दीवानी न्यायालय परिसर में वकीलों के दो गुटों के बीच हुई झड़प के बाद प्रशासन ने परिसर की सुरक्षा कड़ी करने के स्पष्ट न्यायधीश आगरा ने निर्देश दिए थे। आदेश में कहा गया था कि सभी वकीलों और आमजन को पूर्ण चेकिंग के बाद ही प्रवेश दिया जाए और वकीलों के पहचान-पत्र की जांच अनिवार्य हो। घटना के अगले ही दिन आम जनता की पूरी तलाशी की जा रही थी और वकीलों को भी कार्ड दिखाने पर प्रवेश दिया जा रहा था, पर पूरी चेकिंग नहीं हो रही थी। समय बीतने के साथ यह व्यवस्था और कमजोर होती दिखाई दी। घटना के छह दिन बाद भी वकीलों को सिर्फ कार्ड दिखाकर अंदर जाने दिया जा रहा थार्। जबकि कई को बिना कार्ड दिखाए भी प्रवेश मिल रहा था। गेटों पर तैनात सुरक्षा व्यवस्था सिर्फ खानापूर्ति करती दिखी। बैग चेकिंग, वाहन जांच और मेटल-डिटेक्टर से स्कैनिंग जैसी जरूरी प्रक्रिया सिर्फ आमजन के साथ की गई। और कुछ वकीलों के रजिस्ट्रेशन कार्ड देखकर एंट्री दे दी गई। जबकि निर्देश यह थे कि अदालत परिसर में बिना संपूर्ण सुरक्षा जांच के कोई भी अंदर न जाए। बार-असोसिएशन और प्रशासन के बीच चल रही बैठकों में शांति स्थापना के प्रयास जारी हैं। लेकिन सुरक्षा प्रोटोकॉल का धरातल पर पालन न होना चर्चा का विषय बना हुआ है। हिंसक विवाद के बाद जिस स्तर की चैकिंग के निर्देश दिए गए थे। वैसी सक्रियता गेटों पर नजर नहीं आई।
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