यूरेनियम, जिसे लोग परमाणु बम बनाने में इस्तेमाल होने वाले रेडियोएक्टिव पदार्थ के रूप में जानते हैं, उसे बिहार के नवजात रोज पी रहे हैं। जी हां, यह सच है। बिहार में मां के दूध में यूरेनियम पाया गया है। ICMR के सहयोग से पटना के महावीर कैंसर संस्थान के रिसर्च में यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। बिहार की 40 महिलाओं के दूध का सैंपल नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मास्युटिकल एंड एजुकेशन रिसर्च, हाजीपुर को भेजा गया। जांच से पता चला कि इनमें यूरेनियम है। क्या मां के दूध में यूरेनियम होना खतरनाक है? मां अपने बच्चों को दूध पिलाए कि नहीं? पढ़िए स्पेशल रिपोर्ट में…। पटना के महावीर कैंसर संस्थान के रिसर्च सेंटर ने बिहार के 6 जिलों की 40 माताओं के दूध के सैंपल लिए। इन माताओं से लिखित सहमति ली गई। संस्थान ने यूरेनियम से हेल्थ पर होने वाले खतरों को जानने के लिए शिशु और मां पर अध्ययन किया। दूध के नमूनों में यूरेनियम 238 की मात्रा पाई गई। इसका असर सेहत पर पड़ सकता है। डॉक्टर कहते हैं कि जांच से पता चला कि मां के दूध में यूरेनियम की मात्रा काफी अधिक थी। किस जिले की मां के दूध में मिला सबसे ज्यादा यूरेनियम स्टडी किए गए 6 जिलों में कटिहार की महिला के दूध के नमूनों में यूरेनियम 238 का स्तर काफी अधिक मिला। संस्थान ने कटिहार की 10, नालंदा की 16, भोजपुर की 4, समस्तीपुर की 6, बेगूसराय की 3 महिला और खगड़िया की 1 महिला के दूध के सैंपल जुटाए। इसमें कटिहार की 20 साल की महिला के दूध में यूरेनियम की सर्वाधिक मात्रा पाई गई। महिला 2 साल से यहां रह रही हैं। इनके दूध में यूरेनियम 238 की मात्रा 5.25 माइक्रो ग्राम प्रति लीटर (µg/L) पाई गई है। नालंदा की जिस महिला के दूध में सबसे अधिक यूरेनियम की मात्रा मिली उसकी उम्र 25 साल है। वह 8 साल से वहां रह रही हैं। उनके दूध में यूरेनियम की मात्रा 3.61 µg/L पाई गई। भोजपुर में 30 साल की महिला के दूध में सबसे अधिक यूरेनियम (3.87µg/L) मिला। वह 6 साल से वहां रह रही हैं। समस्तीपुर की 25 साल की महिला के दूध में यूरेनियम सबसे अधिक (3.89 µg/L) मिला। वह वहां 7 साल से रह रही हैं। बेगूसराय की 25 साल की महिला के दूध में यूरेनियम की मात्रा 4.03 µg/L मिली। 30 µg/L से ज्यादा नहीं होनी चाहिए पानी में यूरेनियम की मात्रा अब तक WHO ने नहीं बताया है कि मां के दूध में यूरेनियम की मात्रा अधिकतम कितनी हो सकती है। यह जरूर बताया है कि पीने के पानी में यूरेनियम की मात्रा 30 µg/L से ज्यादा होना खतरनाक है। इससे किडनी डैमेज होने से लेकर हड्डियों तक को नुकसान हो सकता है। कैंसर का खतरा बढ़ सकता है। जर्मनी ने 2011 में पीने के पानी में यूरेनियम की मात्रा अधिकतम 10 µg/L तय किया था। वैज्ञानिक बोले- मां के दूध में यूरेनियम का स्तर चौंकाने वाला भास्कर ने रिसर्च करने वाली टीम के सीनियर साइंटिस्ट डॉ. अरुण कुमार से बात की। उन्होंने बताया कि अभी हमलोगों ने मां के दूध में यूरेनियम पर रिसर्च किया है। मां के दूध में यूरेनियम की चौंकाने वाली मात्रा पाई है। इससे पहले हमलोगों ने मां के दूध में मर्करी, लेड (शीशा) और आर्सेनिक पर रिसर्च किया था। मां के दूध में मर्करी (पारा) डॉ. अरुण कुमार ने कहा कि मां के दूध में मर्करी की जांच के लिए 181 महिलाओं के दूध की जांच की गई थी। WHO के अनुसार, मां के दूध में मर्करी की मात्रा 1.7 µg/L से अधिक नहीं होना चाहिए। हमें नालंदा की एक मां के दूध में अधिकतम मर्करी की मात्रा 61.91 µg/L मिली। मां के दूध में आर्सेनिक अरुण कुमार ने कहा, ‘मां के दूध में आर्सेनिक की जांच के लिए 378 महिलाओं के दूध की जांच की गई। WHO के मानक के अनुसार आर्सेनिक की मात्रा 0.68 µg/L से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। हमें खगड़िया की एक महिला के दूध में अधिकतम 458 µg/L मिला।’ मां के दूध में यूरेनियम की मात्रा बढ़ने के खतरे रिसर्च के लिए 40 महिलाओं के दूध के सैंपल लिए गए। इन महिलाओं को रैंडमली चुना गया था। मां के दूध में यूरेनियम अधिक होने से नवजात बच्चे का विकास प्रभावित हो सकता है। उसकी हड्डी कमजोर हो सकती है। बच्चे की किडनी को नुकसान हो सकता है। लंबे समय बाद यूरेनियम इंसान के शरीर को कितना नुकसान पहुंचाएगा इस पर रिसर्च की जरूरत है। नदी किनारे की महिलाओं के दूध में मिला यूरेनियम डॉ. अरुण कुमार ने बताया कि गंगा और अन्य नदियों के मैदानी इलाके में रहने वाली महिलाओं के दूध में यूरेनियम की मात्रा मिली है। मां के दूध में यूरेनियम कैसे पहुंचा, हमें नहीं पता। यह पाने के पानी या खाने के स्रोत से इंसान के शरीर में पहुंच सकता है। उन्होंने कहा, ‘हमें जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया या सेन्ट्रल वाटर बोर्ड के साथ मिलकर काम करना होगा तभी बता पाएंगे कि यूरेनियम कैसे इंसान के शरीर में पहुंच रहा है।’ बच्चे के दूध पिला सकती है मां, डरने की जरूरत नहीं बिहार की मां बच्चे को अपना दूध पिलाए या नहीं? इस सवाल पर अरुण कुमार ने कहा, ‘अभी डरने की जरूरत नहीं है। तुरंत इसका प्रभाव नहीं दिख रहा, लेकिन बच्चे के विकास मॉनिटर करते रहें। अगर कुछ अलग दिख रहा है तो डॉक्टर से मिलें।’ किन इलाकों के जमीन के नीचे के पानी में मिला अधिक यूरेनियम मां के दूध में यूरेनियम की जांच से पहले महावीर कैंसर संस्थान ने बिहार के भूजल में यूरेनियम पर रिसर्च किया था। WHO के अनुसार भूजल में यूरेनियम की मात्रा 30 PPB (Parts Per Billion) से ज्यादा नहीं होना चाहिए। बिहार के 271 भूजल सैंपल में से 20 नमूनों में यूरेनियम 30 PPB से अधिक पाया गया। 150 सैंपल में यूरेनियम की मात्रा 1-30 PPB तक थी। 150 सैंपल में यूरेनियम नहीं मिला। भूजल नमूनों में यूरेनियम की सर्वाधिक मात्रा सुपौल जिले के जड़िया के पास 82 PPB पाई गई। इसके बाद नालंदा जिले में बिहारशरीफ के पास माघरा में 77 PPB, वैशाली जिले के सेंदुआरी में 66 PPB और महनार में 54 PPB पाई गई थी। कुल मिलाकर नवादा, नालंदा, वैशाली, गोपालगंज, सीवान और सुपौल में भूजल में यूरेनियम की मात्रा काफी अधिक थी। क्या है यूरेनियम 238, क्या इससे बन सकता है परमाणु बम? यूरेनियम प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला रेडियोएक्टिव भारी धातु है। इसका केमिकल सिंबल U और एटॉमिक नंबर 92 है। यूरेनियम 235 और यूरेनियम 238 इसके आइसोटोप हैं। आइसोटोप एक धातु के कई रूप हैं। आइसोटोप के एक परमाणु में प्रोटॉन की संख्या बराबर, लेकिन न्यूट्रॉन की संख्या अलग-अलग होती है। U-238 सबसे ज्यादा पाया जाने वाला आइसोटोप है। लगभग 99.28% नेचुरल यूरेनियम U-238 है। U-235 सिर्फ 0.72% है। U-238 और U-235 में मुख्य अंतर यह है कि U-235 जल्द टूटता है। इसे न्यूक्लियर रिएक्शन में एनर्जी रिलीज करने के लिए तोड़ा जा सकता है। U-238 में यह गुन नहीं। न्यूक्लियर रिएक्टर में परमाणु ऊर्जा पैदा करने के लिए U-235 का इस्तेमाल होता है। U-235 से परमाणु बम बनाए जाते हैं, U-238 से नहीं।
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