यूपी के बलरामपुर में मिडडे मील के नाम पर 11 करोड़ रुपए का घोटाला सामने आया है। बेसिक शिक्षा अधिकारी (BSA) कार्यालय में हेराफेरी का ये खेल सालों से चल रहा था। जांच में सामने आया कि खाना बनाने के खर्च में फर्जी भुगतान और फर्जी आंकड़ों का इस्तेमाल किया गया। BSA शुभम शुक्ला ने बुधवार को नगर कोतवाली में मामले की शिकायत की है। उन्होंने 44 व्यक्तियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया। इनमें डीसी एमडीएम, 4 प्रधान, 8 प्रिंसिपल समेत 35 नामजद और एक अज्ञात शामिल हैं। पुलिस कुछ आरोपियों को हिरासत में लेकर पूछताछ कर रही है। BSA को स्कूलों से मिल रही थी शिकायत बलरामपुर बीएसए शुभम कुमार को कई स्कूलों की ओर से लगातार शिकायतें मिल रही थीं। जिसमें एमडीएम डीसी फिरोज अहमद खान पर आरोप लगाए गए। स्कूल प्रशासन का कहना था कि हमें पूरी कन्वर्जन कॉस्ट नहीं मिल रही है, जिससे मध्यान्ह भोजन योजना प्रभावित हो रही है। शिकायतों के बाद वित्त एवं लेखाधिकारी के साथ पूरी पत्रावली की जांच की गई। डीसी से भुगतान से जुड़े बिल मांगे गए। डीसी ने जो प्रिंटेड पेमेंट एडवाइस (PPA) भेजे, वे संदिग्ध पाए गए। जब इनका मिलान PFMS पोर्टल के वास्तविक रिकॉर्ड से किया गया तो सच्चाई सामने आ गई। फर्जी दस्तावेज से तैयार किए बिल पता चला कि डीसी ने फर्जी दस्तावेज तैयार कर भेजे थे। इनमें वास्तविक राशि को कम दिखाया था। ताकि अतिरिक्त धनराशि को अपने कब्जे में रखा जा सके। जांच में पाया गया कि कई साल तक स्कूलों में दर्ज छात्रों की संख्या से कई गुना ज्यादा पैसे जारी किए गए। जिनका प्रिंसिपल और प्रधानों की मिलीभगत से दुरुपयोग किया गया। 17 साल से फिरोज अहमद की तैनाती करोड़ो रुपए के इस घोटाले में सबसे बड़ा नाम 17 साल से पद पर बैठे मिडडे मील जिला समन्वयक फिरोज अहमद खान को माना जा रहा। उनके साथ मदरसों और परिषदीय स्कूलों के कई प्रिंसिपल और ग्राम प्रधानों की मिलीभगत सामने आई। विभाग से जुड़े अधिकारियों ने नाम न छापे जाने की शर्त पर बताया कि घोटाले में कई और बड़े लोगों के नाम सामने आ सकते हैं। नगर कोतवाली प्रभारी निरीक्षक मनोज कुमार सिंह ने बताया कि बीएसए के तहरीर पर मुख्य आरोपी फिरोज अहमद खान समेत 44 लोगों के खिलाफ मध्यान्ह भोजन योजना (एमडीएम) में फर्जीवाड़ा करने के आरोप में एफआईआर दर्ज की गई है। इनमें मुख्य आरोपी फिरोज अहमद खान के अलावा 43 लोगों के नाम शामिल हैं। ————————————- पढ़ें पूरा मामला… यूपी में BLO रोती रही, बेटा चुप कराता रहा:बोलीं- SIR के लिए रात 3 बजे लोग फोन करते हैं, घर जाओ तो दरवाजे बंद मिलते रात में 3 बजे लोगों की कॉल आती है। विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) फॉर्म को लेकर सवाल पूछा जाता है। रोज 200-300 फॉर्म करवाओ, फील्ड में जाओ। कई बार घर जाओ, तो लोग दरवाजा नहीं खोलते। जो खोलते हैं, वो कहते हैं तुम ही भरो, ये तुम्हारा काम है।’ यह दर्द शिक्षामित्र शिप्रा मौर्या का है। उन्हें बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) बनाया गया है। SIR को लेकर संग्राम छिड़ा है। इसके काम में लगे गोंडा के टीचर और फतेहपुर के लेखपाल ने 25 नवंबर को सुसाइड कर लिया। इन दोनों के परिवारवालों का आरोप है कि काम का दबाव था। जहां एक तरफ आम जनता को फॉर्म की जानकारी नहीं होने पर परेशानी हो रही। दूसरी तरफ, BLO भी परेशान नजर आ रहे। पढ़ें पूरी खबर…
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