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205 दिन बाद बंद बद्रीनाथ धाम के कपाट:सेना के बैंड की धुन पर थिरके भक्त; जोशीमठ के नरसिंह मंदिर में होगी शीतकालीन पूजा

उत्तराखंड के चमोली में स्थित बद्रीनाथ धाम के कपाट मंगलवार दोपहर 2:56 बजे शीतकाल के लिए विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए। धाम में सुबह से ही हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी रही। कपाट बंद होने से ठीक पहले देश के प्रथम गांव माणा में तैयार किया गया घृत कंबल भगवान बद्रीनारायण को ओढ़ाया गया। परंपरा के अनुसार उद्धव और कुबेर की प्रतिमाओं को भी गर्भगृह से बाहर लाया गया, शीतकालीन प्रवास के दौरान भक्त अब भगवान बद्रीनाथ के दर्शन पांडुकेश्वर स्थित योगध्यान बदरी में कर सकेंगे। कपाट बंदी की प्रक्रिया के दौरान गढ़वाल राइफल्स का बैंड भी तैनात रहा, जिसने परंपरा के अनुसार अंतिम धुनें बजाईं। जिसमें मंदिर परिसर में खड़े श्रद्धालु खूब थिरक। ‘जय बद्रीविशाल’ और ‘जय बद्रीनाथ’ के जयकारे गूंजते रहे। इस खास अवसर पर मंदिर को 12 क्विंटल गेंदे को फूलों से सजाया गया। इस सीजन 16 लाख 50 हजार से ज्यादा लोग बद्रीविशाल के दर्शन करने पहुंचे हैं। बद्रीनाथ धाम के PHOTOS देखें… 2 दिनों की यात्रा कर नरसिंह मंदिर में पहुंचेगी शंकराचार्य की गद्दी … 26 नवंबर को शंकराचार्य की गद्दी के साथ उद्धव जी और कुबेर जी की डोली लगभग 30 किलोमीटर दूर पांडुकेश्वर पहुंचेगी, यहां पर यात्रा का भव्य स्वागत किया जाएगा। उद्धव जी और कुबेर जी की डोली शीतकालीन के लिए यहीं पर रहेंगी, जबकि रात्रि विश्राम के बाद अगली सुबह यानी की 27 नवंबर को शंकराचार्य की गद्दी करीब 30 किलोमीटर और आगे जोशीमठ के नरसिंह मंदिर में पहुंचेगी, शीतकाल में भगवान बद्री विशाल की पूजा इसी पवित्र मंदिर में होगी। कपाट बंद होने की प्रक्रिया से जुड़े पल-पल के अपडेट्स के लिए ब्लॉग से गुजर जाइए…


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