लखीमपुर खीरी जिले में पराली जलाने की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए जिला प्रशासन ने सख्त कदम उठाए हैं। जिलाधिकारी दुर्गा शक्ति नागपाल ने 11 ग्राम प्रधानों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। नोटिस में जिलाधिकारी ने उल्लेख किया है कि उत्तर प्रदेश शासन के मुख्य सचिव के निर्देशों के अनुपालन में फसल अवशेष जलाने से होने वाले प्रदूषण की रोकथाम के लिए समय-समय पर दिशा-निर्देश जारी किए गए थे। इसके तहत जिलाधिकारी, एसडीएम, डीपीआरओ, एडीओ (पंचायत) और बीडीओ स्तर तक पराली प्रबंधन, रोकथाम और जागरूकता पर लगातार बैठकें और अभियान चलाए गए। इन प्रयासों के बावजूद, संबंधित ग्राम पंचायतों में पराली जलाने की घटनाएं लगातार सामने आती रहीं। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में धुएं का स्तर बढ़ा, जिसका बच्चों, महिलाओं, बुजुर्गों सहित आमजन के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा। नोटिस में कहा गया है कि ग्राम प्रधानों द्वारा जिम्मेदार व्यक्तियों के विरुद्ध कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई, जो उनकी लापरवाही और कर्तव्यहीनता को दर्शाता है। नोटिस में यह भी स्पष्ट किया गया है कि उत्तर प्रदेश पंचायत राज अधिनियम 1947 की धारा 15(23) (स्वच्छता एवं चिकित्सा) और धारा 15(26) (प्रसूति एवं बाल विकास) के अंतर्गत ग्राम पंचायत की जिम्मेदारी है। इन जिम्मेदारियों का समुचित निर्वहन नहीं किया गया। इसी आधार पर ग्राम प्रधानों को निरंतर कर्तव्यहीनता का दोषी मानते हुए नोटिस भेजा गया है। जिलाधिकारी ने सभी ग्राम प्रधानों से सात दिन के भीतर साक्ष्यों सहित जवाब मांगा है। निर्धारित समय में जवाब न देने की स्थिति में उक्त अधिनियम की धारा 95(1)(छ) के तहत कार्रवाई की चेतावनी भी दी गई है। इसके अतिरिक्त, प्रशासन ने पराली जलाने वाले किसानों को अनुदानित बीज से वंचित करने का भी निर्देश दिया है। जिन ग्राम प्रधानों को नोटिस जारी किया गया है, उनमें ग्राम पंचायत दिलावरपुर के कादिर, बस्तौली के शिवपाल, हरदी की श्रीमती जागेश्वरी, इब्राहिमपुर ग्रन्ट की श्रीमती ममता वर्मा, गोगावा के श्रीकृष्ण, बग्घून की श्रीमती राजवती, मझगवा के नीरज, बंगलहा तकिया की श्रीमती शाइमा, इब्राहिमपुर कॉलोनी के मोतीलाल, ग्रन्ट नं.10 की श्रीमती विजय लक्ष्मी और कल्लुआ की श्रीमती रजनदीप कौर शामिल हैं।
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