शातिर साइबर ठगों ने पॉवर ग्रिड से रिटायर्ड इंजीनियर को डिजिटल अरेस्ट कर 19 दिन में 42.50 लाख रुपए की ठगी की। शातिर ने खुद को सीबीआई में तैनात आईपीएस अफसर बताकर घुड़की दी। जेट एयरलाइंस के संस्थापक नरेश गोयल से जुड़े मनी लॉड्रिंग मामले का हवाला देकर इंजीनियर को रौंब में लिया और 19 दिनों तक डिजिटल अरेस्ट में डरा-धमकाकर रखा। बर्रा के जूही कला स्थित एक अपार्टमेंट में रहने वाले पॉवर ग्रिड से रिटायर्ड इंजीनियर राजेंद्र प्रसाद के मुताबिक 7 अगस्त को उनके मोबाइल पर एक अनजान व्हाट्सएप कॉल आई। कॉल करने वाले ने खुद को सीबीआई में तैनात आईपीएस अधिकारी बताया। परिचय देने के बाद उसने कहा कि उनके आधार कार्ड का इस्तेमाल करके मुंबई के केनरा बैंक में फर्जी खाता खोला गया, जिसका उपयोग जेट एयरलाइंस के संस्थापक के मनी लॉड्रिंग मामले में हुआ है। इसके बाद शातिर ने डराने के लहजे में घुड़की दी कि सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई के लिए वीडियो कॉल पर उपस्थित भी रहना होगा। उन्होंने अपनी बात रखनी चाही तो शातिर ने उन्हें डरा समझ लिया और कहा कि उन्हें लगातार वीडियो कॉल पर रखना होगा और इस अवधि में किसी से बात नहीं होगी। इसके बाद साइबर ठग ने कहा कि जांच के दौरान उनके सभी खातों में जमा रकम आरबीआई के बताए गए खातों में ट्रांसफर करनी होगी। जांच प्रक्रिया पूरी होने पर 72 घंटे में अंदर उनका पैसा फिर खातों में वापस कर दिया जाएगा। डर के कारण इंजीनियर ने 11 से 21 अगस्त के बीच 5 बार में कुल 42.50 लाख रुपए बताए गए मुंबई के विभिन्न बचत और चालू खातों में आरटीजीएस कर दिए। ठगी का अहसान होने पर पुलिस व साइबर सेल में शिकायत की। सुप्रीम कोर्ट का जज बनकर बैठा जालसाज रिटायर्ड इंजीनियर राजेंद्र प्रसाद के अनुसार रकम ट्रांसफर के दौरान ही 18 अगस्त को शातिर ने फर्जी ऑनलाइन सुप्रीम कोर्ट में हियरिंग भी कराई। व्हाट्सए वीडियो कॉल होने से एक व्यक्ति जज बनकर बैठा दिखाई दिया। उसने कहा कि तुम्हारी धनराशि जांच में सही पाई गई है। हियरिंग के दौरान वकील बनकर खड़े शातिरों ने अनेकों सवाल किए। किसी भी जवाब पर आपत्ति भी नहीं जताई। वकील की फीस एक लाख मांगने पर हुआ संदेह इंजीनियर राजेंद्र प्रसाद ने बताया कि पैसे ट्रांसफर व ऑनलाइन हियरिंग के बाद 26 अगस्त को शातिर ने एक लाख रुपए की वकील फीस मांगी, तब जाकर पूरे मामले पर संदेह हुआ। क्योंकि हियरिंग में वकील फीस कभी सुनी नहीं थी। संदेह पुख्ता तब हुआ जब नोएडा में नौकरी करने वाला उनका बेटे घर पहुंचा और उसने कॉल कटवाकर तुरंत साइबर थाने में शिकायत कराई। डीसीपी साउथ दीपेंद्र नाथ चौधरी ने बताया कि कोई भी जांच एजेंसी डिजिटल अरेस्ट नहीं करती। खुद को प्रभावशाली बताकर डर और भ्रम पैदा करके यह ठगी की गई है। शातिर इसी तरह मानसिक रूप से सीसी नियंत्रित करने की रणनीति अपनाते हैं। रिपोर्ट दर्ज कर जांच की जा रही है।
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