नालन्दा के हरनौत प्रखंड के लोहरा गांव में खुरहा-मुंहपका बीमारी ने पशुपालकों की कमर तोड़ दी है। पिछले एक महीने से गांव में इस संक्रामक बीमारी का प्रकोप जारी है, जिसमें अब तक 12 से अधिक मवेशियों की मौत हो चुकी है। चिंताजनक बात यह है कि 24 से अधिक मवेशी अभी भी इस बीमारी से जूझ रहे हैं और जिंदगी की जंग लड़ रहे हैं। सूचना के बावजूद नहीं पहुंची मेडिकल टीम पशुपालकों का आरोप है कि बार-बार सूचना देने के बाद भी पशुपालन विभाग की मेडिकल टीम गांव में नहीं पहुंची है। लाचार होकर उन्हें निजी पशु चिकित्सकों से इलाज कराना पड़ रहा है, जिस पर प्रतिदिन भारी खर्च हो रहा है। गांव के पशुपालक उदय झा के दो, बमबहादुर राम के एक, टुल्लू महतो के एक, सच्चू महतो के दो, लल्लू महतो के दो, सत्येन्द्र प्रसाद के दो, धनंजय कुमार के एक और महेश राम के एक मवेशी की मौत हो चुकी है। इसके अलावा सत्येन्द्र सिंह के पांच, चंदन प्रसाद के दो, सुल्लू प्रसाद के एक, अरविंद सिंह के दो, दिलखुश सिंह के एक मवेशी सहित जगदीश झा, ललित सिंह और अन्य पशुपालकों के मवेशी गंभीर रूप से बीमार हैं। ये हैं बीमारी के लक्षण पशुपालकों ने बताया कि बीमार मवेशियों के खुर (पैर) और मुंह में घाव हो गए हैं। उन्हें तेज बुखार है और वे खाना-पीना छोड़ चुके हैं। मादा मवेशियों के थन और लिंग लाल हो रहे हैं और उनसे घाव जैसा स्राव हो रहा है। उपचार कराने के बाद भी मवेशियों की तबीयत में कोई सुधार नहीं दिख रहा है। गाय, भैंस और उनके बच्चे सभी इस बीमारी की चपेट में आ रहे हैं। इलाज पर रोज आठ सौ से एक हजार रुपए खर्च कांग्रेस के वरिष्ठ नेता नवेन्दू झा ने बताया कि लोहरा के पशुपालक खुरहा-मुंहपका बीमारी से अत्यधिक परेशान हैं। निजी पशु चिकित्सकों से एक मवेशी के इलाज और दवाई पर प्रतिदिन आठ सौ से एक हजार रुपए तक खर्च करना पड़ रहा है। इतना ही नहीं, मृत मवेशियों को गौशाला से हटाकर ले जाने के लिए तीन से चार हजार रुपए तक की मांग की जा रही है। उन्होंने पशुपालन विभाग से तत्काल गांव में मेडिकल टीम भेजने की मांग की है। क्या है खुरहा-मुंहपका रोग? पशु चिकित्सकों के अनुसार खुरहा-मुंहपका एक तेजी से फैलने वाला वायरल संक्रामक रोग है। इस रोग में पशु को तेज बुखार होता है और मुंह और खुर में छाले पड़ जाते हैं। बीमारी के प्रमुख लक्षणों में तेज बुखार, मुंह और खुरों में छाले, पशु का सुस्त रहना, जुगाली बंद करना और खाना न खाना शामिल हैं। समय पर उचित इलाज होने पर मवेशी ठीक हो जाते हैं। इस बीमारी में मृत्यु दर बहुत कम होती है। भेजी जाएगी मेडिकल टीम: पशुपालन पदाधिकारी जिला पशुपालन पदाधिकारी डॉ. रमेश कुमार ने कहा कि लोहरा के पशुपालकों की ओर से अब तक मवेशियों की मौत के बारे में आधिकारिक सूचना नहीं दी गई है। उनका कहना है कि खुरहा-मुंहपका से मवेशियों की मौत नहीं होती है। झोलाछाप चिकित्सकों की ओर से गलत इलाज करने से कई बार मौत होने की बात सामने आती है। उन्होंने आश्वासन दिया कि लोहरा में मेडिकल टीम भेजी जाएगी, सभी बीमार मवेशियों का इलाज किया जाएगा और किस बीमारी के कारण मवेशियों की मौत हुई है, उसकी भी जांच कराई जाएगी।
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