ढाका के बड़े कोरैल झुग्गी क्षेत्र में अचानक लगी आग ने कुछ ही घंटों में हजारों लोगों को बेघर कर दिया है। बता दें कि यह बस्ती लगभग 80,000 लोगों का घर है और गुलशन व बनानी जैसे उच्च वर्गीय इलाकों से बिल्कुल सटी हुई है। संकरी गलियों में बने टिन की छत वाले छोटे-छोटे घर कुछ ही देर में जलकर राख हो गए हैं।
गौरतलब है कि आग लगने के बाद लोग जैसे-तैसे अपना सामान उठाकर बाहर भागते दिखे, लेकिन अधिकतर लोगों का सब कुछ इसी आग में खत्म हो गया है। करीब 19 फायर इंजन मौके पर भेजे गए, लेकिन भारी ट्रैफिक और तंग रास्तों की वजह से दमकलकर्मियों को काफी संघर्ष करना पड़ा है। वे बड़ी मुश्किल से पाइपें खींचकर अंदर पहुंचे और पानी की सप्लाई जुटाने में भी दिक्कतों का सामना करना पड़ा है। आग पर काबू पाने में पांच घंटे से ज्यादा का समय लग गया है।
फायर सर्विस अधिकारी तल्हा बिन जासिम ने बताया कि इंजन अंदर तक ले जाना असंभव था, इसलिए टीम को पैदल ही गली-गली जाकर कार्य करना पड़ा है। हालांकि अभी तक किसी हताहत की पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन स्थानीय लोगों के अनुसार नुकसान बहुत बड़ा है। एक पीड़ित महिला अमीना बेगम रोते हुए केवल यही कह सकीं कि उनका सब कुछ जल गया है और अब आगे कैसे जीवित रहेंगी, यह वे समझ नहीं पा रही हैं।
बता दें कि बांग्लादेश में आग की घटनाएँ नई नहीं हैं। सरकारी नियमों के कमजोर पालन और अव्यवस्थित बसावट को इन हादसों का मुख्य कारण माना जाता है। पिछले कुछ वर्षों में ऐसे हादसों में सैकड़ों लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। कोरैल की यह ताज़ा घटना एक बार फिर आग सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर रही है और प्रभावित परिवार अपने जीवन की नई शुरुआत के लिए संघर्ष कर रहे हैं। उनकी मदद के लिए प्रशासन और स्थानीय संगठन मौके पर जुटे हुए हैं। स्थिति नियंत्रण में आ चुकी है, लेकिन दुख और तबाही की तस्वीरें अभी भी चारों तरफ दिखाई दे रही हैं। यहां रहने वाले लोग अब आश्रय और सहायता की उम्मीद में दिन काट रहे हैं।
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