राणा सांगा बयान मामला: एमपी-एमएलए कोर्ट में सुनवाई टली, अगली तारीख 5 दिसंबर आगरा। राज्यसभा सांसद रामजी लाल सुमन के विवादित राणा सांगा बयान से जुड़े सिविल रिवीजन केस की सुनवाई बुधवार को एमपी/एमएलए कोर्ट (एडीजे-19), आगरा में हुई। अदालत में विपक्षी संख्या-1 अखिलेश यादव की ओर से अधिवक्ता रईसुद्दीन उपस्थित हुए, जबकि विपक्षी संख्या-2 रामजी लाल सुमन एक बार फिर कोर्ट में पेश नहीं हुए। कोर्ट ने सुमन को दोबारा नोटिस जारी करने के आदेश दिए हैं और मामले की मूल पत्रावली तलब करते हुए अगली सुनवाई की तारीख 5 दिसंबर 2025 निर्धारित की है। यह मामला 21 मार्च 2025 से शुरू हुए उस विवाद से जुड़ा है, जब राज्यसभा में चर्चा के दौरान रामजी लाल सुमन ने 16वीं सदी के राजपूत शासक राणा सांगा को “गद्दार” बताया था। उन्होंने यह भी कहा था कि राणा सांगा ने बाबर को भारत बुलाने में मदद की थी, ताकि इब्राहिम लोदी को हराया जा सके। सुमन ने बाद में स्पष्ट किया था कि यह उनका निजी विचार नहीं बल्कि एक ऐतिहासिक व्याख्या है। इस बयान के बाद देशभर में विरोध शुरू हो गया। कई राजपूत संगठनों और हिंदू संगठनों, विशेष रूप से करणी सेना ने तीखी प्रतिक्रिया दी। 26 मार्च 2025 को आगरा में कथित तौर पर करणी सेना समर्थकों ने रामजी लाल सुमन के आवास के बाहर हंगामा किया, जिसमें कुछ वाहनों और संपत्ति को नुकसान पहुंचा। इसके बाद सुमन ने अपनी सुरक्षा बढ़ाने की मांग की थी। विवाद के बाद सुमन के खिलाफ कई याचिकाएं दाखिल की गईं। आगरा सिविल कोर्ट में पहला वाद 18 अप्रैल 2025 को खारिज हो गया था। इसी तरह 20 मई 2025 को हाथरस की एमपी-एमएलए कोर्ट ने भी याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी कि संसद के भीतर दिया गया बयान संसदीय विशेषाधिकार के तहत आता है। इसके बाद वादी पक्ष ने रिवीजन दाखिल किया, जिस पर अब आगरा की एमपी/एमएलए कोर्ट में सुनवाई चल रही है। फिलहाल मामला कानून के साथ-साथ सामाजिक और राजनीतिक बहस का मुद्दा भी बना हुआ है। अब सभी की निगाहें 5 दिसंबर 2025 की अगली सुनवाई पर टिकी हैं, जहां अदालत आगे की कार्रवाई तय करेगी।
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