इजराइल ने भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में रहने वाले बनेई मेनाशे समुदाय के बचे हुए 5800 यहूदियों को अपने यहां बसाने का फैसला किया है। इन्हें अगले 5 साल में इजराइल ले जाया जाएगा। ज्यूइश एजेंसी फॉर इजराइल के मुताबिक, सरकार ने रविवार को इस प्लान को मंजूरी दी है। इसके तहत 2030 तक पूरी कम्युनिटी को इजराइल में बसाया जाएगा। इनमें से 1200 लोगों को 2026 में बसाने के लिए पहले ही मंजूर किया जा चुका हैं। 2005 में इजराइल के धार्मिक गुरु श्लोमो अमार ने इस समुदाय को इजराइली मूल के लोगों की मान्यता दी थी। अभी लगभग इस समुदाय के 2500 लोग इजराइल में रह रहे हैं। भारत आएगी यहूदी धर्मगुरुओं की सबसे बड़ी टीम इजराइल सरकार के फैसले के बाद यहूदी धर्मगुरुओं (रब्बियों) की अब तक की सबसे बड़ी टीम भारत आएगी है। यह टीम पूर्वोत्तर भारत के बनेई मेनाशे समुदाय के उन सदस्यों की धार्मिक पहचान की जांच करेगी, जिन्हें अगले पांच वर्षों में इजराइल ले जाया जाना है। सरकारी घोषणा के मुताबिक, यह रब्बी टीम पहली बार इतने बड़े पैमाने पर भारत भेजी जा रही है। यह पिछले दस वर्षों में भारत आने वाली पहली आधिकारिक धार्मिक जांच टीम होगी। टीम में रब्बी (यहूदी धर्मगुरु) और धार्मिक कानून (हलाखा) के जानकार शामिल होंगे। इजराइल में बसने से पहले बनेई मेनाशे समुदाय के लोगों को धार्मिक इंटरव्यू, पहचान की पुष्टि और धार्मिक प्रक्रियाओं की औपचारिकता से गुजरना होता है। गांव-गांव जाकर जांच करेगी रब्बी टीम रब्बी टीम समुदाय के अलग-अलग गांवों और इलाकों में जाएगी। धार्मिक परंपराओं और जीवनशैली की जांच करेगी। यह टीम हर परिवार का व्यक्तिगत इंटरव्यू करेगी। टीम यह तय करेगी कि कौन लोग यहूदी धार्मिक मानकों को पूरा करते हैं। यह पूरी प्रक्रिया इजराइल के चीफ रब्बीनेट, कन्वर्जन अथॉरिटी, पॉपुलेशन एवं इमिग्रेशन प्राधिकरण और ज्यूइश एजेंसी की देखरेख में होगी। रब्बियों की टीम की जांच पूरी होने के बाद लोगों के लिए कन्वर्जन क्लासेज शुरू होंगी। इसके बाद उनका डॉक्यूमेंटेशन होगा और इजराइल के लिए उड़ानों की तैयारी की जाएगी। इन पूरे कामों के लिए इजराइल सरकार ने करीब 90 मिलियन शेकेल (लगभग 240 करोड़ रुपए) का बजट भी मंजूर किया है।
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