कानपुर देहात के संदलपुर ब्लॉक स्थित प्राथमिक विद्यालय लौवा का पुरवा में बीते शुक्रवार को शिक्षकों की लापरवाही का मामला सामने आया था। दोपहर 12 बजे तक विद्यालय में एक भी शिक्षक उपस्थित नहीं था। बच्चे समय पर स्कूल पहुँच गए थे, लेकिन पढ़ाने वाला कोई न होने के कारण वे खेलकूद में व्यस्त रहे। इस दौरान रसोइयों ने समय पर भोजन तैयार किया और बच्चों की देखभाल भी की। भोजन के बाद बच्चों ने स्वयं अपने बर्तन धोए। घटना की सूचना अधिकारियों तक पहुंचने के बाद विभाग में हड़कंप मच गया। दोपहर 12 बजे के बाद एआरपी संदलपुर बृजेश राजावत शिक्षक बृजेश वर्मा के साथ विद्यालय पहुंचे। उन्होंने बताया कि विद्यालय एकल है और यहां केवल एक शिक्षिका रश्मि पोरवाल तैनात हैं, जो पिछले पांच दिनों से मेडिकल अवकाश पर थीं। उन्होंने एसआईआर फीडिंग में व्यस्तता व भ्रम के कारण कोई अन्य शिक्षक विद्यालय नहीं पहुँचने का कारण बताया। प्रशासन ने इस मामले में कार्रवाई का आश्वासन दिया था, लेकिन पांच दिन बाद भी कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। बुधवार को बीईओ अशोक कुमार ने विद्यालय का निरीक्षण किया। हालांकि, उन्होंने जाँच के निष्कर्षों पर मीडिया से बात करने से परहेज किया और केवल नियमों का हवाला देते रहे। इस पूरे मामले में कई सवाल खड़े हो रहे हैं। यदि शिक्षिका रश्मि पोरवाल पांच दिनों से मेडिकल अवकाश पर थीं, तो उनके अवकाश को किस अधिकारी ने स्वीकृत किया? यदि अवकाश स्वीकृत था, तो विद्यालय में वैकल्पिक शिक्षण व्यवस्था क्यों नहीं की गई? और यदि अवकाश स्वीकृत नहीं था, तो विभागीय जिम्मेदारों की क्या भूमिका रही? शिक्षिका रश्मि पोरवाल ने आफ कैमरे बताया कि उनका मेडिकल अवकाश स्वीकृत था, लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया कि इसे किस अधिकारी ने अप्रूव किया था। सूत्रों के अनुसार, यह अवकाश निरीक्षण करने वाले बीईओ अशोक कुमार ने ही स्वीकृत किया था। ऐसे में सवाल उठता है कि जिस अधिकारी की जवाबदेही तय होनी थी, उसी ने जाँच का निरीक्षण किया तो रिपोर्ट कितनी निष्पक्ष होगी।
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