प्रदेश के अलग-अलग जिलों में कार्यरत एलोपैथिक फार्मासिस्टों ने पुरानी पेंशन योजना में शामिल किए जाने की मांग पर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। याचियों ने 28 जून 2024 को जारी शासनादेश के पैरा 2 और 4 को चुनौती दी है। इसमें उन कर्मचारियों को राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली में ही रखने की बात है जिनके विज्ञापन 28 मार्च 2005 से पहले निकले थे, लेकिन नियुक्ति 1 अप्रैल 2005 के बाद हुई। याचियों का आरोप है कि 1998 के विज्ञापन से योग्य उम्मीदवारों का चयन विभागीय अधिकारियों की गलती से नहीं हो पाया। जूनियर अभ्यर्थियों को नियुक्त कर दिया गया, जो अब पुरानी पेंशन के दायरे में हैं, जबकि वरिष्ठ वंचित रह गए। 2007 के 766 पदों वाले विज्ञापन को भी कानूनी चुनौती मिली थी और 2012 में जाकर नियुक्तियां हो सकीं। याचिका में कहा गया कि यदि विभाग 1980 सर्विस रूल्स के अनुसार बैचवाइज-ईयरवाइज मेरिट बनाता तो कई उम्मीदवार 1998 में ही नियुक्त हो जाते और उन्हें ओल्ड पेंशन का लाभ मिलता। याचियों ने आरोप लगाया कि 20 मार्च 2023 को राजीव कुमार गुप्ता केस में हाईकोर्ट के आदेश को अनदेखा कर शासनादेश जारी किया गया। हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति विकास ने सुनवाई के दौरान राज्य सरकार से 6 हफ्ते में प्रति-शपथपत्र मांगा है।
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