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गुरु का सिमरन करने मोतीझील में उमड़ा शहर:कानपुर में गुरु तेग बहादुर के 350वें शहीदी पर्व पर सजा कीर्तन दीवान, पुलिस-प्रशासन रहा मुस्तैद

वाहेगुरु-वाहेगुरु की गूंज से मंगलवार को शहर का मोतीझील लॉन गूंज उठा। मौका था सिखों के नवें गुरु तेग बहादुर के 350वें शहीदी पर्व का। श्रीगुरु सिंह सभा के तत्वावधान में यह कार्यक्रम हो रहा है, जिसमें शहर भर से हजारों-लाखों की संगत मोतीझील लॉन पहुंची और गुरु का सिमरन किया। शहीदी पर्व के उपलक्ष्य में मंगलवार को मोतीझील लॉन में सुबह 6 बजे से ही शबन कीर्तन शुरू हो गए। जिसमें पंजाब से आए रागी जत्थे ने गुरु की महिमा का बखान किया। सुबह से ही संगत मोतीझील लॉन पर पहुंचनी शुरू हो गई और गुरु के सामने पूरी आस्था के साथ मत्था टेका। इसके बाद सभी सेवा काम में जुटे नजर आए। कश्मीरी पंडितों की रक्षा के लिए हुए बलिदान मोतीझील में हुए शबद कीर्तन के दौरान सिख जत्थेदारों ने बताया कि गुरु तेगबहादुर ने समाज को त्याग और बलिदान का संदेश दिया और हंसते-हंसते अपनी शहादत दे दी। मुगलों के अत्याचार से परेशान होकर जब कश्मीरी पंडित उनके पास पहुंचे और रक्षा की गुहार लगाई, तो गुरुजी तुरंत तैयार हो गए। सनातन और जनेऊ की रक्षा के लिए गुरु तेग बहादुर कश्मीरी पंडितों के साथ चल पड़े। मुगलों ने उन पर भी अत्याचार किए और दबाव बनाया कि वह भी इस्लाम कुबूल कर लें। क्योंकि गुरु अगर इस्लाम कबूल कर लेंगे, तो दूसरे भी उनका अनुसरण करेंगे। जिससे वह भारत को आसानी से जीत लेते। लेकिन गुरु तेग बहादुर ने इंसानियत और सनातन की रक्षा अपना बलिदान दे दिया। मेयर और डीएम रहे मौजूद श्रीगुरु सिंह सभा के तत्वावधान में चल रहे तीन दिवसीय शहीदी पर्व के आखिरी दिन मंगलवार को मेयर प्रमिला पांडेय, मंडलायुक्त के विजेंद्र पांडियन और डीएम जितेंद्र प्रताप भी कार्यक्रम में पहुंचे। पूरी आस्था के साथ उन्होंने भी गुरु के सामने शीश झुकाया और संगत के साथ बैठकर शबद कीर्तनों में गुरु की महिमा सुनी। डीएम ने लोगों को संबोधित भी किया और कहा कि गुरुओं ने आमजन और मानवता की रक्षा के लिए अपना सब कुछ न्यौछावर कर दिया। गुरु तेग बहादुर के दिखाए मार्ग पर ही उनके पुत्र गुरु गोबिंद सिंह भी चले और अपना और अपने चारों पुत्रों का मानवता की रक्षा के लिए बलिदान कर दिया। देश गुरुओं के त्याग को कभी नहीं भुला सकता है। महिला-पुरुष बच्चों में भी दिखा उत्साह गुरु के शहीदी पर्व में शामिल होने के लिए जहां बुजुर्ग सुबह से ही मोतीझील लॉन पहुंच गए और शबद कीर्तन में शामिल हुए। वहीं दूसरी ओर महिला, पुरुष, बच्चे और युवाओं में भी जबरदस्त उत्साह देखने को मिला। सभी ने गुरु के सामने मत्था टेका और फिर सेवा कार्यों में जुट गए। पूरी आस्था और समर्पण के साथ युवा कार्यक्रम के दौरान सेवा करते नजर आए। पुलिस के जवानों ने संभाली व्यवस्थाएं शहीदी पर्व पर होने वाले कीर्तन दरबार और अटूट लंगर के कार्यक्रम को देखते हुए शहर में पुलिस प्रशासन भी एलर्ट रहा। मोतीझील चौराहा और अशोक नगर तिराहे की ओर से ही वाहनों को डायवर्ट किया जाता रहा। वहीं शहीदी पर्व में आने वाले वाहनों की व्यवस्था केडीए की पार्किंग में की गई थी। जहां पर वाहनों को खड़ा कराया गया। इस दौरान यातायात पुलिस के साथ ही क्षेत्रिय थाने की फोर्स भी व्यवस्था संभालती नजर आई। जिससे कि किसी तरह की अव्यवस्था न फैले। पुलिस और प्रशासन के आलाधिकारी भी कार्यक्रम के दौरान राउंड लगाते नजर आए।


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