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बीआरडी पीजी कॉलेज की 5 एकड़ भूमि पर कब्जा:कब्जा बन रहा बड़ी बाधा, नई शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप योग्यता पूरी

देवरिया का ऐतिहासिक और पूर्वांचल का महत्वपूर्ण शिक्षा संस्थान बीआरडी पीजी कॉलेज राज्य विश्वविद्यालय बनने की दिशा में आगे बढ़ चुका है। महाविद्यालय प्रशासन के अनुसार, नई शिक्षा नीति (NEP-2020) के तहत यह सभी आवश्यक शैक्षणिक और अव संरचनात्मक मानक पूरे करता है। कॉलेज में शिक्षकों की उपलब्धता, आधुनिक प्रयोगशालाएं, पुस्तकालय, खेल सुविधाएं और चार हजार से अधिक छात्र-छात्राओं की संख्या इसे राज्य विश्वविद्यालय बनने के लिए सक्षम बनाती है। हालांकि विश्वविद्यालय बनने के लिए आवश्यक 70 एकड़ भूमि में से लगभग 5 एकड़ भूमि पर बाहरी कब्जा प्रशासन के सामने चुनौती खड़ी कर रहा है।कॉलेज प्रशासन ने शासन को भेजे गए प्रस्ताव में कहा है कि यदि यह भूमि कब्जे से मुक्त नहीं हुई तो विश्वविद्यालय बनने की प्रक्रिया खतरे में पड़ सकती है। कहां और किस प्रकार का है कब्जा कॉलेज की भूमि मेहड़ा नगर, अमेठी और देवरिया खास के विभिन्न हिस्सों में फैली है। प्रो. प्रताप नारायण सिंह (प्राचार्य) बताते हैं कि इस विवाद के कारण विश्वविद्यालय बनने की प्रक्रिया में देरी हो रही है। गौरवशाली इतिहास और शिक्षा का केंद्र बीआरडी पीजी कॉलेज की स्थापना 1954 में कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर एंड रिसर्च के रूप में हुई थी। यह पूर्वांचल में कृषि शिक्षा की शुरुआत करने वाला पहला संस्थान था।शुरुआत में इसकी संबद्धता आगरा विश्वविद्यालय से थी, जिसे 1956-57 में गोरखपुर विश्वविद्यालय में बदल दिया गया।वर्तमान में यहाँ चार हजार से अधिक छात्र-छात्राएं पढ़ाई कर रहे हैं और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (IGNOU) के 30 से अधिक कोर्स भी संचालित होते हैं। शैक्षणिक और प्रशासनिक स्थिति महाविद्यालय में 80 नियमित शिक्षक पदों में से 72 शिक्षक और 5 मानदेय शिक्षक कार्यरत हैं।कर्मचारियों की संख्या अपेक्षानुसार कम है, लेकिन शैक्षणिक सुविधाएं किसी बड़े विश्वविद्यालय से कम नहीं हैं। इन सभी सुविधाओं के बावजूद भूमि विवाद विश्वविद्यालय बनने की राह में सबसे बड़ी चुनौती है। स्थानीय प्रशासन से अपेक्षाएं कॉलेज प्रशासन लंबे समय से कब्जा हटाने की मांग कर रहा है। राजस्व और पुलिस विभाग को कई बार भूमि नक्शा और खसरा सौंपा गया, लेकिन कार्रवाई नहीं हो पाई।स्थानीय बुद्धिजीवियों और पूर्व छात्रों का कहना है कि यदि कब्जा हट गया तो बीआरडी पीजी कॉलेज पूर्वांचल का बड़ा विश्वविद्यालय बन सकता है और हजारों छात्रों को लाभ मिलेगा। राज्य विश्वविद्यालय बनने के फायदे यदि बीआरडी पीजी कॉलेज राज्य विश्वविद्यालय में बदलता है तो— लेकिन यह सब तभी संभव है जब कॉलेज को उसकी पूर्ण 70 एकड़ भूमि वापस दिलाई जाए।


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