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लखनऊ में ‘घर का न घाट का’ नाटक का मंचन:संस्कृति मंत्रालय के अनुदान से अचला बोस ने किया निर्देशन

नाट्य आकांक्षा थियेटर आर्ट्स ने आज लखनऊ के अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान, गोमती नगर प्रेक्षागृह में सुप्रसिद्ध नाट्य रचना जयवर्धन की कृति ‘घर का न घाट का’ का मंचन किया। यह प्रस्तुति भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय, नई दिल्ली के वर्ष 2025-26 के रिपेट्री ग्रांट के तहत आयोजित की गई। नाटक का निर्देशन वरिष्ठ नाट्य निर्देशक और उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी अवार्डी अचला बोस ने किया।कार्यक्रम का उद्घाटन और दीप प्रज्वलन कर इलाहाबाद उच्च न्यायालय, लखनऊ बेंच के न्यायमूर्ति मनीष कुमार द्वारा किया गया। न्यायालय ने अमन को तीन पत्नियों के साथ रहने की अनुमति दी.. नाटक की कथावस्तु सामाजिक परंपराओं और व्यक्तिगत इच्छाओं के टकराव पर आधारित है। इसमें नायक अमन अपनी पत्नी रमा की सहमति से विधवा प्रिया से विवाह कर लेता है। रमा एक द्वितीय श्रेणी की अधिकारी है, जबकि प्रिया नृत्यांगना है। अमन की व्यस्तता और परिस्थितियों के कारण घर में कलह उत्पन्न होता है, जिसके बाद प्रिया मुकदमा दर्ज करा देती है। अंततः, न्यायालय ने अमन को तीन पत्नियों के साथ रहने की अनुमति दी। नाटक में विजय वीर सहाय ने सूत्रधार की भूमिका निभाई, जबकि अरुण कुमार विश्वकर्मा अमन, मुस्कान सोनी रमा और ज़ारा हयात (बुशरा फातिमा) प्रिया के किरदार में नज़र आए। कलाकारों के दमदार अभिनय और हास्य प्रस्तुति ने दर्शकों का खूब मनोरंजन किया। नाटक में प्रमुख कलाकारों ने किरदार निभाया नाटक के तकनीकी पक्ष में जामिया शकील और शिवरतन ने सेट डिजाइन, देवाशीष मिश्रा ने प्रकाश व्यवस्था, श्रद्धा बोस ने पाश्र्व संगीत और आमिर मुख्तार ने उद्घोषणा का कार्य संभाला, जिससे प्रस्तुति और भी प्रभावशाली बनी। अचला बोस के निर्देशन में इस नाटक ने सामाजिक संदेश और मनोरंजन का सफल संतुलन प्रस्तुत किया, जिसने दर्शकों पर गहरी छाप छोड़ी।


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