शारदा सहायक नहर में पिछले दिनों हुई बारिश के दौरान बड़ी संख्या में पेड़ नहर में गिर गए थे, जबकि कई पेड़ नहर की पटरी पर झुके हुए थे। इन पेड़ों के कारण नहर की पटरी लगातार कटान का शिकार होती रही, जिससे नहर की संरचना पर खतरा बढ़ गया। पटरी कमजोर होने के कारण कई स्थानों पर मिट्टी खिसकने लगी, जिसका सीधा असर नहर के संचालन पर पड़ा। ग्रामीणों और किसानों ने पटरी कटान और गिरे पेड़ों की समस्या पर चिंता जताते हुए नहर विभाग को कई बार अवगत कराया। किसानों का कहना था कि यदि पेड़ समय रहते नहीं हटाए गए तो नहर की पटरी पूरी तरह टूट सकती है, जिससे सिंचाई व्यवस्था गंभीर रूप से प्रभावित होगी। स्थिति गंभीर होने पर नहर विभाग ने प्रभागीय वन अधिकारी अयोध्या से हस्तक्षेप की मांग की। वन विभाग ने मौके पर टीम भेजकर नहर में गिरे और किनारे पर झुके पेड़ों की नंबरिंग कराई। इसके बाद सरकारी प्रक्रिया के तहत इन पेड़ों की नीलामी की गई। नीलामी पूरी होने के बाद पेड़ों का कटान तेजी से कराया जा रहा है। वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि “कटान कार्य अपने अंतिम चरण में है। बहुत जल्द नहर में गिरे और पटरी पर झुके सभी पेड़ों को हटा दिया जाएगा, ताकि पटरी को और नुकसान न पहुंचे। नहर में अभी तक पानी न आने से किसानों की रबी सीजन की बुवाई बुरी तरह प्रभावित हो रही है। शारदा सहायक नहर पर अयोध्या और आसपास के क्षेत्रों के करीब 2 लाख किसान निर्भर हैं। किसानों का कहना है कि देरी से पानी मिलने का मतलब है बुवाई देर से होना, जिससे फसल की पैदावार पर सीधा असर पड़ेगा। नहर विभाग के अधिकारियों ने कहा है कि रोस्टर के अनुसार 15 दिसंबर को नहर में पानी छोड़ा जाना निर्धारित है। विभाग का दावा है कि पेड़ों को हटाने व पटरी को सुरक्षित करने का काम पूरा होते ही पानी की आपूर्ति शुरू कर दी जाएगी।
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