औरंगाबाद में अवैध रूप से संचालित आरा मिलों के खिलाफ वन विभाग ने गुरुवार को कार्रवाई की। बिना लाइसेंस के चोरी-छिपे जंगलों से लकड़ी काटकर आरा मशीन चलाने वाले संचालकों पर अब विभाग का शिकंजा कस गया है। डीएफओ रुचि सिंह के निर्देश पर की गई इस संयुक्त कार्रवाई में विभाग की टीम ने कुटुंबा, टंडवा, बेला, बड़ेम और तिवारी डीह समेत कई स्थानों पर छापेमारी कर आधा दर्जन से अधिक अवैध आरा मिलों को सील कर दिया। कार्रवाई के दौरान संडा में राहुल शर्मा और प्रमोद शर्मा, रामनगर में गया शर्मा, खपरमंडा में कन्हाई शर्मा व मोहनलाल शर्मा, बेला में बसंत मेहता और बड़ेम और तिवारी डीह में उपेंद्र सिंह के आरा मिल को उखाड़कर जब्त कर लिया गया। टीम ने जेसीबी मशीन की मदद से कई मशीनों और लकड़ी चिराई से संबंधित उपकरणों को उखाड़ दिया। बड़ी मात्रा में कीमती लकड़ी भी जब्त की। जैसे ही छापेमारी की भनक लगी, अधिकांश आरा मिल मालिक और मजदूर वहां से फरार हो गए। विभाग ने बताया कि गुप्त सूचना मिली थी कि झारखंड बॉर्डर से लगे इलाकों में लंबे समय से अवैध आरा मिल संचालित किए जा रहे थे। जांच के बाद आरोप सही पाए जाने पर यह कार्रवाई की गई। संबंधित मशीन मालिकों के खिलाफ बिहार कास्ट चिरान विनियमन अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज कर ली गई है। वन विभाग की टीम में महाराजगंज वन प्रक्षेत्र के आरओएफ अविनाश कुमार, वनपाल निरंजन कुमार, विकास कुमार, वनरक्षी सूरज कुमार, राजू कुमार, मिथिलेश कुमार, प्रशांत कुमार, संतोष कुमार और मांडवी कुमारी सहित कई पुलिस कर्मी शामिल थे। टीम ने झारखंड बॉर्डर से सटे क्षेत्रों संडा, रामनगर, खपरमंडा, बेला, बड़ेम और तिवारी डीह में संचालित आरा मिलों पर कार्रवाई की। अवैध आरा मिलों से उजड़ रहा वन क्षेत्र अवैध आरा मिल संचालकों और लकड़ी माफिया की सक्रियता से क्षेत्र की हरियाली लगातार खत्म होती जा रही है। बिना अनुमति के बाग-बगीचों और हरे भरे पेड़ों की कटाई आम बात हो गई है। बरगद, पीपल और आम जैसे ऑक्सीजन देने वाले बड़े वृक्षों को भी धड़ल्ले से काटा जा रहा है, जिससे पर्यावरण पर भारी असर पड़ रहा है। इसके चलते जलवायु असंतुलन, कम वर्षा और समय से पहले गर्मी बढ़ने जैसे हालात बन रहे हैं। बिहार झारखंड झारखंड बॉर्डर इलाके के संडा से लेकर टंडवा, बेला, गजना और सोन नदी किनारे तक दर्जनों अवैध आरा मिल संचालित होने की बात सामने आई है। दावा है कि अभी तक विभाग को इसकी पूरी जानकारी नहीं थी। लाइसेंसी आरा मिल संचालकों को भी हो रहा नुकसान अवैध मिलों के कारण लाइसेंसधारी संचालकों को भारी आर्थिक क्षति झेलनी पड़ रही है। पलामू और आसपास के जंगलों से चोरी की लकड़ी कम दामों पर अवैध मिलों में बिकती है, जिससे फर्नीचर बाजार का संतुलन बिगड़ता है और सरकार को भी हर साल लाखों रुपए के राजस्व का नुकसान होता है।व न विभाग की इस कार्रवाई से पूरे क्षेत्र में हड़कंप मचा हुआ है और आगे भी ऐसी छापेमारी अभियान जारी रहने की संभावना है।
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