लखनऊ: अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (अभाविप) के पूर्व अध्यक्ष प्रो. सर्वेश सिंह के निधन पर कैसरबाग स्थित प्रांत कार्यालय में एक श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। इस अवसर पर कार्यकर्ताओं ने प्रो. सर्वेश सिंह के जीवन को प्रेम, त्याग और साहित्यिक योगदान का संगम बताया। अभाविप के पूर्व राष्ट्रीय मंत्री अशोक कुमार ने सभा में अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि प्रो. सर्वेश नेकदिल, उदार और परोपकारी व्यक्ति थे। उन्होंने जीवनभर समाज और कार्यकर्ताओं की सेवा की तथा हमेशा दूसरों की सहायता के लिए तत्पर रहते थे। प्रो. सर्वेश मानवीय संवेदनाओं का जीवंत प्रतीक पूर्व प्रांत अध्यक्ष प्रो. जे.पी सिंह ने प्रो. सर्वेश को मानवीय संवेदनाओं का जीवंत प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि प्रो. सर्वेश ने अपने साहित्य लेखन के माध्यम से रामचरित के अनेक प्रसंगों को प्रकाशित कर भारतीय संस्कृति का गौरव बढ़ाया।प्रांत उपाध्यक्ष प्रो. मंजुला उपाध्याय ने प्रो. सर्वेश को आधुनिक साहित्य का एक मर्मज्ञ कथाकार, उपन्यासकार, कुशल कहानीकार और प्रखर आलोचक बताया। उनकी चर्चित रचनाओं में ‘ईश्वर भी बस तुम्हें देखने आते थे’ और ‘जेएनयू—एक कथा स्मृति’ प्रमुख हैं। साहित्य के प्रति प्रो. सर्वेश का विशेष योगदान उन्होंने रामचरित मानस के कई प्रसंगों पर भी प्रभावशाली व्याख्याएं प्रस्तुत कीं। उनके लेखन को अनेक संस्थाओं द्वारा सम्मानित किया गया, जिसमें शब्दशल्पी सम्मान और रीचार्ज एंड एकेडमिक एक्सीलेंस अवार्ड 2018-20 शामिल हैं।अभाविप प्रांत उपाध्यक्ष एवं क्राइस्ट चर्च कॉलेज कानपुर के सहायक आचार्य डॉ. प्रवीण सिंह ने कहा कि प्रो. सर्वेश का अध्यक्षीय निर्वाचन कराना उनके लिए सौभाग्य की बात थी। उन्होंने साहित्य के प्रति प्रो. सर्वेश की साधना को विशेष बताया। ये लोग शामिल हुए श्रद्धांजलि सभा में प्रांत संगठन मंत्री अंशुल विद्यार्थी, महानगर उपाध्यक्ष प्रो. वीना राय, सुचिता चतुर्वेदी, पूर्व कार्यकर्ता अनुराग तिवारी सहित बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।सभा में उपस्थित सभी कार्यकर्ताओं ने प्रो. सर्वेश के आदर्शों—मानवता, सेवा और साहित्य—को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया।
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