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CJI बने जस्टिस सूर्यकांत का पहला इंटरव्यू:बोले- मैं तुम्हें कोर्ट में देख लूंगा… यह भरोसा बनाए रखना सबसे बड़ी जिम्मेदारी

हिसार की जिला अदालत से वकालत शुरू करने वाले जस्टिस सूर्यकांत सोमवार को देश के 53वें प्रधान न्यायाधीश बने। वे हरियाणा से जुड़े पहले CJI हैं। 10 फरवरी 1962 को हिसार में जन्मे सूर्यकांत ने 1984 में वकालत शुरू की और कम उम्र में हरियाणा के एडवोकेट जनरल बने। बाद में वे 2004 में पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के जज, 2017 में हिमाचल हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस और 2019 में सुप्रीम कोर्ट के जज बने। अब CJI के रूप में उनका कार्यकाल 15 महीने का होगा। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि न्याय कुछ लोगों का विशेषाधिकार नहीं बल्कि सबका अधिकार है। कतार में आखिरी व्यक्ति तक समय पर न्याय पहुँचे—यही उनकी पहली प्राथमिकता है। उनकी दृष्टि में न्याय तभी सार्थक है जब समाज का सबसे कमजोर इंसान भी कोर्ट तक बिना डर और बाधा पहुंच सके। सवाल-जवाब के जरिए पढ़िए, जस्टिस सूर्यकांत का इंटरव्यू.. सवाल- सीजेआई के रूप में आपकी प्राथमिकता क्या रहेगी? जवाब: न्याय कुछ लोगों का विशेषाधिकार नहीं है, यह सबका अधिकार है। मेरी पहली प्राथमिकता यही होगी कि न्याय जल्दी और आसानी से लोगों तक पहुँचे। कतार में खड़े आखिरी व्यक्ति तक न्याय पहुँच जाए — यही राष्ट्रसेवा है। सवाल. टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कोर्ट में कहां तक होना चाहिए? जवाब: टेक्नोलॉजी का उपयोग लोगों तक न्याय की पहुँच बढ़ाने के लिए होना चाहिए, न कि उन्हें दूर करने के लिए। लोगों को महसूस होना चाहिए कि टेक्नोलॉजी उनका काम आसान करती है। सुनवाई से लेकर फैसले की कॉपी तक सब सुविधा से उपलब्ध होना चाहिए। सवाल. कोर्ट में विश्वास बनाए रखने के लिए आपकी सोच क्या है? जवाब: लोगों को नहीं लगना चाहिए कि कोर्ट उनकी पहुँच से दूर है या वे अपनी बात नहीं रख सकते। फाइल में भले मामला अटक जाए, लेकिन न्याय रुकना नहीं चाहिए। जल्दी न्याय मिलने से लोगों का विश्वास मजबूत होगा। “मैं तुम्हें कोर्ट में देख लूंगा”—लोग का यह भरोसा कायम रखना बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। सवाल. मीडिएशन (आपसी समाधान) को कैसे मजबूत करेंगे? जवाब: सहमति आधारित समाधान समझौता नहीं बल्कि न्याय का एक त्वरित और प्रभावी तरीका है। इससे लंबी कोर्ट-कचहरी से राहत मिलती है। मेरा प्रयास रहेगा कि इसे और मजबूत किया जाए ताकि लोगों को जल्दी और सुलभ न्याय मिल सके। सवाल. आपके अनुसार न्याय की सफलता का पैमाना क्या है? जवाब: न्याय की वास्तविक सफलता यह है कि कानून समाज के सबसे कमजोर व्यक्ति तक कितनी मजबूती से पहुंचता है। जब सबसे वंचित व्यक्ति भी पूरे विश्वास के साथ कोर्ट पहुंचकर न्याय पा ले यही न्यायपालिका की सफलता है।


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