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कन्वर्ज़न कॉस्ट में हेरफेर कर 11 करोड़ की चोरी:एमडीएम घोटाला में 5 गिरफ्तार, 44 नामजद आरोपी; बीएसए की जांच में खुलासा

बलरामपुर में मध्यान्ह भोजन (एमडीएम) योजना में बड़े पैमाने का घोटाला सामने आया है। बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) द्वारा कराई गई जांच में पता चला कि कन्वर्जन कॉस्ट के भुगतान में सुनियोजित तरीके से हेरफेर कर 11 करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि कूटरचित दस्तावेजों के माध्यम से गबन की गई। पुलिस ने अब तक पांच आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा, जबकि कुल 44 नामजद समेत कई अज्ञात लोगों पर मुकदमा दर्ज कर जांच तेज कर दी गई है। जिलों के कई स्कूलों ने लगातार शिकायत की कि एमडीएम सेल में तैनात जिला समन्वयक (डीसी) फिरोज अहमद खान वास्तविक कन्वर्ज़न कॉस्ट नहीं भेज रहे हैं। वित्त एवं लेखाधिकारी के साथ मिलकर जब रिकॉर्ड की जांच की गई, तो डीसी द्वारा दिए गए प्रिंटेड पेमेंट एडवाइस संदिग्ध पाए गए। पीएफएमएस पोर्टल से वास्तविक भुगतान विवरण डाउनलोड कर तुलना करने पर बड़ा खुलासा हुआ। डीसी ने भुगतान से जुड़े अभिलेखों में फर्जीवाड़ा कर वास्तविक भेजी गई राशि को कम दिखाया। कुछ स्कूल बने कमीशनखोरी के केंद्र जांच में सामने आया कि जिले के 2200–2300 स्कूलों की एक्सेल शीट तैयार कर प्रति छात्र ₹8.17 की कन्वर्ज़न कॉस्ट के भुगतान से पहले रिकॉर्ड में हेरफेर किया जाता था। स्कूलवार तैयार की जाने वाली फ़ाइलों में 1000–2000 रुपये तक की कटौती की जाती और बची राशि कुछ चुनिंदा स्कूलों में ट्रांसफर की जाती। नकद निकासी की सुविधा न होने के कारण यही स्कूल कमीशनखोरी का केंद्र बने। अब तक की राशि और बढ़ सकती है पूछताछ में पता चला कि यह घोटाला वर्ष 2015 से लगातार जारी था और समय के साथ बढ़ता गया। पुलिस अब 2015 से अब तक के संपूर्ण वित्तीय रिकॉर्ड की छानबीन कर रही है, जिससे घोटाले की राशि और बढ़ने की आशंका है। मुख्य आरोपी और गिरफ्तारियां एसपी विकास कुमार ने बताया कि अब तक पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। इनमें शामिल हैं: जांच में खुलासा हुआ कि फिरोज अहमद और मलिक मुनव्वर मिलकर पूरा खेल चला रहे थे। कई स्कूलों और मदरसों का ठेका भी इनके पास ही था। संस्थान और प्रभावशाली लोग भी जांच के घेरे में घोटाले में जिन संस्थानों की भूमिका सामने आई उनमें कई मदरसे और परिषदीय विद्यालय शामिल हैं। इनके प्रधानाचार्यों, प्रबंधकों और ग्राम प्रधानों को भी नामजद किया गया है। इनमें मदरसा आइसा सिद्दीकी पचपेड़वा, मदरसा दारुल उलूम फारुकिया, मदरसा फजले रहमानिया, प्रावि सूरतसिंहडीह, प्रावि चैपुरवाडीह, प्रावि मैनिहवा, उच्च व प्रावि रामस्वरूपपुरवा और उच्च व प्रावि मूड़ाडीह शामिल हैं। कुल मिलाकर 44 नामजद सहित कई अन्य पर मुकदमा दर्ज हुआ। सरकारी पैसा कहां-कहां गया, 11 करोड़ का खेल सामने अब तक की जांच में आठ स्कूलों में फर्जी ढंग से धन ट्रांसफर होने के पुख्ता प्रमाण मिले हैं। केवल इन्हीं विद्यालयों में 2021 से 11 करोड़ रुपये से अधिक की अनियमितताएँ सामने आई हैं। जांच टीमें अब सभी वर्षों का वित्तीय आकलन कर रही हैं। कड़ी कार्रवाई की तैयारी एसपी विकास कुमार ने स्पष्ट किया कि मध्यान्ह भोजन जैसी संवेदनशील योजना में की गई इस बड़ी धांधली पर कठोर कार्रवाई होगी। दोषियों पर कड़ी धाराएँ लगाई जाएँगी, और जांच में सामने आने वाली कमियों को विभाग को भेजकर भविष्य में ऐसे मामलों पर रोक लगाने की व्यवस्था की जाएगी।


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