी इलेक्‍शन रजिस्‍ट्रार ऑफिसर घर आकर काम न करने को लेकर डांटने लगे। 24 नवंबर की शाम ही सुधीर ने अपने कमरे में जाकर फांसी लगा ली। BLO ड्यूटी पर लगे सरकारी कर्मचारियों पर जबरदस्‍त वर्कलोड की शिकायतें हर राज्‍य से आ रही हैं। मध्य प्रदेश – रायसेन के BLO नारायण सोनी छह दिन से लापता हैं। परिजनों ने कहा, टारगेट, देर रात मीटिंग और निलंबन की चेतावनी से वो परेशान थे। राजस्थान – जयपुर में 48 साल के BLO मुकेश जांगिड़ ने ट्रेन के आगे कूदकर जान दे दी। मुकेश सरकारी टीचर थे। यूपी – नोएडा में SIR ड्यूटी से तंग महिला टीचर ने नौकरी से इस्तीफा दे दिया। इस्तीफे में लिखा- मैंने स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) के 215 फॉर्म फीड कर दिए हैं। अब मुझसे BLO का काम नहीं होगा, न ही पढ़ा पाऊंगी। मामला नोएडा सेक्टर-34 स्थित गेझा के उच्च प्राथमिक स्कूल का है। महिला टीचर का नाम पिंकी सिंह है। BLO ड्यूटी कैसे सरकारी कर्मचारियों की जान ले रही है, जानेंगे इस स्‍टोरी में… 9 राज्‍यों में शुरू हुआ SIR, 23 BLOs ने जान दी 27 अक्टूबर को चुनाव आयोग ने उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश समेत देशभर के 9 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में SIR यानी स्पेशल इंटेंसिव रिविजन कराने की घोषणा की। 9 राज्यों यानी उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, गोवा, तमिलनाडु, केरल और गुजरात के साथ 3 केंद्र शासित प्रदेशों यानी निकोबार, लक्षदीप और पुडुचेरी में 4 नवंबर से प्रक्रिया शुरू हो गई। गणना पत्र यानी फॉर्म भरकर, जमा करने और उन्हें डिजिटली अपलोड करने के लिए दिसंबर तक का समय दिया गया है। BLO यानी बूथ लेवल ऑफिसर्स को घर-घर जाकर यह प्रक्रिया पूरी करनी है। 40 BLO का वेतन रोका, FIR दर्ज की उत्तर-प्रदेश के प्रयागराज में DM मनीष वर्मा ने SIR में लापरवाही बरतने पर 40 BLO का वेतन रोक दिया है। वहीं, नोएडा, बहराइच और बरेली में काम में लापरवाही बरतने के आरोप में BLO और SIR से जुड़े अन्य कर्मचारियों के खिलाफ FIR दर्ज की गई है। नोएडा में दर्ज अलग-अलग FIR में 60 से भी ज्यादा कर्मचारियों को नामजद किया गया है। इनमें BLO, सहायक और सुपरवाइजर शामिल हैं। ये सभी मुकदमे जनप्रतिनिधित्व की धारा 32 के तहत दर्ज किए गए हैं। गांव से 8-10 किमी. दूर ड्यूटी, स्कूल खाली उत्तर-प्रदेश में काम कर रहे BLOs का काम 2003 की वोटर लिस्ट को 2025 की वोटर लिस्ट से मिलान करने का है। इसके अलावा युवा और घर की बहुएं जो 2025 की लिस्ट में हैं और 2003 की लिस्ट में नहीं थी, उनका वेरिफिकेशन भी करना है। कुछ टीचर्स जो BLO के तौर पर काम कर रहे हैं उन्होंने बताया, ‘आमतौर पर जिस गांव में हमारी ड्यूटी होती है, वहां के बच्चों के जरिए हम उनके परिवारों को जानते हैं। इस तरह वहां की भौगोलिक और सामाजिक स्थिति के बारे में भी पता होता है। ऐसे में जब सर्वे का काम हमें दिया जाता है तो आसानी से हो जाता है। लेकिन इस बार हमें हमारी ड्यूटी की जगह से 8-10 किलोमीटर दूर BLO नियुक्त किया गया है। ऐसे में हमारा काम बहुत मुश्किल हो गया है क्योंकि इन जगहों के बारे में हम बहुत कुछ नहीं जानते।’ इस तरह की समस्याओं के अलावा BLOs को गणना पत्र यानी फॉर्म दिए गए हैं जिन पर स्कैनर लगाया है। उन्हें कहा गया है कि इन फॉर्म को लोगों को दे दीजिए और लोगों से भरे हुए फॉर्म कलेक्ट करके उन्हें स्कैन कर अपलोड करना है। यहां भी समस्या है। जागरूक और पढ़े-लिखे लोगों के लिए तो फॉर्म भरना आसान है, लेकिन जो लोग इसके बारे में ज्यादा नहीं जानते, उनके फॉर्म में एक-एक डिटेल खुद BLO को भरनी पड़ती है। कई घरों में फॉर्म को कहीं भी रख दिया जाता है, जिससे वो गंदा हो जाता है और उसे स्कैन करने में समस्या होती है। ऐसे में BLO को खुद ही फॉर्म भरना पड़ता है। हर दिन 100 फॉर्म का टारगेट, पूरा न होने पर धमकी हर BLO को दिन में 100-100 फॉर्म कलेक्ट कर उन्हें डिजिटली अपलोड करने का टारगेट शुरू में दिया गया जिसे बीच में बढ़ाकर 200 फॉर्म भी कर दिया गया। इसके अलावा कई BLOs की शिकायत यह भी है कि उन्हें इस काम के लिए कोई ट्रेनिंग नहीं दी गई है। फॉर्म को स्कैन करना, डिजिटली अपलोड करने जैसे काम के लिए प्रॉपर ट्रेनिंग की जरूरत थी जो नहीं दी गई। कई 40+ उम्र के लोगों को शुगर और बीपी जैसी बीमारियां हैं। इनके लिए लंबी शिफ्ट में काम करके टारगेट पूरा करना बहुत मुश्किल है। लेकिन इन्हें भी कोई रियायत नहीं दी गई है। BLOs का आरोप है कि प्रधान या प्रधान सचिव कोई उनकी मदद नहीं करता। SDM के पास जाने पर वो सिर्फ नौकरी से निकालने या केस करने की धमकी देता है। उत्तर प्रदेश में टीचर्स की आवाज उठाने वाले बहुजन शिक्षक संघ से जुड़े एक टीचर ने बताया, ‘मेरा छोटा भाई BLO के तौर पर फिलहाल काम कर रहा है। घर की शादी में भी नहीं आ सका। रविवार के दिन भी काम कर रहा है। रात में 10-12 बजे उससे फोन पर अपडेट मांगा जाता है। सोने का भी चैन नहीं है। समय-समय पर FIR करने और नौकरी से निकाले जाने की धमकी देते हैं। सरकारी कर्मचारी को नौकरी जाने का डर दिखाकर और ज्यादा दबाव बनाया जाता है।’ उन्होंने आगे बताया कि SIR को लेकर न तो लोगों को जागरूक किया गया है और न ही BLOs को किसी तरह की ट्रेनिंग दी गई है। ऐसे में प्रेशर दोगुना हो गया है। कई टीचर्स काम समझ न आने के चलते परेशान हैं। काम की ट्रेनिंग नहीं, खाली पड़े स्कूल छत्तीसगढ़ की एक टीचर ने बताया, ‘डोर टू डोर जाने को बोला गया। हम गए भी। फॉर्म लोगों को दिए। दो-तीन हफ्तों से रोजाना उनके पास जाते हैं फॉर्म कलेक्ट करने लेकिन उन्होंने फॉर्म भरा ही नहीं है। कई-कई बार लोगों को समझाते हैं फिर भी फॉर्म नहीं भरते हैं। इधर अधिकारी हम पर चिल्लाते हैं कि फॉर्म कलेक्ट क्यों नहीं किए। अधिकारी कहते हैं कि सुबह 7 बजे घर से निकलकर शाम को 7-8 बजे तक काम करो। खाने-पीने तक का कोई इंतजाम नहीं है। पॉलिटिकल पार्टीज के जनसेवक फोन बंद करके रखते हैं, आते ही नहीं है। ससुरजी की मौत हो गई थी लेकिन फिर भी छुट्टी नहीं दी थी। बस डोर टू डोर जाने से छूट मिली थी। घर से फॉर्म दे रही थी लोगों को।’ एक अन्य BLO ने बताया कि इस काम की उन्हें कोई ट्रेनिंग नहीं दी गई है। सारे काम जब ऑनलाइन हो रहे हैं तो ट्रेनिंग होनी चाहिए इसके लिए। हर BLO इतना समर्थ नहीं है। साइट की भी दिक्कत है, खुलती ही नहीं है। एक दिन रात के 12 बजे साइट खुली तो सुबह 4 बजे तक काम किया। टारगेट दे देते हैं, और कहते हैं कि कैसे भी करना ही करना है। स्कूल कौन संभालेगा, एग्जाम्स आ रहे हैं- लेकिन उसके लिए कोई अलग से इंतजाम नहीं है। कोई छुट्टी नहीं है। टारगेट पूरा न करो तो तुरंत वेतन रोकने की धमकी देने लगते हैं। यही काम थोड़ा समय लेकर करते तो अच्छे से हो जाता। लोगों की ट्रेनिंग करते तो बेहतर तरीके से काम हो जाता। एक BLO ने बताया, ‘काफी कॉम्प्लेक्स डाटा है, उसे फीड करना आसान काम नहीं है, टेक्निकल है। उसकी कोई ट्रेनिंग नहीं हुई है। हर पर्सन के दो फॉर्म है। एक एक्सेल फाइल है, जिसपर हर दिन टारगेट पूरा न करने वाले को लाल रंग से मार्क करते हैं और सस्पेंड करने की धमकी देते हैं। कहते हैं सैलरी रोक देंगे। अब किसी ने लोन लिया है, किसी के घर में शादी है, किसी के घर में मौत हुई है- तो अचानक नौकरी जाने से डर लगता है। सभी स्कूल करीब 15 दिन से खाली पड़े हैं । सभी टीचरों को इस काम में लगा दिया है। बिहार में इस काम के लिए 6 महीने लगे, यहां 15 दिन में कराना चाह रहे हैं। हर BLO पर सुपरवाइजर लगा रखा है। टारगेट पूरा न करने पर तंग करते हैं। ———————— ऐसी ही और खबरें पढ़ें… EWS कोटे से दिया NEET PG:फिर NRI कोटे से एडमिशन, फीस 1 करोड़ से भी ज्‍यादा; 140 कैंडिडेट्स के दाखिले पर सवाल EWS यानी आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के कैंडिडेट्स NEET PG में एडमिशन के लिए करोड़ों रुपए तक खर्च कर रहे हैं। एक न्यूज रिपोर्ट के अनुसार, इस साल लगभग 140 कैंडिडेट्स ने ऐसे प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन लिया है, जिनकी सालाना ट्यूशन फीस 25 लाख से 1 करोड़ रुपए तक है। ये सीटें मैनेजमेंट और NRI कोटे में आती हैं। पूरी खबर पढ़ें…


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