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यूपीपीसीएल में बायोमेट्रिक मशीन मामले में जवाब मांगा:स्थानांतरण या अनुशासनात्मक कार्रवाई को लेकर उठे सवाल

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विद्युत कर्मचारियों की फेशियल अटेंडेंस के लिए फेशियल बायोमेट्रिक मशीन इंस्टॉल करने के मामले में जवाब मांगा है। यह आदेश न्यायमूर्ति सरल श्रीवास्तव एवं न्यायमूर्ति सुधांशु चौहान की खंडपीठ ने सत्य नारायण उपाध्याय व नौ अन्य की अपील पर सुनवाई करते हुए दिया है। सुनवाई के दौरान अपर महाधिवक्ता कार्तिकेय सरन ने कहा कि सभी अपीलार्थियों का वेतन भुगतान कर दिया गया है। अपीलार्थी संख्या 3, 4 व 5 का वेतन लगातार भुगतान किया जा रहा है। अन्य के संबंध में उनका वेतन भी भुगतान कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि अपीलार्थियों की आशंका गलत है। कुछ कर्मचारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई और स्थानांतरण का प्रस्ताव को लागू नहीं किया जा रहा है। उन्होंने निर्देशों के आधार पर स्पष्ट रूप से कहा कि विभाग के पास किसी भी अपीलार्थी के खिलाफ उनकी उपस्थिति दर्ज करने के लिए फेसियल बायोमेट्रिक का उपयोग नहीं करने के लिए स्थानांतरण या अनुशासनात्मक कार्रवाई करने का कोई प्रस्ताव नहीं है। कोर्ट ने कहा कि ऐसे में अपीलार्थियों के विरुद्ध कोई ऐसी कार्रवाई की जाती है तो उन्हें कानून में उपलब्ध उचित उपाय करने की छूट है। याची अधिवक्ता के अनुसार अपीलार्थी बिजली विभाग के टेक्नीशियन ग्रेड टू कर्मचारी हैं। विभाग चाहता था कि सभी कर्मचारी अपने मोबाइल में ऐप डाउनलोड करके अपनी अटेंडेंस दें। कर्मचारियों ने इसका विरोध किया और मांग की कि ऑफलाइन अटेंडेंस खत्म करने से पहले ऑफिस में यूपीपीसीएल हेडक्वार्टर लखनऊ की तरह फेशियल बायोमेट्रिक मशीन इंस्टॉल की जाए। कर्मचारियों का कहना था कि मोबाइल ऐप के ज़रिए अटेंडेंस उनके व्यक्तिगत मोबाइल का उपयोग है जबकि वे ऑफिस में सिस्टम लगने पर ऑनलाइन अटेंडेंस के लिए तैयार हैं। जब कर्मचारियों ने ऐप के माध्यम से अटेंडेंस देने से मना किया तो सभी डिस्कॉम के एमडी ने उनका वेतन रोक दिया। इसके बाद याचियों की याचिका एकल पीठ में खारिज हो गई। हालांकि कोर्ट ने बाद में वेतन जारी करने का निर्देश दिया।


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