सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियंस (सीटू) ने कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन किया। यह प्रदर्शन सरकार की आर्थिक और औद्योगिक नीतियों के विरोध में था, जिससे किसान, मजदूर और कर्मचारी प्रभावित हो रहे हैं। सीटू का कहना है कि इन नीतियों के कारण आम जनता, किसान, मजदूर और कर्मचारी पूरी तरह से परेशान हैं। उनकी आर्थिक सुरक्षा पर लगातार हमला हो रहा है। संगठन ने आरोप लगाया कि पहले के श्रम कानूनों से श्रमिकों को सुरक्षा मिलती थी, लेकिन नए श्रम कानून केवल पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए बनाए गए हैं। कर्मचारियों की पुरानी पेंशन बहाल नहीं की जा रही है और सरकारी विभागों में खाली पदों पर स्थायी भर्तियां नहीं हो रही हैं, जिससे आम जनता के कार्य प्रभावित हो रहे हैं। प्रदर्शनकारियों ने बिजली के मनमाने बिलों और जबरन स्मार्ट मीटर लगाने का भी विरोध किया। उन्होंने कहा कि रेलवे बोर्ड ने लॉकडाउन के बाद पैसेंजर ट्रेनों को या तो बंद कर दिया है या उन्हें एक्सप्रेस में बदल दिया है, जिससे गरीबों की सवारी छिन गई है। सार्वजनिक क्षेत्र, जो देश की अर्थव्यवस्था और विकास में योगदान देते हैं, उनका एक के बाद एक निजीकरण किया जा रहा है, जिससे देश को नुकसान हो रहा है। किसानों की समस्याओं पर भी पर्याप्त ध्यान नहीं दिया गया है। इन सभी मुद्दों के कारण आम जनता में काफी रोष व्याप्त है। *संगठन ने यह रखी मांगे,* – किसान आंदोलन के दौरान संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा उठाई गई सभी मांगों को स्वीकार कर लागू किया जाए। – चारों श्रम संहिताओं को रद्द किया जाए। – प्रदेश में न्यूनतम वेतन सलाहकार बोर्ड का गठन किया जाए तथा विक्रय संवर्धन कर्मियों (सेल्स प्रमोशन एम्प्लॉइज) के लिए न्यूनतम सलाहकार बोर्ड में उप-समिति का गठन किया जाए। न्यूनतम वेतन 26,000 रुपये से कम न हो। – शुगर, होटल और इंजीनियरिंग उद्योगों में वेतन पुनरीक्षण किया जाए। कारखानों में श्रम अधिकारियों के जाने पर लगी पाबंदी खत्म की जाए। – उत्तर प्रदेश में श्रम कानूनों का पालन किया जाए। कारखानों में श्रमिकों को रोल पर चढ़ाया जाए और उनकी सही पहचान सुनिश्चित की जाए।
https://ift.tt/AzsgTc7
🔗 Source:
Visit Original Article
📰 Curated by:
DNI News Live

Leave a Reply