चित्रकूट के बहुचर्चित कोषागार घोटाले की जांच में विशेष जांच दल (SIT) ने कार्रवाई की गति और तेज कर दी है। कोषागार विभाग के साथ-साथ जेल भेजे जा चुके कई पेंशनरों और बिचौलियों के घरों पर भी टीम ने दबिश दी।अब तक ₹3 करोड़ 60 लाख से अधिक की रिकवरी हो चुकी है, जबकि घोटाले का कुल दायरा ₹43.13 करोड़ का बताया जा रहा है। जांच में दस्तावेजों के मिलान के दौरान कई आरोपियों के परिजन संपत्ति का पूरा विवरण नहीं दे सके। कुछ ने पूछे गए सवालों के संतोषजनक जवाब भी नहीं दिए।SIT ने चेतावनी दी है कि जांच में सहयोग न करने पर आगे परेशानी बढ़ सकती है। 2018 से 2025 तक चला था घोटाला एक माह से अधिक समय से चल रही SIT की जांच में खुलासा हुआ कि यह घोटाला 2018 से 2025 के बीच चला।मामले में नामजद 99 लोगों की संपत्ति का ब्यौरा मांगा गया है। इनमें पेंशनर, बिचौलिए और कोषागार विभाग के अधिकारी-कर्मचारी शामिल हैं।अब तक 32 आरोपी जेल भेजे जा चुके हैं। डिजिटल हस्ताक्षरों का दुरुपयोग जांच में बड़ा खुलासा यह भी हुआ कि कई नामजद एटीओ और अकाउंटेंट ने अन्य अधिकारी व कर्मचारियों के डिजिटल हस्ताक्षर का अवैध उपयोग किया।कई मामलों में यह काम अधिकारियों की अनुपस्थिति या उनकी मर्जी से हुआ।SIT को यह भी जानकारी मिली कि कुछ अधिकारियों ने रुपए के लालच में इस पर आपत्ति नहीं की। SIT प्रभारी सीओ अरविंद वर्मा और जांच अधिकारी अजीत पांडेय के नेतृत्व में छह सदस्यीय टीम ने कई पेंशनरों और बिचौलियों के घर पहुंचकर संपत्ति का पूरा ब्यौरा लिया। जांच के दौरान जो गड़बड़ियां सामने आईं, उनमें, कई पासबुक, आधार और PAN विभागीय कागजात से मेल नहीं खा रहे थे। कुछ भुगतान गलत पाए गए। कागजात में भुगतान की राशि में अंतर मिला। कई पासबुक में दो साल से एंट्री तक नहीं थी, जिसके बाद टीम ने विभागीय खातों से पूरा विवरण निकलवाया। SIT की इस तेज कार्रवाई को घोटाले की जड़ तक पहुंचने की दिशा में बड़ी पहल माना जा रहा है।जांच टीम आने वाले दिनों में और लोगों से पूछताछ कर सकती है तथा रिकवरी की प्रक्रिया भी आगे बढ़ाई जाएगी।
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