सहारनपुर के अंबेहटा क्षेत्र में एक स्थानीय पत्रकार अरशी शफीक के खिलाफ 9 वर्षीय बच्चे से मारपीट के आरोप में दर्ज मुकदमे को लेकर विवाद गहरा गया है। पत्रकारों का आरोप है कि यह मामला राजनीतिक दबाव और निजी रंजिश के चलते दर्ज कराया गया है। गुरुवार को डिस्ट्रिक्ट प्रेस क्लब सहारनपुर के एक प्रतिनिधिमंडल ने चेयरमैन जावेद साबरी के नेतृत्व में एसएसपी आशीष तिवारी से मुलाकात कर निष्पक्ष जांच की मांग की। प्रेस क्लब के प्रतिनिधिमंडल ने एसएसपी को बताया कि पत्रकार अरशी शफीक ने नगर पंचायत में कथित भ्रष्टाचार, सरकारी योजनाओं में अनियमितताओं, घटिया निर्माण कार्यों और सूचना के अधिकार से जुड़े कई मामलों को उजागर किया था। इन खबरों के प्रकाशन के बाद नगर पंचायत से जुड़े कुछ लोग उनसे नाराज चल रहे थे और लगातार उन पर दबाव बना रहे थे। पत्रकार अरशी शफीक ने आरोप लगाया है कि नगर पंचायत की वर्तमान चेयरपर्सन के देवर और नगर पंचायत में ठेकेदारी करने वाले कुछ लोग उन्हें धमकियां दे रहे थे। शफीक के अनुसार, ये लोग उनके बड़े भाई द्वारा संचालित स्कूल में पहुंचे और खुद को पत्रकार बताकर विज्ञापन के नाम पर 10 हजार रुपये की अवैध वसूली का प्रयास किया। जब उनकी मांग को अस्वीकार कर दिया गया, तो बदले की भावना से यह झूठा मुकदमा दर्ज कराया गया। आरोप है कि इन लोगों ने अपने एक रिश्तेदार के 9 वर्षीय बेटे को आगे कर नकुड़ कोतवाली में शिकायत दर्ज करवाई। शिकायत में अरशी शफीक पर बच्चे के साथ मारपीट का आरोप लगाया गया, जिसके आधार पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर लिया। पत्रकारों का कहना है कि बिना तथ्यात्मक जांच के मुकदमा दर्ज होना गंभीर सवाल खड़े करता है। डिस्ट्रिक्ट प्रेस क्लब के चेयरमैन जावेद साबरी ने मांग की है कि झूठी एफआईआर को तत्काल निरस्त किया जाए। उन्होंने अवैध वसूली और झूठी शिकायत करने वालों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की भी मांग की। एसएसपी आशीष तिवारी ने प्रतिनिधिमंडल को मामले की निष्पक्ष जांच का आश्वासन दिया है। इस पूरे प्रकरण को लेकर पत्रकार जगत में आक्रोश है और इसे प्रेस की स्वतंत्रता पर हमला बताया जा रहा है।
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