आगरा में ताजमहल को लेकर विवादित तेजोमहालय केस की आज की सुनवाई स्थगित कर दी गई। वादी पक्ष के अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने बताया कि माननीय न्यायालय छुट्टी पर होने के कारण अगली सुनवाई 19 दिसंबर को निर्धारित की गई है। मामला दर्ज है — योगेश्वर श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ ट्रस्ट बनाम सचिव, संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार आदि (केस संख्या 197/2024)। पिछली सुनवाई में 1 नियम 10 सीपीसी के तहत विपक्षी पक्ष में कामरेड भजनलाल को शामिल करने की बहस हो चुकी है, लेकिन उस पर अभी न्यायालय का आदेश आना बाकी है। स्पष्ट रहे कि पूर्व में ASI ने अपने दस्तावेजों और सर्वेक्षणों के आधार पर कहा था कि ताजमहल मकबरा है और मंदिर होने का कोई प्रमाण नहीं मिला, लेकिन इस मामले में अभी तक कोर्ट में ASI ने कोई नया बयान नहीं दिया है। क्या है वादी पक्ष का दावा वादी पक्ष का दावा है कि ताजमहल मूल रूप से एक प्राचीन हिंदू मंदिर/महालय था, जिसका नाम तेजोमहालय (Tejo Mahalaya) था। यह दावा 1980s में विवादित लेखक P. N. Oak की किताब से लोकप्रिय हुआ। Oak के अनुसार, ताजमहल शाहजहां द्वारा बनवाया गया मकबरा नहीं, बल्कि पुराने शिवालय का पुनर्निर्माण है। वाद में यह भी कहा गया है कि 1212 ईस्वी में राजा परमार्ति देव द्वारा तेजोमहालय मंदिर‑महल बनाया गया था। बाद में यह जयपुर के राजा माण सिंह और फिर राजा जय सिंह के अधीन रहा, और अंततः 17वीं सदी में मुगल बादशाह शाहजहां ने इसे हासिल कर अपनी पत्नी के मकबरे में बदल दिया। वाद में यह भी दलील दी गई है कि वर्तमान इतिहासकारों और पुरातत्व विभाग (ASI) द्वारा दी गई जानकारी पूरी नहीं है, और 20–22 संधि (locked) कमरों को खोलकर “सच्चाई” सार्वजनिक की जाए। अगली सुनवाई 19 दिसंबर को होगी, जब कोर्ट इस मामले में आगे की दलीलों के साथ आदेश देने पर विचार करेगा।
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