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CJI सूर्यकांत बोले- दिल्ली में सुबह टहला तो तबीयत बिगड़ी:प्रदूषण के चलते सुप्रीम कोर्ट में सिर्फ वर्चुअल सुनवाई पर विचार; सलाह करके फैसला होगा

दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण के चलते सुप्रीम कोर्ट में सिर्फ वर्चुअल मोड पर सुनवाई करने पर विचार-विमर्श किया जा रहा है। हालांकि अभी कार्यवाही फिजिकल और वर्चुअल दोनों तरीकों से होती है। CJI सूर्यकांत ने बुधवार को कहा कि प्रदूषण इतना बढ़ गया है कि कल मैं सुबह एक घंटे के लिए टहलने निकला तो मेरी तबीयत बिगड़ गई। हमें जल्द इसका हल निकालना होगा। CJI सूर्यकांत ने उम्रदराज वकीलों के भी सुनवाई के लिए कोर्ट में आने पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि 60 साल और उससे ज्यादा उम्र के वकीलों को इन-पर्सन हियरिंग से बाहर रखने की बात पर विचार किया गया है। CJI ने ये बातें तमिलनाडु, केरल, पश्चिम बंगाल और दूसरे राज्यों में SIR को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान कहीं। इस सुनवाई में चुनाव आयोग की ओर से पेश सीनियर वकील राकेश द्विवेदी ने पर्सनल प्रेजेंस से छूट मांगी थी। अब पढ़िए सुप्रीम कोर्ट में SIR सुनवाई से पहले क्या हुआ एडवोकेट द्विवेदी: माई लॉर्ड मॉर्निंग वॉक पर जाने के बाद मुझे कुछ दिक्कतें हो रही हैं। प्लीज मेरे सहयोगी को सुनवाई में शामिल होने दें। मैं अगली तारीख पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश होना चाहता हूं। एडवोकेट सिब्बल: हमारी उम्र में इस खराब हवा में सांस लेना काफी मुश्किल है। जब एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 400-500 है। CJI सूर्यकांत: कल, मैं एक घंटे के लिए टहलने गया था। मेरी तबीयत खराब हो गई। हम 60 साल और उससे ज्यादा उम्र के वकीलों को इन-पर्सन हियरिंग से बाहर रखने की बात पर विचार कर रहे हैं। अगर मैं कोई फैसला लेता हूं, तो हम पहले बार को भरोसे में लेंगे। मैं शाम को ऑफिस वालों से मिलूंगा और कुछ कदम उठाऊंगा। दिल्ली में 3 दिन पहले प्रदूषण पर ग्रैप नियम और सख्त किया गया दिल्ली-NCR में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने GRAP यानी ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान को और सख्त कर दिया है। अब कई बड़े कदम शुरुआत में ही लागू होंगे, ताकि हवा बिगड़ने से पहले हालात संभल सकें। शनिवार सुबह दिल्ली-NCR का औसत AQI 360 रहा, जो बहुत खराब श्रेणी है। CAQM ने बताया कि नए कदम वैज्ञानिक डेटा, विशेषज्ञों की राय और पिछले अनुभवों के आधार पर लिए गए हैं। सभी एजेंसियों को इन्हें तुरंत लागू करने के निर्देश मिले हैं। अब जो नियम पहले GRAP-2 पर लगते थे, वे अब GRAP-1 में ही लागू होंगे। GRAP-3 के कई नियम GRAP-2 में और GRAP-4 के नियम अब GRAP-3 में लगेंगे। GRAP-4 में 50% कर्मचारियों को वर्क-फ्रॉम-होम देने का प्रावधान भी शामिल है। GRAP-3 के कुछ नियम अब GRAP-2 में पहले जो कदम AQI 301–400 के बीच में होने पर लागू होते थे, अब AQI 201–300 में ही लागू होंगे। इसमें दिल्ली, गुरुग्राम, फरीदाबाद, गाजियाबाद और नोएडा में सरकारी ऑफिसों के समय में बदलाव किया जाता है। इसके अलावा केंद्र सरकार भी अपने ऑफिसों के टाइम बदलने पर विचार कर सकती है। अब AQI 400+ होने पर लागू होंगे जो नियम पहले AQI 450+ होने पर लागू होते थे, अब AQI 401–450 के बीच में होने पर ही लागू होंगे। इनमें सरकारी, निजी और नगर निगम दफ्तरों में सिर्फ 50% स्टाफ बुलाना, बाकी कर्मचारियों के लिए वर्क-फ्रॉम-होम शामिल है। इसके अलावा केंद्र सरकार भी अपने कर्मचारियों पर यह मॉडल अपना सकती है। एयर क्वालिटी इंडेक्स का क्या मतलब है? एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) एक तरह का टूल है, जो यह मापता है कि हवा कितनी साफ और स्वच्छ है। इसकी मदद से हम इस बात का भी अंदाजा लगा सकते हैं कि इसमें मौजूद एयर पॉल्यूटेंट्स से हमारी सेहत को क्या नुकसान हो सकते हैं। AQI मुख्य रूप से 5 सामान्य एयर पॉल्यूटेंट्स के कॉन्सन्ट्रेशन को मापता है। इसमें ग्राउंड लेवल ओजोन, पार्टिकल पॉल्यूशन, कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड शामिल हैं। आपने AQI को अपने मोबाइल फोन पर या खबरों में आमतौर पर 80, 102, 184, 250 इन संख्याओं में देखा होगा। इन अंकों का क्या मतलब होता है, ग्राफिक में देखिए। हवा का स्तर खराब होने पर GRAP लागू होता है हवा के प्रदूषण स्तर की जांच करने के लिए इसे 4 कैटेगरी में बांटा गया है। हर स्तर के लिए पैमाने और उपाय तय हैं। इसे ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) कहते हैं। इसकी 4 कैटेगरी के तहत सरकार पाबंदियां लगाती है और प्रदूषण कम करने के उपाय जारी करती है। हाई लेवल से ऊपर AQI खतरा AQI एक तरह का थर्मामीटर है। बस ये तापमान की जगह प्रदूषण मापने का काम करता है। इस पैमाने के जरिए हवा में मौजूद CO (कार्बन डाइऑक्साइड ), OZONE, (ओजोन) NO2 (नाइट्रोजन डाइऑक्साइड), PM 2.5 (पार्टिकुलेट मैटर) और PM 10 पोल्यूटेंट्स की मात्रा चेक की जाती है और उसे शून्य से लेकर 500 तक रीडिंग में दर्शाया जाता है। हवा में पॉल्यूटेंट्स की मात्रा जितनी ज्यादा होगी, AQI का स्तर उतना ज्यादा होगा और जितना ज्यादा AQI, उतनी खतरनाक हवा। वैसे तो 200 से 300 के बीच AQI भी खराब माना जाता है, लेकिन अभी हालात ये हैं कि राजस्थान, हरियाणा दिल्ली और उत्तर प्रदेश के कई शहरों में ये 300 के ऊपर जा चुका है। ये बढ़ता AQI सिर्फ एक नंबर नहीं है। ये आने वाली बीमारियों के खतरे का संकेत भी है। ———————————- ये खबर भी पढ़ें… दिल्ली दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर, AQI 506 पहुंचा, सभी स्कूलों में स्पोर्ट इवेंट्स पर रोक दिल्ली-NCR में प्रदूषण लगातार बढ़ रहा है। 20 नवंबर को दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 506 रहा, जो खतरनाक श्रेणी में आता है। दुनियाभर में वायु प्रदूषण को मापने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था ‘आईक्यू एयर’ की लाइव रैंकिंग में दिल्ली दुनिया का सबसे ज्यादा प्रदूषित शहर दर्ज किया गया। पूरी खबर पढ़ें…


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