गोरखपुर के तुर्कमानपुर में आयोजित मसलके आला हजरत कान्फ्रेंस में देर शाम सुन्नी बरेलवी समाज के लिए महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया। भारत के नायब काजी और मुहद्दिसे कबीर अल्लामा जियाउल मुस्तफा कादरी ने काजी-ए-हिंदुस्तान अल्लामा मुफ्ती मुहम्मद असजद रज़ा खां कादरी के निर्देश पर मुफ्ती मुहम्मद अजहर शम्सी को गोरखपुर के सुन्नी बरेलवी मुसलमानों का शहर काजी घोषित किया। इस अवसर पर अल्लामा जियाउल मुस्तफा को इमामुल आइम्मा और मुफ्ती अबू यूसुफ को सैफे अमजदी अवार्ड से सम्मानित किया गया। स्वागत हाफिज मुहम्मद फरहान इस्माइली और मुहम्मद अरशद ने किया। एकजुटता से मुसलमानों के मसलों का हल अल्लामा जियाउल मुस्तफा ने कहा कि मजहबी और सामाजिक समस्याओं के समाधान के लिए मुसलमानों को एकजुट होकर काम करना होगा। उन्होंने अहले सुन्नत और जमात की तरक्की पर जोर देते हुए कहा कि मसलके आला हजरत इंसानियत, भाईचारे और हक के लिए काम करने का प्रतीक है। इसके तहत नबी-ए-पाक हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की शिक्षाओं का प्रचार करना सभी की जिम्मेदारी है। अमन और इंसानियत नबी-ए-पाक के रास्ते में अल्लामा ने कहा कि दुनिया में अमन और सुकून तभी आएगा जब मुसलमान नबी-ए-पाक के बताए रास्ते पर चलें। उन्होंने शरीअत की पाबंदी, भाईचारे का माहौल बनाए रखना और समाज में इंसानियत की सेवा करने को अहम बताया। मुख्य वक्ता ने आला हजरत की इल्मी विरासत पर प्रकाश डाला मुख्य वक्ता मुफ्ती अबू यूसुफ मुहम्मद कादरी अजहरी ने कहा कि आला हजरत इमाम अहमद रजा खां फाजिले बरेलवी ने कलम और इल्मी योगदान से सुन्नियत और मुसलमानों के ईमान की रक्षा की। उनके लिखे एक हजार से अधिक किताबें और शोध कार्य आज भी दुनिया भर में अनुकरणीय हैं। नवनियुक्त शहर काजी ने जताई प्रतिबद्धता शहर काजी मुफ्ती मुहम्मद अजहर शम्सी ने कहा कि उन्हें मिली जिम्मेदारी को पूरी ईमानदारी और लगन से निभाएंगे। उन्होंने नबी-ए-पाक, सहाबा और अहले बैत की शिक्षाओं पर चलने और समाज में भाईचारा कायम रखने का संकल्प दोहराया।
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