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माफिया का किला ढहा, भूमाफिया गुर्गे नया चैलेंज:प्रयागराज कमिश्नरेट के 3 साल पूरे, पुलिसिंग बेहतर हुई, तीन मोस्ट वांटेड साख का सवाल

प्रयागराज में पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम लागू हुए आज तीन साल पूरे हो गए। 26 नवंबर 2022 को यह सिस्टम लागू होने के बाद शहर में माफिया नेटवर्क पर करारा प्रहार हुआ तो पुलिसिंग भी बेटर हुई। माफिया का किला ढहा, कई बड़े गिरोह कमजोर हुए और कानून व्यवस्था में सुधार दिखा। हालांकि पुरानी खत्म होने के साथ कई नई चुनौतियां भी सामने हैं। भूमाफिया बनकर माफिया नेटवर्क को फिर से मजबूत करने की कोशिश में जुटे गुर्गे बड़ा चैलेंज हैं। इंफ्रास्ट्रक्चर की दरकार और विवेचनाओं की पेंडेंसी घटाना भी बड़ा टास्क है। अतीक अहमद गैंग पर सबसे बड़ा प्रहार
कमिश्नरेट के कार्यकाल में सबसे मजबूत कार्रवाई अतीक अहमद गैंग पर हुई। उमेश पाल हत्याकांड के बाद पुलिस ने लगातार कार्रवाई करते हुए खौफ का पर्याय बने आईएस-227 गैंग की जड़ें कमजोर कीं। 200 से ज्यादा ठिकानों पर छापे पड़े और करीब 400 करोड़ रुपए की अवैध संपत्तियां गिराई गईं। गैंग के कई सदस्यों पर गैंगस्टर एक्ट की कार्रवाई हुई। पुराने मामलों में प्रभावी पैरवी करते हुए कई को सजा भी दिलाई गई। अन्य माफिया नेटवर्क भी ढहे
अतीक गैंग के अलावा गणेश यादव, राजेश यादव, दिलीप मिश्रा और विजय मिश्रा जैसे माफियाओं पर भी लगातार सख्ती हुई। रंगदारी, कब्जा, हथियार और वसूली से जुड़े मामलों में बड़ी संख्या में गिरफ्तारियां और मुकदमे दर्ज हुए। गैंगस्टर के तहत उनकी अपराध से अर्जित संपित्तयों को कुर्क भी किया गया। कमिश्नरेट गठन के बाद से ही लगभग 100 करोड़ की संपत्तियों पर कार्रवाई हुई। कमिश्नरेट की प्रमुख कार्रवाइयां
वांछित अपराधियों की गिरफ्तारी में तेजी
अवैध हथियार फैक्ट्रियों पर बड़े छापे
करोड़ों की सरकारी जमीन कब्जे से मुक्त
सीसीटीवी मॉनिटरिंग और इंटीग्रेटेड कंट्रोल रूम की मजबूती
रात की गश्त, वीकेंड चेकिंग और ऑपरेशन क्रैकडाउन का लगातार संचालन​​​​​​ सीनियर ऑफिसर्स की संख्या बढ़ी, मॉनिटरिंग मजबूत
कमिश्नरेट लागू होने के बाद प्रयागराज में सीनियर अधिकारियों की संख्या कई गुना बढ़ी। पहले जहां जिले में सिर्फ 1–2 आईपीएस अफसर तैनात होते थे, वहीं अब कमिश्नरेट मॉडल में 11 आईपीएस अधिकारी तैनात हैं। इसके अलावा इस समय 3 एडिशनल एसपी और 17 डीएसपी रैंक के अधिकारी भी तैनात हैं। कमिश्नरेट के तहत तीन नए पुलिस सर्किल भी बनाए गए, जिससे ग्राउंड लेवल पर निगरानी और रिस्पॉन्स टाइम बेहतर हुआ। सीनियर ऑफिसर्स की संख्या बढ़ने से मॉनिटरिंग का स्तर मजबूत हुआ है और इसे बेसिक पुलिसिंग में सुधार का एक प्रमुख कारण माना जा रहा है। चुनौतियां, जो सामने खड़ी हैं.. सफलता बड़ी, लेकिन सफर अभी बाकी
पिछले तीन वर्षों में संगठित अपराध और माफिया के खिलाफ कार्रवाई निश्चित रूप से मजबूत हुई है। हालांकि लंबित विवेचनाएं, फरार इनामी अपराधी और जमीन माफिया के बढ़ते नेटवर्क जैसी चुनौतियां अब भी कमिश्नरेट के सामने खड़ी हैं। अफसरों की संख्या बढ़ने से मॉनिटरिंग मजबूत हुई है, लेकिन इंफ्रास्ट्रक्चर को अभी और मजबूत करने की जरूरत है।


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