बुधवार को प्रयागराज के पत्थर गिरजा धरना स्थल पर किसान आंदोलन की पांचवीं वर्षगांठ मनाई गई। संयुक्त किसान मोर्चा और केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने इस अवसर पर सरकार के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने चार लेबर कोड, धान के गिरते दाम, खाद की कालाबाजारी, स्मार्ट मीटर, जमुना बालू खनन, और संगम क्षेत्र में अवैध वसूली जैसे कई मुद्दों पर अपना आक्रोश व्यक्त किया। उन्होंने माइक्रोफाइनेंस से कर्ज मुक्ति, पुरानी पेंशन स्कीम की बहाली और 300 यूनिट मुफ्त बिजली की भी मांग की। पुलिस द्वारा कथित तौर पर रास्ते में बाधाएं खड़ी करने के बावजूद, जमुना पार, गंगा पार और बाबा इलाके से भारी संख्या में किसान जुटे। शहरी क्षेत्र के मजदूरों ने भी धरने में शामिल होकर एकजुटता का प्रदर्शन किया, जिससे आंदोलन का माहौल जीवंत हो उठा। प्रदर्शनकारियों ने केंद्र सरकार पर 9 दिसंबर 2021 को किसान आंदोलन समाप्त करते समय दिए गए लिखित आश्वासनों को पूरा न करने का आरोप लगाया। उन्होंने कछार की खेती के पट्टों की बहाली, मनरेगा में 200 दिन का रोजगार और 700 रुपये मजदूरी, तथा राशन पोर्टल खोलकर हटाए गए नामों को जोड़ने की मांग दोहराई। किसानों ने 10,000 रुपये मासिक पेंशन, बंद किए गए स्कूलों को फिर से खोलने और बस्तियों में खुली शराब की दुकानों को हटाने की भी मांग की। इसके अतिरिक्त, दलितों, अति पिछड़ों और भूमिहीनों को घरों व खेतों से जबरन बेदखली तथा अभिलेखों में हेराफेरी के खिलाफ भी कड़ा विरोध दर्ज कराया गया। ट्रेड यूनियनों ने उत्तर प्रदेश कारखाना अधिनियम में किए गए संशोधनों को रद्द करने, फिक्स्ड टर्म अपॉइंटमेंट योजना समाप्त करने, बड़े कॉर्पोरेट घरानों पर 4% संपत्ति कर लगाने और असंगठित मजदूरों के लिए 26,000 रुपये मासिक न्यूनतम मजदूरी लागू करने की मांग उठाई। संगठनों ने 2015 से लंबित इंडियन लेबर कॉन्फ्रेंस को तत्काल बुलाने की भी मांग की। उन्होंने कहा कि मजदूरों से जुड़े मामलों में केंद्र सरकार की जवाबदेही तय की जानी चाहिए। किसान व मजदूर संगठनों की भारी भागीदारीट्रेड यूनियनों में सीटू, एटक, इंटक, एचएमएस, एआईयूटीयूसी, एक्टू, बैंक–बीमा–रेलवे यूनियन, राज्य एवं केंद्रीय कर्मचारी संगठन भी बड़ी संख्या में शामिल हुए। नेताओं ने भरी हुंकार, अंत में लेबर कोड की प्रतियां जलाईंसभा को डॉक्टर आशीष मित्तल, अविनाश मिश्रा, नसीम अंसारी, राम कैलाश कुशवाहा, उपेंद्र पटेल, जालंधर पटेल, राजकुमार पथिक, आनंद मालवीय, घनश्याम मौर्य, विनोद निषाद, आलोक तिवारी, अमित श्रीवास्तव, सुखदेव, शीतला प्रसाद, सुभाषचंद, विशेश्वर, पार्थ, विकास स्वरूप, भूपेंद्र सिंह, देवेंद्र और अनिल वर्मा समेत तमाम नेताओं ने संबोधित किया। कार्यक्रम के अंत में चारों लेबर कोड की प्रतियां जलाकर किसान–मजदूर मोर्चे ने अपने आंदोलन को आगे और तेज़ करने का ऐलान किया।धरने में शामिल प्रमुख किसान संगठनों में अखिल भारतीय किसान मजदूर सभा, अखिल भारतीय किसान सभा, भारतीय किसान यूनियन, श्रमिक जनशक्ति, क्रांतिकारी किसान यूनियन सहित कई संगठन मौजूद रहे।
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