अयोध्या का राम मंदिर सिर्फ पत्थर और शिल्प का चमत्कार नहीं, भारत की आस्था, विज्ञान और शास्त्र की जीवंत कथा है। रामलला का ये मंदिर नागर शैली में ही क्यों बना? पत्थरों से ही क्यों बनाया गया? क्यों इसकी नींव में लोहे की एक कील तक नहीं? क्यों ये हजारों साल तक टिकने वाली इंजीनियरिंग और शिल्पशास्त्र का अद्भुत संगम है? कैसे पत्थर खाने वाला कीड़ा ‘विष्णु शिला’ की पहचान कराता है, जिससे रामलला की मूर्ति बनी है। पढ़िए मंदिर बनने से लेकर आगे की प्लानिंग तक सारे सवालों के जवाब… *** विशेष आभार- श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ग्राफिक्स- सौरभ कुमार ———————————————————— धर्मध्वजा सीरीज की ये स्टोरीज भी पढ़ें… अयोध्या की खून-खराबे वाली रात, 3 दिन सरयू में बहीं लाशें; कैसे शुरू हुई सदियों की मंदिर–मस्जिद जंग रामलला अब तंबू की धूल और तपन से निकलकर अपने राजमहल जैसे मंदिर में विराजमान हैं। अयोध्या आज जिस उत्सव को जी रही है, उसके पीछे 500 साल की आग, मुकदमे और इंतजार की कहानी है। इसमें बाबर की फौज से लेकर अदालतों तक और मंदिर के पत्थरों से लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले तक की पूरी कहानी नए अंदाज में पूरी स्टोरी पढ़ें… नेहरू बोले- रामलला की मूर्ति हटाइए, DM ने कहा- इस्तीफा दे दूंगा पर ऐसा नहीं करूंगा अयोध्या और राम मंदिर की कानूनी लड़ाई का दूसरा दौर तब शुरू होता है, जब 22-23 दिसंबर, 1949 की दरमियानी रात विवादित ढांचे के अंदर अचानक रामलला दिखाई दिए। यूपी से दिल्ली तक सब हिल गए। पीएम नेहरू ने मूर्ति हटाने का आदेश दिया। लेकिन तब के फैजाबाद जिले के डीएम ने साफ कह दिया कि इस्तीफा दे दूंगा, पर मूर्तियां नहीं हटाऊंगा। पूरी स्टोरी पढ़ें…
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