जौनपुर में हिंदी भवन के अध्यक्ष, सुपरिचित साहित्यकार, पत्रकार और संस्कृतिकर्मी अजय कुमार की 85वीं जयंती पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। वक्ताओं ने उन्हें जौनपुर की प्रसिद्ध गंगा-जमुनी संस्कृति का मूर्तिमान प्रतीक बताया। उनका बहुआयामी जीवन विलक्षण था, जिसमें वे सात दशकों तक कवि, गद्यकार, चित्रकार, मूर्तिकार, घुमक्कड़, फिल्मकार और प्रगतिशील वैचारिकी के समर्पित कार्यकर्ता के रूप में सक्रिय रहे। सोमवार को हिंदी भवन सभागार में आयोजित इस संगोष्ठी में अजय कुमार द्वारा अपने निधन से दो दिन पहले पूरी की गई पुस्तक “राग जौनपुरी” का विमोचन किया गया। जौनपुर के साथ-साथ अन्य जिलों से आए साहित्यकारों, पत्रकारों और संस्कृतिकर्मियों ने कहा कि जौनपुर शुरू से ही सांप्रदायिक सद्भाव का एक उदाहरण रहा है। ‘राग जौनपुरी’ में अजय कुमार ने विद्यापति के हवाले से जौनपुर को दो तहजीबों का संगम बताया है। उन्होंने अपने लेखन से यह साबित किया कि इसी में जौनपुर का दिल धड़कता है। यह पुस्तक जौनपुर से संबंधित अनेक तथ्यों और सुनी-अनसुनी घटनाओं का जिक्र करती है, लेकिन इसका मुख्य केंद्र सामाजिक एकता है, जिसकी आज सर्वाधिक आवश्यकता महसूस की जा रही है। संगोष्ठी में प्रमुख वक्ताओं में डॉ. अख्तर सईद, अजय विक्रम सिंह, के.के. पांडेय (इलाहाबाद), मनोज सिंह (गोरखपुर), मित्ररंजन (दिल्ली), उदय यादव, तूलिका, अंकुर राय, मोहम्मद हफीज, डॉ. प्रतीक मिश्र, अरविंद उपाध्याय, इब्रत मछलीशरी, अमृत प्रकाश, आशा सिंह, अंसार जौनपुरी, आर पी सोनकर, संजय सेठ और पुस्तक के प्रकाशक संजय जोशी शामिल थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता साहित्यकार डॉ. धीरेंद्र पटेल ने की, जबकि संचालन राम नरेश (गोरखपुर) ने किया। इस दो दिवसीय कार्यक्रम के पहले दिन शाम को एक कवि सम्मेलन और मुशायरा भी आयोजित किया गया। इसमें इब्रत मछलीशहरी, अहमद निसार, डॉ. अहमद सरीद, विभा तिवारी, मित्ररंजन, धीरेंद्र कुमार पटेल सहित कई प्रतिभाशाली कवियों और शायरों ने अपनी रचनाएँ प्रस्तुत कीं। कार्यक्रम के अंत में, हिंदी भवन संचालन समिति द्वारा सर्वसम्मति से नियुक्त किए गए नए अध्यक्ष अपल कुमार सिंह ने सभी के प्रति आभार व्यक्त किया।
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