गोरखपुर में गीता जयंती के अवसर पर गीता प्रेस के लीला-चित्र-मंदिर आयोजित मधुर रामकथा के तीसरे दिन वृंदावन से आए पंडित रामज्ञान पांडेय ने कथा को आगे बढ़ाते हुए बताया कि मानव-जीवन की शाश्वत समस्या का समाधान करने के लिए साक्षात परमब्रह्म परमात्मा मानव के रूप में अवतरित हुए। उन्होंने राम और केवट संवाद की कथा सुनाकर श्रद्धालुओं को समझाया कि ईश्वर जब मानव अवतार लेता है तो चमत्कार न दिखाकर मानव के अनुकूल व्यवहार करता है। उन्होंने कहा- समुद्र के ऊपर सेतु बनाकर भगवान राम ने यह साबित कर दिया। प्रकृति की एक शक्ति है चमत्कार
पंडित राम ज्ञान पांडेय ने कहा – चमत्कार प्रकृति की एक शक्ति है, जो व्यक्ति उसे पहचानता है, वह चमत्कार दिखाने में सफल हो जाता है। चमत्कार से ईश्वर का कोई लेना देना नहीं है। राम और कृष्ण की जगह रावण, कंस आदि चमत्कार अधिक दिखाते हैं। भगवान राम चमत्कार दिखाते तो रामराज्य में विघ्न नहीं पड़ता। पंडित रामज्ञान ने केवट कथा का वर्णन करते हुए कहा- केवट के सामने भगवान को नदी पार करने के लिए नाव मांगने की आवश्यकता नहीं थी। यह भगवान वही भगवान हैं जिन्होंने बलि की यज्ञशाला में ढ़ाई पग में पूरे ब्रह्माण्ड को नाप लिया था। केवट जब कहता है- चरण धोने के बाद ही उस पार ले जाऊंगा तो प्रभु ने उसे स्वीकार कर लिया। मानों प्रभु ने कहा अहंकारियों के अहंकार को तो नाप लेता हूं। केवट तो प्रेमी है, प्रेमी के प्रेम को नापने की सामर्थ्य मेरे पास नहीं है। उन्होंने बताया कि दूसरी तरफ तटपर भगवान राम को देखकर गंगा अत्यन्त प्रसन्न हुई। सोचने लगी कि जिनके चरण रज से मेरा जन्म हुआ है, आज मेरे तट पर खड़े हैं। इस दौरान जब राम ने समुद्र के ऊपर बनाई सेतु
पंडित ने आगे बताया- समुद्र के तट पर भी चमत्कार न दिखाकर मानव के अनुकूल आचरण करते हैं और समुद्र कहता है, प्रभु आप इतने सामर्थ्यवान हैं चाहे तो मुझे सुखा दीजिए। पर मैंने सुना है आप किसी की मर्यादा को बिगाड़ते नहीं हैं। मेरे ऊपर पुल बांधकर आप पार हो जाएं मेरी ,मर्यादा बनी रहेगी। प्रभु ने समुद्र की बात की मानकर सेतु का निर्माण किया। यह केवल समुद्र के ऊपर ही सेतु नहीं बनाया सेतु के माध्यम से विभीषण के हृदय पर सेतु का निर्माण कर दिया। क्योंकि विभीषण का ही प्रस्ताव था प्रार्थना करके रास्ता मांगिए। जबकि लक्ष्मण का प्रस्ताव था समुद्र की सुखा दीजिए। अब भगवान श्रीराम के सामने दो भाई हैं, एक अपना, दूसरा शत्रु का। अपना परखा हुआ भाई लक्ष्मण है, पर विभीषण की परीक्षा होना अभी बाकी है। विभीषण की योजना माने राम
भगवान श्रीराम ने तीन दिन तक प्रार्थना की। चौथे दिन योजना का त्याग करके धनुष के ऊपर बाण चढ़ा दिया। विभीषण का हृदय गद्गद हो गया कि श्रीराम ने मेरी मान्यता को महत्त्व दिया है। उसका परिणाम यह हुआ कि लंका के सारे गुप्त रहस्य श्रीराम के सामने प्रकट कर दिया। इसीलिए श्रीराम के लिए सेतु की उपाधि दी गयी है। महर्षि विश्वामित्र और गुरु वशिष्ठ दोनों ने श्रीराम को सेतु कहा है जो समाज को जोड़ते का काम करता है।
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