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हथौड़े से कूचकर की थी मां बेटी की हत्या:दामाद की तलाश, गोरखपुर में दाह-संस्कार करने वाली बेटी और प्रापर्टी डीलर पर भी शक

गोरखपुर के शाहपुर थाना क्षेत्र के घोषीपुरवा मोहल्ले में मां शांति देवी (75) और बेटी विमला जायसवाल (55) की हथौड़ी से सिर पर वार कर रविवार की रात हत्या कर दी गई थी। अब जांच का फोकस मकान के रजिस्टर्ड एग्रीमेंट, प्रॉपर्टी डीलर, सौतेली बेटियों और बेटी सुशीला के बदले-बदले बयानों पर केंद्रित हो गया है। इसके साथ ही रजिस्टर्ड एग्रिमेंट करने वाले प्रापर्टी डीलर और बिचौलिए का काम करने वाले सौतेली बेटी व दामाद शक के दायरे में आ गए हैं। पुलिस प्रापर्टी डीलर से पूछताछ शुरू कर दी है। वहीं सौतेली बेटी दामाद की तलाश में दबिश दे रही है।
सोमवार देर रात अज्ञात हमलावरों ने शांति देवी (75) और उनकी बेटी विमला जायसवाल (55) की हथौड़े से सिर पर वार कर हत्या कर दी थी। दोनों के शव कमरे में खून से सने मिले थे। पुलिस के अनुसार पुलिस टीमें प्रॉपर्टी विवाद, आटो व ई रिक्शा चालक विवाद और अचानक हुए वारदात के एंगल समेत अन्य बिंदुओं पर जांच शुरु की है। बयान बदल रही सुशीला पर भी शक पुलिस सूत्रों के अनुसार पुलिस ने जब सुशीला से मकान के एग्रीमेंट से संबंध में पूछताछ की तो उसने पहले पहले एग्रीमेंट वर्ष 2017 में होने की बात कही, फिर 2019 और बाद में 2020 का हवाला दिया, जिससे शक और गहरा गया। रजिस्टर्ड एग्रीमेंट में कई विसंगतियां मिलने के बाद पुलिस ने प्रॉपर्टी डीलर अजय मिश्रा को थाने बुलाकर आमने-सामने बैठकर पूछताछ की। एग्रीमेंट में यह भी दर्ज है कि मां शांति देवी के जीवित रहने तक मकान खाली नहीं कराया जाएगा और उनके निधन के बाद विमला को लखनऊ भेजे जाने की बात लिखी गई है। यह बिंदु पुलिस की जांच में नया मोड़ लेकर आया है।
उधर, मृतका की सौतेली बेटी डॉली और उसके पति रूपेश की भी भूमिका संदिग्ध मानी जा रही है, क्योंकि एग्रीमेंट करवाने में उनकी भूमिका सामने आई है। पुलिस दोनों की तलाश कर रही है। साथ ही मोहल्ले के दुकानदारों, पड़ोसियों और मकान में रहने वाले किराएदारों से भी पूछताछ की जा रही है। किराएदारों में एक ट्रैवल्स कंपनी का चालक भी शामिल है। जिसे कुशीनगर से बुलाकर पूछताछ की गई। इसके साथ ही सुशीला व शक के दायरे में आए प्रापर्टी डीलर, हिरासत में लिए गए ई-रिक्शा चालक और चाउमीन बेचने वाले समेत सात लोगों की कॉल डिटेल और लोकेशन भी खंगाली जा रही है। वहीं पुलिस मोबाइल टॉवर लोकेशन, सीसीटीवी फुटेज और तकनीकी साक्ष्यों के आधार पर हत्यारे की तलाश तेज कर चुकी है। सुशीला ने घर पर कराया पूजा-पाठ पुलिस के साथ घर जाकर निरीक्षण करने वाली बेटी सुशीला गुरुवार को अकेले घर पहुंची। उसने लोगों से कमरे में जमा खून साफ करवाया और पूजा-पाठ कराया। पुलिस इसे भी संदेह की दृष्टि से देख रही है, क्योंकि इस समय घटनास्थल पर कोई भी छेड़छाड़ जांच को प्रभावित कर सकती है।

सौतेली बहन डॉली और दामाद रूपेश की तलाश जांच में सामने आया है कि मकान का रजिस्टर्ड एग्रीमेंट मृतका की सौतेली बेटी डॉली के पति रूपेश (बिहार निवासी) के जरिए कराया गया था। एग्रीमेंट में साफ लिखा था कि, जब तक मां जिंदा रहेगी, मकान खाली नहीं किया जाएगा। उनकी मृत्यु के बाद विमला लखनऊ चली जाएगी। अब सवाल यह उठ रहा है कि एग्रीमेंट होते समय सुशीला कहां थी, और क्या मां-बेटी को इस एग्रीमेंट की शर्तों की पूरी जानकारी थी। पुलिस डॉली और उसके पति रूपेश की तलाश में टीम भेज रही है। प्रारंभिक जांच में वह दोनों वारदात के तुरंत बाद से लापता हैं, जिससे शक और गहरा गया है।
मकान का एग्रीमेंट कराने वाले प्रॉपर्टी डीलर अजय मिश्रा को थाने बुलाकर पुलिस ने सुशीला के सामने बैठाकर पूछताछ की। दोनों के बयानों में भारी विरोधाभास मिले हैं। यही वजह है कि पुलिस इन दोनों की कॉल डिटेल्स, पुरानी बातचीत और लेन-देन का रिकॉर्ड खंगाल रही है। मोहल्ले में सिर्फ आठ मकान जहां मां-बेटी रहती थीं, वह गली बेहद छोटी है, इसलिए पुलिस हर घर के लोगों से पूछताछ कर रही है। पुलिस को पता चला कि सुशीला के संबंध मोहल्ले में रहने वाले एक परिवार से काफी घनिष्ठ हैं और पिछले दो दिनों से वह उन्हीं के दूसरे मकान में रह रही है। पुलिस उस परिवार से बयान दर्ज की है। घटना वाले घर में दो किराएदार रहते थे। उनमें से एक को प्रॉपर्टी डीलर ने ही रखा था। जो वर्तमान में गाड़ी लेकर कुशीनगर गया हुआ। वह एक ट्रैवल्स कंपनी में चालक है। पुलिस ने उसे कॉल कर बयान दर्ज करने के लिए बुलाया है। सुशीला को जांच हाेने तक शहर में रहना होगा जांच पूरी होने तक पुलिस ने सुशीला को शहर में ही रहने के निर्देश दिए हैं, ताकि किसी भी वक्त पूछताछ की जा सके। पुलिस अब हत्या के पीछे प्रॉपर्टी विवाद, सौतेले रिश्तों की खटास, एग्रीमेंट की शर्तों और आर्थिक लेन-देन को आधार बनाकर तहकीकात तेज कर चुकी है। यह मामला अब गहराई में जाता दिख रहा है और पुलिस की मानें तो हत्यारे तक पहुंचने में कुछ महत्वपूर्ण सुराग मिल चुके हैं। रविवार रात 11 बजे मर्डर, सोमवार रात को मिली लाशें
ये मर्डर गोरखपुर के शाहपुर इलाके के घोषीपुरवा में हुआ। पुलिस के मुताबिक, कातिल ने हत्या रविवार की रात को 11 बजे के बाद की है। इसके बाद शांति देवी और विमला को किसी ने देखा नहीं। विमला जिस फर्नीचर शोरूम पर काम करती थी, वहां के मालिक रामानंद उन्हें सोमवार को कॉल करते रहे, जब उनका फोन नहीं उठा, तब वह विमला के मकान पर पहुंचे। दरवाजा लॉक था, उन्होंने पड़ोसियों से पूछा, तो उन्होंने भी कहा कि आखिरी बार रविवार को दोनों को देखा गया था। उसके बाद घर में हलचल नहीं हुई। शक होने पर शोरूम मालिक ने ही पार्षद और पुलिस को कॉल किया। जब सोमवार रात 8.30 बजे दरवाजा तोड़कर पुलिस अंदर दाखिल हुई, तब डबल मर्डर के बारे में पता चला। इसके बाद डॉग स्क्वायड और फोरेंसिक टीम ने जांच शुरू की। शांति देवी की बड़ी बेटी सुशीला जायसवाल लखनऊ के विकासनगर में अपने पति नवीन चंद जायसवाल के साथ रहती हैं। वह मंगलवार को गोरखपुर पहुंची। साथ में उनका बेटा ऋषभ भी था। उनकी मौजूदगी में दोनों लाशों का पोस्टमॉर्टम कराया गया। मां के शव से लिपटकर बेटी चिल्लाई, अब किससे मिलने आऊंगी
डॉक्टर के मुताबिक, दोनों के सिर की हड्‌डी 4 से 5 टुकड़ों में मिली है, इससे उनकी मौत हुई। मंगलवार शाम को दोनों की बॉडी को राजघाट ले जाया गया। राजघाट पर करीब 5.30 बजे बड़ी बेटी सुशीला ने अपनी मां और बहन के शव का दाह संस्कार किया। इस दौरान वह अपनी मां और बहन के शव से लिपटकर रोने लगीं। वह सिसकते हुए बोल रही थीं- अब किसके लिए गोरखपुर आऊंगी। रोज रात को एक घंटे हमारी बातें होती थीं। जिस तरह हत्यारे ने मारा है, इससे भी बुरी मौत उसको मिले। मेरी मां और बहन को तभी इंसाफ मिलेगा। चिता की तरफ बेटी भागी, तो लोगों ने पकड़ा
बड़ी बेटी सुशीला को लोगों ने संभाला, तब उन्होंने मुखाग्नि दी। अचानक सुशीला बदहवास हो गई, परिवार के दो लोगों ने उनके हाथ पकड़ लिए। वो चिता की तरफ भागने लगी, वो रोते हुए कह रही थी- किसने मार डाला मेरी मां को। मेरे सिवा उनका कौन था…? राजघाट में घोसीपुरवा में रहने वाले दो पड़ोसी भी पहुंचे थे। चिता को आग देते समय सुशीला देवी के साथ ही पड़ोसी भी रोने लगे। इस दौरान शाहपुर पुलिस भी मौजूद रही। सुशीला ने पुलिस के साथ घर के दोनों कमरों और अलमारी को खोलकर देखा था। सब कुछ देखने के बाद उन्होंने आरोप लगाए कि घर से विमला के गहने और रुपए गायब हैं। घर से 8.5 लाख रुपए और जेवर नहीं मिले
पुलिस को मर्डर होने के 24 घंटे के अंदर कुछ क्लू मिले हैं। पुलिस मान रही है कि मर्डर करने के लिए पूरी प्लानिंग की गई। कातिल इस घर के स्ट्रक्चर को समझ रहा था। इसलिए पुलिस उस प्रॉपर्टी डीलर को ढूंढ रही है, जोकि इस मकान का सौदा करवा रहा था। पूरी डील 4 करोड़ में होनी थी। बहन सुशीला इस मर्डर के पीछे लूट का कारण बता रही है, क्योंकि अलमारी से जेवर और 8.50 लाख कैश गायब है। सुशीला के मुताबिक, उसकी बहन विमला के घुटने का ऑपरेशन होना था, जिसके लिए उसने 8.50 लाख रुपए दिए थे। रकम घर में रखी थी और विमला अक्सर सोने की चेन व 18 ग्राम की ब्रेसलेट पहनती थी, जो गायब हैं। सुशीला का दावा है कि हत्यारे ने वारदात के बाद नकदी और जेवरात दोनों ले लिए। हालांकि उसकी मां शांति देवी के शरीर पर उनके जेवर जस के तस मिले, जिससे परिजन आश्वस्त हैं कि हत्या सिर्फ लूट के लिए नहीं हुई। ये भी सामने आया कि बुजुर्ग मां और बेटी का ई रिक्शा पार्किंग को लेकर भी कुछ लोगों से झगड़ा चल रहा था। पूछताछ में सामने आया कि घर के पास एक ई-रिक्शा चालक रहता है। वह रोज शांति देवी के घर के सामने गाड़ी खड़ी करके चार्ज करता था। इस पर मां-बेटी ने आपत्ति जताई थी। जिसके बाद ऑटो चालक से झगड़ा भी हुआ था। इसकी शिकायत मां-बेटी ने घोषीपुरवा के पार्षद से भी की थी। इसलिए इस परिवार के नजदीकी लोगों के इर्द गिर्द ही पूरी जांच घूम रही है। पुलिस ये भी मान रही है कि कातिल 1 से ज्यादा थे, ऐसे में पूरे एरिया के CCTV भी देखे जा रहे हैं। रात में दूध लेने गई थी विमला
जांच कर रही पुलिस टीम घर से थोड़ी दूर दुकानों में लगे सीसीटीवी में एक जगह रात करीब 11 बजे विमला एक दुकान से पैकेट वाला दूध लेकर जाती दिखी है। इसके बाद कोई लोकेशन नहीं मिली। 20 नवंबर को हुई थी मां-बहन से बात
सुशीला ने बताया कि 20 नवंबर को उसकी मां और बहन से उसकी बात हुई थी, सब कुछ सामान्य था। एक माह पहले वह अपनी आंख का ऑपरेशन कराने गोरखपुर आई थी और 20 दिन मां-बहन के साथ रहकर लखनऊ लौटीं थी। हत्या की खबर सुनकर वह दोबारा परिवार संग शहर पहुंची। पुलिस की नजर मकान की हिस्ट्री पर
सुशीला ने बताया कि उसके पिता रामनरेश ने जीवनकाल में यह मकान मेरे बेटे ऋषभ के नाम वसीयत किया था। इसके बाद ऋषभ ने बालिग होने पर अपनी मां सुशीला को पावर ऑफ अटॉर्नी सौंप दी। उन्होंने 5 साल पहले एक प्रॉपर्टी डीलर अजय मिश्रा को 55 लाख रुपए में रजिस्टर्ड एग्रीमेंट भी कर दिया था। पिता रामनरेश ने 2 शादियों की थी। उनकी दूसरी पत्नी की बेटियों से कमरे खाली कराए गए थे। घोषीपुरवा स्थित यह मकान करीब 4000 वर्ग फीट का है। मकान का हाउस टैक्स बेतियाहाता निवासी अजीत शाही के नाम चढ़ा होने को लेकर भी वर्षों से विवाद रहा है। इतना ही नहीं, लगभग 10 साल पहले एक छात्र नेता ने भी अपने लोगों को किरायेदार बनाकर जबरन कब्जा करने की कोशिश की थी, लेकिन मामला गोरखनाथ मंदिर तक पहुंचने पर उनके लोग मकान छोड़कर चले गए थे। इससे प्रमाणित होता है कि यह मकान लगातार विवादों में रहा है। रामनरेश ने बनवाया था दो मंजिला मकान
शांति देवी और उनकी अविवाहित बेटी विमला जायसवाल गीता वाटिका के पास स्थित दो मंजिला पैतृक मकान में रहती थीं। जानकारी के अनुसार शांति देवी के पति रामनरेश जायसवाल वर्ष 1965 में गोरखपुर आए थे और उन्होंने यहीं मकान बनवाया था। रामनरेश की दो शादियों से कुल चार बेटियां थीं। उनकी पहली पत्नी से बड़ी बेटी सुशीला जायसवाल की शादी जौनपुर में की गई, जो वर्तमान में अपने पति और बच्चों के साथ लखनऊ में रहती हैं। दूसरी पत्नी की दोनों बेटियों ने प्रेम विवाह किया था, जबकि विमला ने शादी न करके अपनी वृद्ध मां की देखभाल की जिम्मेदारी उठाई। पहले मां फिर बेटी का शव मिला
मौके पर सबसे पहले शांति देवी का शव मिला था, बाद में विमल का शव घर के अंदर अलग स्थान से बरामद हुआ। शांति देवी उम्र और बीमारी के कारण चलने-फिरने में असमर्थ थीं, ऐसे में उनके खिलाफ अत्यधिक बल प्रयोग यह दर्शाता है कि आरोपी उन्हें पहचानता था और उन्हें चुप कराने के लिए वारदात की गई। वहीं पड़ोसियों का कहना है कि घटना वाली रात किसी तरह की आवाज बाहर नहीं सुनाई दी। पुलिस का मानना है कि हत्या परिचित द्वारा की गई है, क्योंकि घर में जबरन घुसने या हाथापाई के संकेत नहीं मिले हैं। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के अनुसार, दोनों के सिर पर भारी हथौड़े जैसे हथियार से कई प्रहार किए गए हैं। पुलिस ने मौके से शराब की बोतल, बिखरे सामान, टूटी अलमारी और कुछ संदिग्ध निशान भी कब्जे में लिए हैं।


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