आजमगढ़ जिले में गुरु तेग बहादुर की 350 वीं शहीदी दिवस सुंदर गुरुद्वारा मातबरगंज में धूमधाम के साथ मनाया गया। जबकि जिले के ही विट्ठल घाट पर सिख समाज के लोगों ने शहीदी दिवस जिला प्रशासन के रवैया के कारण न मानने का फैसला लिया यही कारण है कि विट्ठल घाट पर शहीदी दिवस कार्यक्रम नहीं मनाया गया। श्री सुंदर गुरुद्वारा मातबरगंज आज़मगढ़ में धन्न धन्न गुरुतेग बहादुर साहिब, महाराज, भाई मति दास जी, भाई सति दास जी एवं भाई दयाला जी का 350 वाँ शहीदी दिवस बड़ी ही श्रद्धा के साथ मनाया गया। सुबह गुरुद्वारे में सिख समाज के लोगों के साथ साथ हिंदू समाज के लोगों ने गुरुद्वारे में आकर गुरु महाराज को श्रद्धांजलि अर्पित की एवं उनके बलिदान को नमन किया। गुरु तेग बहादुर जी सिख धर्म के नौवें गुरु थे। उन्हें साहस और शौर्य के प्रतीक के लिए जाना जाता है। 1675 में उन्होंने धर्म, मानवता और मानवीय मूल्यों की रक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान दिया था। उनका जीवन हमें सिखाता है कि सच्चाई और न्याय के लिए कभी भी पीछे नहीं हटना चाहिए। वे एक महान योद्धा, धर्म गुरु और देशभक्त थे। उन्होंने धर्म, इंसानियत और देश की रक्षा के लिए अपना जीवन बलिदान कर दिया। इसी कारण उन्हें ‘हिंद की चादर’ का सम्मान मिला। उनके शहीदी दिवस पर हमें उनके आदर्शों को याद करना चाहिए। उन्होंने हमें सिखाया कि धार्मिक स्वतंत्रता और मानव कल्याण कितने महत्वपूर्ण हैं। विट्ठल घाट में नहीं मनाया गया शहीदी दिवस कोई विट्ठल घाट में सिख समाज के लोगों का कहना है कि जिस तरह से जिला प्रशासन के रवैया के कारण गुरुद्वारा के आसपास की जमीन पर लगातार हवाई अतिक्रमण किया जा रहा है। और प्रशासन द्वारा कोई सहयोग नहीं किया जा रहा है। यही कारण है कि हम लोग आज गुरु तेग बहादुर जी का शहीदी दिवस नहीं मना रहे हैं। बताते चले कि विट्ठल घाट पर सिख समाज और आसपास के रहने वाले लोग गुरुद्वारे के निकट की जमीन पर अपना दावा ठोक रहे हैं। मामला कोर्ट में भी विचाराधीन है। ऐसे में समय-समय पर दोनों पक्षों के बीच विवाद भी होता रहता है।
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