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डिफेंस कॉरिडोर-सेमीकंडक्टर से कैसे बदलेगा बिहार का भविष्य:अब कट्टा, देशी बंदूक नहीं; तोप-मिसाइल बनेंगे, छोटी चिप से सुधरेगी इकोनॉमी, 4 सवाल-जवाब में समझिए

‘बिहार में कट्टा और लालटेन का युग समाप्त हो गया है। राज्य देसी बंदूकों की जगह मिसाइल और तोप बनाने के लिए तैयार है।’ 8 नवंबर को रामगढ़ में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने और 9 नवंबर को सासाराम में गृह मंत्री अमित शाह की कही यह बातें सही साबित होने जा रही है। 25 नवंबर को नीतीश सरकार ने अपनी पहली कैबिनेट बैठक में डिफेंस कॉरिडोर और सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग पार्क बनाने के लिए कमेटी गठित करने की मंजूरी दी है। डिफेंस कॉरिडोर और सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग पार्क बनने से बिहार की तस्वीर कैसे बदल जाएगी? इसमें होगा क्या? जानेंगे, आज के एक्सप्लेनर बूझे की नाहीं में…। सवाल-1ः डिफेंस कॉरिडोर और सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग पार्क क्या होता है? जवाबः डिफेंस कॉरिडोरः सेना का बनेगा हथियार सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग पार्कः इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स बनेगा सवाल-2ः डिफेंस कॉरिडोर देश में कहां-कहां हैं? जवाबः देश में फिलहाल उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में दो बड़े डिफेंस कॉरिडोर बनाए गए हैं। सवाल-3ः देश में डिफेंस का कारोबार कितने का है और बिहार में बनने से क्या फायदा होगा? जवाबः भारत तेजी से दूसरे देशों पर से हथियारों और सेना के सामान की निर्भरता खत्म कर रहा है। 100 से ज्यादा देश भारत से सैन्य हथियार और उपकरण मंगवा रहे हैं। पटना यूनिवर्सिटी के असिस्टेंट प्रोफेसर अविरल पांडेय कहते हैं, ‘बिहार सरकार का यह निर्णय बताता है कि वह चुनाव में किए गए अपने वादों को लेकर गंभीर है। बिहार में इंडस्ट्री (GSVA) का हिस्सा अभी भी लगभग 20% के आसपास है, जबकि दूसरे राज्यों में यह करीब 29% है। इसका मतलब हुआ कि बिहार में हाई क्वालिटी मैन्युफैक्चरिंग और तकनीक वाली इंडस्ट्री की जरूरत है।’ बिहार को कैसे फायदा होगा, इसे समझिए… 29 मार्च 2025 को रक्षा मंत्रालय की जारी रिपोर्ट के मुताबिक… बड़े बाजार में हिस्सेदार होगा बिहारः 2029 तक रक्षा उत्पादन 3 लाख करोड़ रुपए करने का टारगेट है। जो 2024-25 से दो गुना से ज्यादा है। यहां डिफेंस कॉरिडोर बनने से बिहार को बड़े बाजार में शामिल होने का मौका मिलेगा। इससे अर्थव्यवस्था सुधरेगी। प्राइवेट कंपनियां आएंगी: देश के मजबूत रक्षा औद्योगिक आधार में 16 डीपीएसयू, 430 से अधिक लाइसेंसी कंपनियां और करीब 16,000 MSME शामिल हैं। यह कंपनियां स्वदेशी उत्पादन को बढ़ावा देती हैं। देश के रक्षा उत्पादन में प्राइवेट सेक्टर की हिस्सेदारी 21% है। प्राइवेट कंपनियां नई तकनीक और स्किल्ड को बढ़ावा देती हैं। इसका फायदा भी बिहार को होगा। सवाल-4ः सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग पार्क बनने से बिहार को क्या फायदा होगा? जवाबः भारत ने ग्लोबल सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम का हिस्सा बनने के लिए इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन यानी ISM की शुरुआत की है। सरकार का पूरा जोर सेमीकंडक्टर को लेकर आत्मनिर्भर बनने और विश्व के बाजार पर कब्जा करने की है। अर्थशास्त्री अविरल पांडेय बताते हैं, ‘बिहार में सेमीकंडक्टर पार्क बनने से हाई-स्किल्ड युवाओं को रोजगार का बड़ा बाजार देगा। McKinsey की रिपोर्ट भी बताती है कि भारत इंजीनियरिंग प्रतिभा का बड़ा निर्यातक है, ऐसे में बिहार में हाई तकनीक इंडस्ट्री लगाना रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है।’ इससे बिहार को क्या फायदा होगा… मेक इन इंडिया बूस्ट: ये प्रोजेक्ट ‘मेक इन इंडिया’ और ‘डिजिटल इंडिया’ को बूस्ट करेगा। देश के साथ-साथ बिहार अब चिप्स का यूजर नहीं, बल्कि मैन्युफैक्चरर भी बनेगा। नई जॉब्स मिलेंगी: एक छोटे प्लांट से 15,000+ डायरेक्ट और इनडायरेक्ट जॉब्स के अवसर बनेंगे। इंजीनियर्स, टेक्नीशियन और सपोर्ट स्टाफ के लिए ढेर सारे मौके होंगे। ग्लोबल टेक हब: यह पार्क बिहार को दूसरे देश ताइवान, साउथ कोरिया जैसे देशों की कतार में लाएगा, जो ग्लोबल चिप मैन्युफैक्चरिंग के क्षेत्र में बढ़े प्लेयर्स हैं। सस्ते गैजेट्स: लोकल प्रोडक्शन से चिप्स सस्ते हो सकते हैं, जिससे फोन, लैपटॉप और कारें भी अफोर्डेबल हो सकती हैं। सेमीकंडक्टर का कितना बड़ा बाजार, जानिए…


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